MP के बुधनी की कहानी,जहां बनते हैं लकड़ी के खिलौने: 200 से 8 हजार रु तक कीमत, CM शिवराज बोले- प्रदेश का गौरव बनेंगे ये खिलौने

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महेंद्र ठाकुर (सीहोर)7 मिनट पहले

लकड़ी की काठी, काठी पढ़िए बुधनी से ग्राउंड रिपोर्ट….

बुधनी नगर के नाम पर विधानसभा सीट का नाम बुधनी है। ये इलाका आमतौर पर देशभर में सिर्फ एक वजह से जाना जाता है- यहां सन 2006 से शिवराज सिंह चौहान चार बार विधायक बने हैं। इतनी ही बार सीएम भी बने हैं। यानी ये सीएम का इलाका है। इस हाईप्रोफाइल आइडेंटिटी के नीचे ये बात दब गई कि यहां खिलौने तब से बन रहे हैं जब देश में अंग्रेजी हुकूमत थी। हम बुधनी पहुंचे तो ये नगर भी बाहर से आम नगर की तरह ही नजर आता है लेकिन ऐसा कोई घर नहीं मिलता, जिसमें कोई बच्चा हो और घर में लकड़ी का खिलौना न हो। वजह तलाशने भी दूर नहीं जाना पड़ता। नगर के कई घरों में यहां लकड़ी के बेहद सुंदर और आकर्षक खिलौने बनते हैं।

100 साल से बन रहे खिलौने, हजारों रु. तक है कीमत
बुधनी के विनोद शर्मा बताते हैं- यहां करीब 100 साल से लकड़ी के खिलौने बनते हैं। 40 परिवार ये काम करते हैं। 107 कारीगरों को इससे रोजगार भी मिला है। ये कारीगर बेहद कुशल हैं। इन खिलौनों की कीमत 200 से 1500 रुपए तक है। जिसमें झूला सबसे महंगा 8 हजार रुपए का है। 2006 में एक फेस्टिवल में सरकार दुबई ले गई थी। वहां 12 सौ से 15 सौ दिरहम के खिलौने बेचे थे। वहां भी लोगों ने काफी पसंद किया। यहां सामान्य दिनों में रोजाना 700 से 800 रुपए की कमाई होती है। बच्चों की हाथगाड़ी, कार, हवाई जहाज, सांप, चिड़िया जैसे कई तरह के खिलौने बनते हैं।

सीएम ने ट्वीट में लिखा- प्रदेश का गौरव बनेंगे खिलौने
सीएम ने ट्वीट कर कहा है कि बुधनी की इस विशिष्टता से अब देश और दुनिया भी परिचित होगी। ये अद्भुत लकड़ी के खिलौने न केवल बच्चों के आनंद का कारण बनेंगे बल्कि बुधनी सहित पूरे प्रदेश को गौरवान्वित करेंगे।

सीएम शिवराज ने बुधनी के खिलौने को लेकर किया ट्वीट।

सीएम शिवराज ने बुधनी के खिलौने को लेकर किया ट्वीट।

कलेक्टर बोले- प्लान तैयार है
सीहोर कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने बताया बुधनी के खिलौने के उत्पादन, विक्रय और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक की है। खिलौनों के उत्पादन, ब्रांडिंग, जिओ टैग को लेकर प्लान तैयार किया है। उम्मीद है जल्द ही बुधनी के खिलौने दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाएंगे।

15 अगस्त 2022 को लालकिले से देसी खिलौनों का जिक्र करते पीएम।

15 अगस्त 2022 को लालकिले से देसी खिलौनों का जिक्र करते पीएम।

पीएम मोदी भी देसी खिलौनों के मुरीद
इस साल 15 अगस्त को पीएम मोदी ने लालकिले से भाषण देते हुए कहा था, भारत में खिलौनों का आयात कम करने की जरूरत है। मेड इन इंडिया टॉयज को बढ़ावा देने की जरूरत है। मैंने सुना है कि 5-6 साल के बच्चे भी अब विदेशी खिलौनों से खेलने से मना कर रहे हैं। जब पांच साल के बच्चे विदेशी खिलौनों से नहीं खेलने का प्रण ठान लें तो इसमें आत्मनिर्भर भारत की झलक मिलती है।

अब खिलौनों के बाजार का गणित समझिए
उद्योग संगठन (FICCI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के खिलौना बाजार का आकार पिछले साल 1 बिलियन डॉलर का था। 2024-25 में इसके 2 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये हिस्सेदारी अभी बेहद कम है। फिलहाल देश में करीब 100 मिलियन डॉलर के खिलौने का आयात हो रहा है जो पहले के मुकाबले आधा है। निर्यात पिछले साल के मुकाबले 60 प्रतिशत बढ़ा है। भारत सबसे ज्यादा खिलौने चीन से आयात करता है।

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