बैतूल में लंपी वायरस पर ग्राउंड रिपोर्ट…: 4 विकासखंडों के 124 गांव में फैला वायरस, 895 पशु प्रभावित, 13 की मौत, ग्रामीण बोले-डॉक्टर नहीं मिल रहे

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इरशाद हिन्दुस्तानी, बैतूलएक घंटा पहले
लंपी वायरस का शिकार होकर दर्द से कराह रहे पालतू मवेशियों की यह तस्वीर बैतूल के दामजीपुरा क्षेत्र की है। यहां हर घर में लंपी वायरस से प्रभावित जानवर मौजूद है। बीमारी से लगातार जानवर दम भी तोड़ रहे है। इलाज न मिलने से बने इन हालातों से गांवों में दहशत का माहौल है। जिले के भैंसदेही, भीमपुर इलाके में इसका सबसे ज्यादा प्रकोप फैल गया है।
जिले में लपी के बढ़ते मामलों के बीच यह 124 गांवों तक फैल गया है। इसे करीब एक हजार पशु प्रभावित हुए है। अब तक सरकारी तौर पर केवल 13 जानवरों की मौत हुई है। जबकि हकीकत में यह आंकड़ा कई गुना बड़ा है। पशु चिकित्सा विभाग ने अब तक 8752 पशुओं में टीकाकरण किया है। बीमारी के बढ़ते प्रकोप के बीच दैनिक भास्कर ने प्रभावित गांवों का दौरा किया। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…
डॉक्टर नहीं, इलाज कैसे होगा
दैनिक भास्कर की टीम प्रभावित गांवों में पहुंची, तो जानवरों के इस बीमारी से पीड़ित होकर मौत की कगार पर पहुंचने की तस्वीरे सामने आई है। दामाजीपुरा क्षेत्र में दामजीपुरा, बेहड़ा ताप्ती, बिरपुरा, गोबर बैल, धमदेही में दर्जनों जानवर इस बीमारी से पीड़ित दिखाई दिए। ग्रामीण केशवलाल के मुताबिक, जानवरों में छाले की बीमारी हो गई है। डॉक्टर भी नहीं है। ऐसे में जानवरो को कहां दिखाए?
मोहल्ले के कई जानवर दम तोड़ चुके है। श्यामलाल बताते है कि पूरे दमजीपुर क्षेत्र में बीमारी फैली है। जानवरों को फुंसी हो रही है। गाय, बैलों ने चारा चरना छोड़ दिया है। जानवर मर भी रहे है। कुमकुम भी ऐसा ही कुछ बताती है। उन्होंने बताया कि बीमारी एक दूसरे से फैल रही है। डॉक्टर कोई है नहीं इसलिए इलाज भी नहीं हो पा रहा है। हाल ही में एक गाय ने बीमारी से दम तोड़ा है।
दावा हजारों का किया वैक्सीनेशन
बैतूल जिले में बीमारी भैंसदेही, भीमपुर से निकलकर शाहपुर और अब बैतूल तक पहुंच गई है। पशु चिकित्सा उप संचालक विजय पाटिल के मुताबिक, इससे 124 गांव प्रभावित हुए है। जिनमें हर गांव में दो चार पशु बीमारी की गिरफ्त में है। अब तक सर्वे में 895 पशु प्रभावित मिले है। जबकि 13 की मौत हुई है।
बीमारी से ग्रसित पशु के मिलने वाले गांव के 5 किमी के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में वैक्सीनेशन करवाया जा रहा है। अब तक 8752 पशुओं को टीका लगाया जा चुका है। लंपी वायरस के फैलाव को देखते हुए कलेक्टर ने पूरे जिले में पशु बाजार पर रोक लगा दी है। यहीं नहीं जिले में मवेशियों के परिवहन, दूसरे राज्यों से जानवरों के प्रवेश और जंगल में चराई पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
क्या है लंपी वायरस
देश के कई राज्यों में पशुओं और मवेशियों में लंपी वायरस का कहर फैलता जा रहा है। यह एक तरह की स्किन की बीमारी है, जिसमें गाय या भैंस के स्किन पर गांठें नजर आने लगती है। यह वायरस इतनी तेजी से फैल रहा है कि राजस्थान, यूपी, बिहार और एमपी में हजारों की संख्या में पशुओं की मौत होने की खबर है।
साल 2019 में पहली बार भारत में इस वायरस की दस्तक हुई थी, यह त्वचा का एक रोग है। इसमें स्किन में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं। इसे एलएसडीवी कहते हैं। यह एक जानवर से दूसरे में फैलता है. यह कैप्रीपॉक्स वायरस के कारण ही फैलता है। यह बीमारी मच्छर के काटने से जानवरों में फैलती है।
लंपी वायरस के लक्षण
लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध कम देना और भूख नहीं लगाना है। इसके साथ ही उसका शरीर दिन प्रतिदिन और खराब होते जाना।
कैसे करें बचाव?
- लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को अलग रखें
- मक्खी,मच्छर,जूं आदि को मार दें
- पशु की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें
- पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें
- इस वायरस के आक्रमण से ज्यादातर पशुओं की मौत हो जाती है.
- पशु के संक्रमित होने पर दूसरे पशुओं को उससे अलग रखें
- शाम के समय नीम की पत्तियों का धुंआ करे






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