जगतगुरु शंकराचार्य को छिंदवाड़ा में मिला था वैराग्य!: ऊंटखाना के राम मंदिर में करपात्री महाराज ने हाथ देख कर बता दिया था 1 दिन बनेंगे शंकराचार्य

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छिंदवाड़ा8 घंटे पहले
ब्रह्मलीन हो चुके जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की जन्मस्थली भले ही दिघोरी रही हो लेकिन छिंदवाड़ा शहर में उन्हें वैराग्य मिला है। दरअसल छिंदवाड़ा के उटखाना स्थित श्री राम मंदिर के पुजारी किशन लाल शर्मा ने अपने दिवंगत ससुर अयोध्या प्रसाद उपाध्याय के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 9 साल की आयु में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती अपने बड़े भाई नारायण उपाध्याय के साथ छिंदवाड़ा में निवास करते थे।

उस समय उनका नाम पोथीराम उपाध्याय था। उनके बड़े भाई नारायण उपाध्याय छिंदवाड़ा पुलिस लाइन में पदस्थ थे तो वह ऊंटखाना पुलिस लाइन में उन्हीं के साथ रहकर पढ़ाई करते थे। ऐसे में एक दिन उनकी भाभी ने उन्हें अनाज पिसाने के लिए भेजा तो वह है खेल में लग गए और अनाज नहीं पिसा पाए जिसके कारण भाभी ने उन्हें मार दिया। भाभी की मार से दुखी होकर वह है ऊंटखाना स्थित राम मंदिर में जाकर बैठ गए । जहां तात्कालिक समय में प्रसिद्ध संत करपात्री जी महाराज सन्यासियों की टोली के साथ वहां पधारे थे।
जगतगुरु शंकराचार्य ही रहकर करपात्री जी महाराज और अन्य साधु की सेवा करने लगे तभी मंदिर के पुजारी ने उन्हें करपात्री जी महाराज के लिए स्नान की व्यवस्था करने के लिए पास वाले कुएं में पानी लाने के लिए भेजा। जहां पानी खींचने के दौरान उनके हाथों की लकीरों पर करपात्री जी महाराज की नजर पड़ी और उन्होंने वहीं भविष्यवाणी कर दी कि तुम बड़े होकर एक बहुत बड़े विख्यात संत बनोगे जिसके बाद उन्होंने जगतगुरु शंकराचार्य जी को अपने साथ शामिल कर लिया और घरवालों को बिना बताए वह सन्यासियों के साथ रवाना हो गए।

जिस राम मंदिर में मिला वैराग्य 1874 में हुई है उसकी स्थापना
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को छिंदवाड़ा के जिस राम मंदिर में वैराग्य मेला वह सन 1874 ईसवी में बनकर तैयार हुआ है। मंदिर के पुजारी ने चर्चा करते हुए बताया कि मंदिर प्रांगण में लगे एक आम के पेड़ के नीचे बैठे रहते थे। वह आम का पेड़ अभी भी मंदिर प्रांगण में सुरक्षित है। यदि कोई भी साधु संत मंदिर में आते तो मंदिर के पुजारी शंकराचार्य जी को उनकी सेवा में लगा देते थे इसी दौरान उनकी भाग्य रेखा करपात्री जी महाराज ने पढ़ ली और उन्हें अपने साथ ले गए।

जिस मकान में रहते थे वहां बन गया स्कूल
ऊंटखाना के जिस मकान में जगद्गुरु शंकराचार्य बचपन में रहते थे वहां पहले पुलिस क्वार्टर थी लेकिन बाद में इन्हें तोड़ कर यहां प्राथमिक शाला भवन बना दिया गया हालांकि अभी यह भवन भी पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया है ऐसे में जगतगुरु शंकराचार्य से जुड़े तमाम धर्मावलंबियों ने इस स्थान को संग्रहालय बनाने की मांग सरकार से की है।

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