ये चैंबर मेरा… लगाओ मेरे नाम की प्लेट: अफसरों के चैंबर पर कब्जा, MIC सदस्यों ने क्लर्क और इंजीनियर के चैंबर पर जड़ी अपनी नेम प्लेट

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भोपालएक घंटा पहले
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- सवा करोड़ से आईएसबीटी निगम दफ्तर में बनाए नए चैंबर, लेकिन 10 एमआईसी सदस्यों को भूले
पहले महापौर परिषद में शामिल होने, फिर अच्छे विभाग की चाह में उठापटक कर चुके एमआईसी सदस्य अब अपने अलग चैंबर के लिए भी जद्दोजहद कर रहे हैं। नतीजा ये है कि एमआईसी सदस्य अब नगर निगम अफसरों के चैंबर्स पर कब्जा कर रहे हैं। ये हालात नगर निगम अफसरों की खराब प्लानिंग के कारण बने हैं।
दरअसल, हाल ही में नगर निगम ने आईएसबीटी स्थित निगम दफ्तर की तीसरी मंजिल पर नए चैंबर बनाए हैं। इनमें महापौर, परिषद अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, तीनों के स्टाफ, दो मीटिंग हॉल और एक बड़ा वेटिंग एरिया बनाया है। इसके लिए स्मार्ट सिटी कंपनी ने सवा करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इस नए निर्माण के दौरान 10 एमआईसी सदस्यों को प्लानिंग में रखा ही नहीं गया।
नतीजा ये है कि एमआईसी सदस्य अब अपने लिए आईएसबीटी दफ्तर में ही नए ठिकाने तलाश रहे हैं। किसी ने अपने लिए बीसीएलएल दफ्तर में क्लर्क के चैंबर को चुन लिया है तो किसी ने इंजीनियर के चैंबर के बाहर अपने नाम की तख्ती लगवा ली है। सुनने में आया है कि कुछ एमआईसी सदस्यों की नजर अपर आयुक्तों के चैंबर्स पर भी है।
उठापटक… निगम अफसरों की खराब प्लानिंग के कारण बने हैं यह हालात
थर्ड फ्लोर पर हो सकती थी प्लानिंग… महापौर कक्ष थर्ड फ्लोर पर बना है। ये फ्लोर करीब 10 हजार वर्गफीट में है। इस फ्लोर पर फिलहाल 9 कमरे बनाए गए हैं, जिनमें 3 अभी भी खाली हैं। जानकार बताते हैं कि यदि प्लानिंग के दौरान ही और चैंबर इसमें जोड़ दिए जाते तो आज ये हालात नहीं बनते।
विभाग के अनुसार मिलती है जगह… थर्ड फ्लोर पर तीन कमरे खाली होने के बाद भी दो एमआईसी सदस्यों को बीसीएलएल दफ्तर में जगह दी जा रही है। यहां स्वच्छ भारत मिशन और यातायात एवं परिवहन विभाग के एमआईसी सदस्य बैठेंगे। बताया जा रहा है कि अन्य सदस्यों को गोविंदपुरा, जलकार्य शाखा व अन्य शाखाओं के भवनों में बैठाया जाएगा।
निगम द्वारा हमें जो जरूरत बताई गई थीं, उसी के अनुरूप प्लानिंग कर कक्ष, मीटिंग हॉल और वेटिंग हॉल बनाए गए हैं। थोड़ा काम बचा है, जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
-अंकित अस्थाना, सीईओ स्मार्ट सिटी
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