ग्वालियर का गौरव…: भारत जैसा स्वागत-सत्कार और महाराज बाड़ा जैसा स्क्वायर पूरे एशिया में नहीं

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ग्वालियरएक घंटा पहले

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भारत में मेहमानों का स्वागत-सत्कार बहुत ही उत्साह से किया जाता है, जो उसे सबसे अलग बनाता है। ग्वालियर में हमने काफी चीजें देखीं, लेकिन महाराज बाड़ा जैसा स्क्वायर पूरे एशिया में नहीं है। ताज्जुब इस बात का है कि इसकी उतनी ब्रांडिंग नहीं है, जितनी की होनी चाहिए।

यह बात यूके के हैराल्ड गुडविन ने कही। ग्रामीण और जिम्मेदार पर्यटन की संभावना तलाशने आया विदेशियों का दल गुरुवार को आईआईटीटीएम पहुंचा। दल ने बताया कि ग्वालियर में रूरल और रिस्पांसिबल टूरिज्म का स्कोप काफी है।

यहां कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा सकती है, लेकिन अभी तक यह जान-पहचान नहीं बना सके हैं। इस मौके पर पद्मश्री केके मोहम्मद, संस्थान के डायरेक्टर प्रो. आलोक शर्मा, अफ्रीका के अदामा बाह, फ्रांस की लूसी सोफिया सहित अन्य शामिल हैं।

ये दिए सुझाव

  • पर्यटन स्थलों पर आसपास के ग्रामीण पर्यटकों का सहयोग करें।
  • जितना आपको अनुभव है, जो सेवा दे सकते हैं उसी के मुताबिक चार्ज करें।
  • सोशल मीडिया के जरिए नए-नए ट्रेंड के बारे में जानकारी लेते रहें।
  • आईआईटीटीएम के साथ करेंगे काम : देश में ग्रामीण पर्यटन विकसित करने में विदेश के विशेषज्ञ मदद करेंगे। इसके लिए पर्यटन मंत्रालय ने आईआईटीटीएम को सेंट्रल नोडल एजेंसी बनाया है। संस्थान इन विशेषज्ञों का सहयोग लेगा। इस दिशा में वे आईआईटीटीएम के साथ मिलकर कार्य करेंगे।
  • लेक्चर सीरीज भी चलाएंगे : बैठक में तय किया गया कि भारतीय युवाओं को ग्रामीण पर्यटन का महत्व बताने के लिए एक लेक्चर सीरीज चलाई जाएगी। इसमें एक्सपर्ट ऑनलाइन लेक्चर लेंगे और समय-समय पर ग्वालियर या देश के अन्य हिस्सों में जाएंगे। इसका फायदा देश को मिलेगा।
  • पॉलिसी बनाने में होगा सहयोग: देश में रूरल और रिस्पांसिबल टूरिज्म विकसित करने के लिए पॉलिसी बनाने की जिम्मेदारी आईआईटीटीएम के पास है, क्योंकि संस्थान इसकी सेंट्रल नोडल एजेंसी है। विदेशियों का साथ मिलने से संस्थान के एक्सपर्ट को मदद मिलेगी। वहीं इनसे फैकल्टी भी काफी कुछ सीख सकेंगे।

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