MP का पहला बैली ब्रिज शुरू, 3 दिन में बना: भोपाल-नागपुर हाईवे पर सुखतवा नदी पर सेना ने बनाया, 40 टन वजनी वाहन गुजर सकेंगे

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इटारसी3 घंटे पहले

MP को पहला बैली ब्रिज बुधवार को शुरू हो गया। भोपाल-नागपुर नेशनल हाईवे पर सुखतवा नदी पर बने इस पुल को सेना ने तीन दिन में ही बनाकर तैयार कर दिया। इसमें आर्मी की 80 सदस्यीय टीम ने दिन-रात मेहनत की। आमतौर पर इस तरह के पुल पहाड़ी इलाकों में बनाए जाते है। यह पुल 70 टन वजन सहन करने में सक्षम हैं। कलेक्टर और विधायक की मौजूदगी में सेना की जिप्सी से बुधवार को फाइनल ट्रायल लिया गया। इसके बाइ इसे ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया। फिलहाल इस पुल पर से 40 टन वजनी वाहन ही गुजर सकेंगे। इस पुल से रोजाना 10 हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं।

कलेक्टर और सेना के अफसरों ने किया लोकार्पण बैली ब्रिज के लोकार्पण से पहले नर्मदापुरम कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और सिवनी मालवा विधायक प्रेमशंकर वर्मा ने सेना के अफसरों और जवानों का सम्मान किया। सेना के जवानों ने जोश के साथ भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाए। इस मौके पर मेजर जनरल सुमेर डिकोना, ब्रिगेडियर अमन कंसल, कर्नल एमएस मेहता, सहित सेना के वरिष्ठ अधिकारी एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी व क्षेत्र के अनेक जनप्रतिनिधि गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। कलेक्टर व विधायक की मौजूदगी में सेना की जिस्पी से बुधवार को फाइनल ट्रायल की गई। उसके बाद ब्रिज से आवागमन शुरू कर दिया गया है।

पुल के लोकार्पण के समय मौजूद कलेक्टर, विधायक, सेना के अफसर और जवान।

पुल के लोकार्पण के समय मौजूद कलेक्टर, विधायक, सेना के अफसर और जवान।

ब्रिटिश हुकूमत के जमाने का था पुल
सुखतवा नदी पर ब्रिटिश हुकूमत के जमाने का पुल था। इसी साल 10 अप्रैल को एक लंबा ट्राला भारी वजन के ट्रांसफार्मर लेकर निकल रहा था। इसी दौरान ट्रांसफार्मर सहित ट्राला पुल के नीचे नदी में गिर गया था। तब से यह पुल बंद था। 4 महीने बाद इस क्षतिग्रस्त पुल को तैयार करने की जिम्मेदारी सेना को दी गई थी। सेना की 102 वीसी इंजीनियरिंग बटालियन ने 25 अगस्त को सुबह 8 बजे पुल का जायजा लेकर सामान पहुंचाया। यहां रात 8 बजे तक काम चला। इसके बाद 26 को सुबह 6 से पुल बनाने का काम शुरू किया। रात करीब 12 बजे तक काम कर पुल के स्पान डाले। इसमें 80 अफसर व जवान लगे थे। यह काम कर्नल एमएस मेहता के मार्गदर्शन में किया गया।

लोकार्पण के बाद पुल से आवागमन शुरू हो गया है।

लोकार्पण के बाद पुल से आवागमन शुरू हो गया है।

भारत-चीन की सीमा पर ऐसे ही बैलीब्रिज
सेना जिस पुल को तैयार कर रही है, इसे बैली ब्रिज कहा जाता है। सेना इसी तकनीक का इस्तेमाल पहाड़ी इलाकों में पुल बनाने के लिए करती है। भारत-चीन की सीमा पर भी इसी तकनीक से बैलीब्रिज का निर्माण किया गया है। ये सामान्य पुल के मुकाबले जल्दी बनता है और सेना की परिवहन संबंधित सभी जरूरतों को पूरा भी करता है।

सेना के जवानों ने लगातार 36 घंटे काम कर 12 बजे तक पुल पर स्पान डाले थे।

सेना के जवानों ने लगातार 36 घंटे काम कर 12 बजे तक पुल पर स्पान डाले थे।

रोजाना 10 हजार वाहन रोज गुजरते हैं यहां से
भोपाल-नागपुर हाईवे पर सुखतवा नदी के इस पुल से रोजाना करीब 10 हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। इस पुल के टूटने के बाद नदी में अस्थाई पुल बनाकर आवागमन हो रहा था। इस सीजन में बारिश के बाद आई बाढ़ में अस्थाई पुल तीन बार खराब हो चुका है। नदी में बाढ़ के बाद पुल पर पानी आने से आवागमन घंटों बंद रहता है। बैलीपुल के ही बाजू से एनएचएआई द्वारा एक और नया पुल बनाया जा रहा है, जिससे तैयार होने में अभी और वक्त लग सकता है।

ऐसे तैयार किया गया पुल
यह मध्यप्रदेश का नेशनल हाईवे पर बना पहला बैली ब्रिज है, जिसे इतने कम समय में तैयार किया जा सका है। इस पुल से अब 40 टन वजनी वाहन निकल सकेंगे। इस ब्रिज की लंबाई 93 फीट और चौड़ाई 10.5 फीट है। पुल का वजन 60 टन है। बैली ब्रिज के दोनों हिस्से नदी के पुराने पुल के दोनों सिरे से जोड़े गए हैं। ब्रिज के दोनों तरफ लोहे की रेलिंग है और बीच में ही लोहे की मजबूत प्लेट्स लगाई गई है।

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