रतलाम में एक्सप्रेस-वे पर निवेश क्षेत्र बनाने का भारी विरोध: आदिवासी समाज बोला- नौकरी मिली तो भी गार्ड या सफाईकर्मी बनेंगे, जानवर कहां चराएंगे?

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रतलाम8 मिनट पहले

रतलाम से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस-वे से करीब 2.5 किलोमीटर सटकर बनने वाले स्पेशल इंवेस्टमेंट एरिया (विशेष निवेश क्षेत्र) का आदिवासी समाज के लोग विरोध कर रहे हैं। प्रशासन का दावा है कि इंवेस्टमेंट एरिया 1466 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर बनाया जाना है। किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं ली जाएगी। प्रशासन बाकायदा चौपालें लगाकर ये बात विरोध करने वालों को बता चुके हैं।

प्रशासन के वादे के बाद भी आदिवासियों के विरोध की वजह क्या है, दैनिक भास्कर ने ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की। पढ़िए, ये रिपोर्ट…

जिले के 5 गांवों में बनना है इंवेस्टमेंट एरिया…
रतलाम जिले के बिबड़ोद, पलसोड़ी, जामथुन, सरवनी और रामपुरिया गांव की राजस्व सीमा में आने वाली सरकारी जमीन पर इंवेस्टमेंट एरिया बनाया जाना है। सबसे ज्यादा बिबड़ोद और पलसोड़ी गांव की जमीन राजस्व सीमा में आती है। यहां के ग्रामीणों के बीच जाकर जब निवेश क्षेत्र के विरोध की वजह पूछी गई, तो आदिवासी किसान गलिया कटारा, कालू कटारा, अमर सिंह गरवाल ने बताया, हम सालों से इस जमीन पर खेती कर परिवार पाल रहे हैं। हम जमीन नहीं छोड़ना चाहते। रोजगार मिलने के सवाल पर किसानों का कहना है कि हम पढ़े-लिखे नहीं हैं। खेती और पशुपालन ही जानते हैं। यहां निवेश क्षेत्र बन जाएगा तो जानवरों को कहां चराएंगे।

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युवा बोले, हम गार्ड या सफाईकर्मी ही बन पाएंगे
गांवों के युवा प्रकाश खराड़ी, प्रवीण गरवाल और दिनेश से जब हमने बात की तो इनका कहना था कि इंवेस्टमेंट एरिया के लिए आदिवासी अंचल की जमीन ही क्यों चुनी गई। हमारे यहां लोग पढ़े-लिखे तो हैं, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं, टेक्निकल एजुकेशन तो न के बराबर है। अगर हमें नौकरी मिलेगी भी तो सिक्योरिटी गार्ड और सफाईकर्मी ही बन पाएंगे।

दूसरा, यहां पर खेती कर गुजर-बसर कर रहे आदिवासी किसानों को हटाकर पॉल्यूशन फैलाने वाली इंडस्ट्री लगाई जाएंगी। इससे पहले भी इन गांवों के पास पहले इंडस्ट्रियल एरिया था। कुछ केमिकल कंपनियों के प्रदूषण की वजह से इस क्षेत्र के कई गांव प्रदूषित पानी की समस्या से परेशान हैं। अगर फिर इसी तरह की इंडस्ट्रीज लगेंगी तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।

जयस और दूसरे आदिवासी संगठन कर चुके बड़ा विरोध-प्रदर्शन…

आदिवासी संगठन जयस और दूसरे सामाजिक संगठनों ने बीते दिनों निवेश क्षेत्र को लेकर रतलाम में बड़ी रैली कर प्रदर्शन किया था। बारिश के बीच बड़ी संख्या में इन संगठनों के कार्यकर्ता और ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचे थे। प्रदर्शन के बाद कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी को ज्ञापन सौंपकर निवेश क्षेत्र निरस्त करने की मांग की थी। वहीं, निरस्त नहीं करने पर विधानसभा का घेराव करने की चेतावनी भी आदिवासी संगठनों ने दी थी।

आदिवासी संगठन जयस और दूसरे सामाजिक संगठनों ने बीते दिनों निवेश क्षेत्र को लेकर रतलाम में बड़ी रैली कर प्रदर्शन किया था। बारिश के बीच बड़ी संख्या में इन संगठनों के कार्यकर्ता और ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंचे थे। प्रदर्शन के बाद कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी को ज्ञापन सौंपकर निवेश क्षेत्र निरस्त करने की मांग की थी। वहीं, निरस्त नहीं करने पर विधानसभा का घेराव करने की चेतावनी भी आदिवासी संगठनों ने दी थी।

प्रशासन ने कहा- ये इलाके को बड़ी सौगात
कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि ये प्रोजेक्ट रतलाम को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से बड़ी सौगात है। इससे इस क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा। प्रदूषण मुक्त लॉजिस्टिक हब और टेक्सटाइल पार्क बनेंगे। रतलाम ही नहीं, आसपास के जिलों के भी 25 से 30 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा।

प्रोजेक्ट में सरकारी जमीन का ही यूज होना है, किसी की प्राइवेट जमीन अधिग्रहित नहीं की जाएगी। वन अधिकार के पट्टे वाली जमीन के अधिग्रहण के बारे में भी कोई निर्देश शासन ने नहीं दिया है। वहीं, इस क्षेत्र में बने पक्के निर्माण के विस्थापन की व्यवस्था भी की जाएगी।

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