Chhattisgarh

डेंगू पर उत्कृष्ट शोध के लिए डॉ. संजय ठाकुर को पीएच.डी., छत्तीसगढ़ में संक्रमण के पैटर्न और जलवायु प्रभावों का किया विस्तृत अध्ययन

रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रख्यात जीवविज्ञानी डॉ. संजय ठाकुर (एम.एससी. प्राणीशास्त्र – स्वर्ण पदक विजेता, एम.फिल., पीएच.डी.) को “छत्तीसगढ़ में डेंगू के महामारी विज्ञान एवं जलवायु संबंधी पहलू (2014–2015)” विषय पर किए गए उनके महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई है। यह सम्मान उन्हें 17 अक्टूबर 2025 को सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, कोटा (बिलासपुर) में आयोजित दीक्षांत समारोह में मा. महामहिम रमेश डेका, राज्यपाल छत्तीसगढ़ द्वारा प्रदान किया गया।

अपने विस्तृत शोध में डॉ. ठाकुर ने राज्य में डेंगू के संक्रमण प्रसार, प्रभावित आयु वर्ग, मृत्यु दर और जलवायु की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। अध्ययन में पाया गया कि कोरबा, कोरिया और बिलासपुर जिले इस अवधि में डेंगू से सर्वाधिक प्रभावित रहे। संक्रमण का दायरा मुख्य रूप से 10 से 20 वर्ष की आयु के किशोरों में अधिक देखा गया, जबकि 5.19 प्रतिशत मामलों में मृत्यु दर्ज की गई। गंभीर डेंगू, जैसे डेंगू हेमोरैजिक फीवर (DHF) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) के मामले विशेष रूप से बच्चों में अधिक पाए गए।

डॉ. ठाकुर के अनुसार, अध्ययन अवधि के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे रोगी सामने आए जिन्हें नैदानिक रूप से तो डेंगू संदिग्ध माना गया, लेकिन पुष्टि नहीं हो सकी। कोरिया और बिलासपुर जिलों में ग्रामीण एवं शहरी दोनों समुदायों के किशोर और युवा वयस्क बड़ी संख्या में संक्रमित पाए गए। अध्ययन के 154 मामलों में से सर्वाधिक मृत्यु दर कोरिया जिले में (3.12%) दर्ज की गई।

शोध में यह भी स्पष्ट हुआ कि प्रदेश की गर्म, आर्द्र और स्थिर जलवायु, जिसमें औसत तापमान 25°C से 30°C के मध्य रहता है, डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के प्रजनन के लिए अत्यंत अनुकूल है। मार्च से अक्टूबर के बीच तापमान में वृद्धि और वर्षा के कारण मच्छरों के लार्वा के विकास को विशेष बढ़ावा मिलता है।

डॉ. ठाकुर ने कहा कि समय पर निदान, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ, जन-जागरूकता, मच्छरदानी, रिपेलेंट्स और साफ-सफाई जैसे उपाय डेंगू नियंत्रण में अत्यधिक प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं। गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को तुरंत उच्च स्तरीय चिकित्सा केंद्रों में रेफर करना मृत्यु दर को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है।

डॉ. संजय ठाकुर के इस शोध को छत्तीसगढ़ में डेंगू नियंत्रण नीति और जनस्वास्थ्य योजना के लिए उपयोगी माना जा रहा है।

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