Chhattisgarh

DKS सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल रायपुर में रुमेटोलॉजी और एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की शुरुआत को मंजूरी, प्रदेश में पहला सरकारी संस्थान बनेगा

रायपुर, 18 नवम्बर I रायपुर के DKS सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में रुमेटोलॉजी और एंडोक्राइनोलॉजी विभाग खोलने की अनुमति मिल गई है। इस फैसले के साथ DKS अस्पताल छत्तीसगढ़ का पहला सरकारी संस्थान बन जाएगा, जहां गठिया, डायबिटीज, थायरॉइड और हार्मोनल समस्याओं का सुपर स्पेशियलिटी स्तर पर इलाज एक ही जगह उपलब्ध होगा।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की अध्यक्षता में पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और DKS अस्पताल की स्वशासी समिति की सामान्य सभा में यह निर्णय लिया गया। बैठक में तय किया गया कि दोनों विभागों के लिए अस्पताल में 10-10 बेड के नए वार्ड बनाए जाएंगे, ताकि मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सके।

रुमेटोलॉजी और एंडोक्राइनोलॉजी दोनों ही सुपर स्पेशियलिटी विभाग हैं, जिनमें संयुक्त दर्द, गठिया, ऑटोइम्यून समस्याएं, डायबिटीज, थायरॉइड और हार्मोनल विकार जैसे मामलों का विशेषज्ञ इलाज संभव होगा। वर्तमान में ऐसे मरीजों का इलाज जनरल मेडिसिन और ऑर्थोपेडिक्स विभाग द्वारा किया जा रहा है, जबकि रुमेटोलॉजी DM/DNB सुपर स्पेशियलिटी श्रेणी में आती है और राज्य में इसकी गंभीर कमी है।

स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अमित कटारिया ने 22 सितंबर को DKS अस्पताल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने दोनों विभाग प्रारंभ करने की मांग रखी थी, जिसके बाद सचिव ने प्रस्ताव तैयार कर भेजने के निर्देश दिए थे। अब इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई है।

राज्य में सरकारी स्तर पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी है। छत्तीसगढ़ के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में रुमेटोलॉजी और एंडोक्राइनोलॉजी विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं। अंबेडकर अस्पताल में एक DM एंडोक्राइनोलॉजी डॉक्टर हैं, जो फिलहाल सिर्फ बच्चों का इलाज करते हैं। चर्चा है कि विभाग शुरू होने के बाद उन्हें DKS अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकता है, हालांकि पहले भी पांच वर्ष पूर्व ऐसा प्रयास असफल रहा था।

रायपुर सहित पूरे प्रदेश में डायबिटीज और हार्मोनल विकारों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। अब 10 साल से अधिक उम्र के बच्चों में भी टाइप-2 डायबिटीज के मामले सामने आने लगे हैं, जबकि छोटे बच्चों में टाइप-1 जेनेटिक डायबिटीज तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही जोड़ों के दर्द, गठिया और ऑटोइम्यून बीमारियों के मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में सुपर स्पेशियलिटी विभागों की शुरुआत मरीजों को बड़ा लाभ देगी और इलाज की गुणवत्ता में सुधार लाएगी।

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