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Railway Catering Policy: रेलवे ने बदली कैटरिंग पॉलिसी, एयरपोर्ट की तरह अब रेलवे स्टेशनों पर दिखेंगे मशहूर फूड चेन…

आप जब एयरपोर्ट (Airport) जाते होंगे तो आपको वहां KFC, McDonald’s, Baskin Robbins, Pizza Hut, Haldiram’s और Bikanerwala जैसे मशहूर फ़ूड ब्रांड्स के आउटलेट दिखते होंगे।
आप सोचते होंगे कि ऐसे मशहूर फूड चेन रेलवे स्टेशनों पर क्यों नहीं दिखते?

अब आपको बड़े रेलवे स्टेशनों पर इनके आउटलेट्स भी दिखेंगे। जी हां, TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे ने अपनी कैटरिंग पॉलिसी में बदलाव कर दिया है। इससे अब स्टेशनों पर बड़े और प्रीमियम ब्रांड्स को अपनी दुकानें खोलने का रास्ता साफ हो गया है।

क्यों जरूरी था यह

देश में अब नया मध्यम वर्ग तैयार हो गया है। वह रेलवे स्टेशन और रेलगाड़ी में भी एयरपोर्ट की तरह साफ-सुथरी और बेहतर सुविधाएं चाहते हैं। चाहे इसके लिए थोड़ी ज्यादा कीमत क्यों नहीं चुकानी पड़े। इसी को देखते हुए रेलवे के साउथ सेंट्रल रेलवे ज़ोन की तरफ से रेलवे बोर्ड के पास एक प्रस्ताव आया था। इसी के बाद उच्च स्तर पर बात हुई और रेलवे की कैटरिंग पॉलिसी में बदलाव हुआ।

फूड चेन के लिए आसानी से मिलेगी जगह

मशहूर ब्रांड के किसी आउटलेट में आप जाएं तो पाएंगे कि वे सामान्य फूड स्टॉल के मुकाबले थोड़े बड़े होते हैं। जबकि भारत के बड़े स्टेशनों का निर्माण हुए करीब 100 साल तो हो ही चुके हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशनों या प्लेटफार्म पर इन फूड चेन्स के लिए पर्याप्त जगह मिल पाएगी? इस सवाल पर रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब रेलवे देश भर में 1,200 से ज़्यादा स्टेशनों का कायाकल्प कर रही है। दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों के स्टेशन भी इसमें शामिल हैं। इन बदले हुए स्टेशनों पर ऐसी दुकानों के लिए आसानी से जगह मिल जाएगी, क्योंकि उन स्टेशनों के मास्टर प्लान में इसके लिए भी प्रावधान किया गया है।

सिंगल ब्रांड कंपनी आउटलेट भी खुलेंगे

रेलवे की नई गाइडलाइन्स के मुताबिक, जोनल रेलवे उन जगहों पर सिंगल-ब्रांड और कंपनी के अपने आउटलेट या फ्रेंचाइजी आउटलेट खोलने की इजाज़त देंगे जहां इनकी मांग होगी और ज़रूरत होगी। इन दुकानों को स्टेशन के प्लान या ब्लूप्रिंट में शामिल किया जाएगा। इससे स्टेशनों पर पहले से मौजूद स्टॉलों के लिए आरक्षण नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। अभी जो आरक्षण नीति है, उसमें SC, ST, OBC, स्वतंत्रता सेनानियों और उनकी विधवाओं, और रेलवे की ज़मीन अधिग्रहण के कारण विस्थापित हुए लोगों के लिए सीटें आरक्षित हैं।

ई-ऑक्शन से मिलेंगे स्टॉल

रेलवे बोर्ड ने यह भी साफ कर दिया है कि प्रीमियम ब्रांड्स के स्टॉल किसी के कहने या सिफारिश पर नहीं दिए जाएंगे। इन आउटलेट्स को सिर्फ ई-ऑक्शन (e-auction) पॉलिसी के ज़रिए ही आवंटित किया जाएगा। हर आउटलेट को चलाने का समय पांच साल का होगा। उसके बाद एक बार फिर से उनके आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी।

स्टेशनों पर कई तरह के स्टॉल

इस समय देश भर के रेलवे स्टेशनों पर तीन तरह के खाने-पीने के स्टॉल होते हैं – जैसे पेय पदार्थ, स्नैक्स, चाय, मिल्क बार और जूस बार। कैटरिंग पॉलिसी में बदलाव होने के साथ ही अब इन सबके साथ ‘प्रीमियम ब्रांड कैटरिंग आउटलेट’ नाम की एक चौथी कैटेगरी भी जुड़ गई है। उल्लेखनीय है कि इस समय देश में हर दिन करीब 2.3 करोड़ यात्री ट्रेन से सफर करते हैं। उनमें से लाखों पैसेंजर्स रेलवे स्टेशन पर खाने-पीने का सामान खरीदते ही हैं।

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