Chhattisgarh

समस्त शास्त्रों का सार है श्रीमद्भागवत कथा – पं० नारायण

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

जांजगीर चांपा – श्रीमद्भागवत कथा के मर्मज्ञ एवं राष्ट्रीय कथा वाचक नारायण महराजजी ने प्रथम दिन वेद पूजन , भागवत पुराण की महत्ता और शुकदेव जन्म की कथा पर विस्तार पूर्वक प्रवचन देते हुये कहा कि कैसे अत्यंत पापी धुंधकारी भी कथा को सुनकर मोक्ष पा गया। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित ग्रंथ श्रीमद्भागवत महापुराण समस्त शास्त्रों का सार तत्व हैं और जीवन का व्यवहार हैं ।

श्रीमद्भागवत कथा अठारह पुराणों में से एक हैं , इसके 12 खंड 335 अध्याय और 18000 श्लोक हैं और इस महान ग्रंथ के नायक भगवान श्रीकृष्ण हैं। भागवत महापुराण कथा के मार्मिक रहस्यों का प्रतिपादन करते हुये महाराजश्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा पितृ तृप्ति के लिये , वर्तमान को साधन बनाने के लिये औ बच्चों का भविष्य संवारने के लिये इन तीन उद्देश्यों के साथ की जाती हैं। प्रथम दिवस की कथा विश्राम पश्चात आयोजक परिवार ने व्यासपीठ की आरती उतारी। गौरतलब है कि कोसा, कांसा और कंचन की नगरी चांपा के शिवाय मारुति बिहार कालोनी, शासकीय बिसाहू दास महंत चिकित्सालय के पास श्रीमद्भागवत कथा का शुभांरभ आज भव्य कलश यात्रा निकालकर की गई। परंपरागत पीली और लाल साड़ियों में सौभाग्यवती मातृ-शक्ति , बहनें और छोटी-छोटी कन्यायें बैंड-बाजा एवं भजन-कीर्तन के साथ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर डोगा घाट से कलश यात्रा प्रारंभ होकर मोदी चौक , थाना चौक , लायंस चौक होते-होते यज्ञ स्थल मारुती बिहार पहुंची। सुसज्जित पांच घोड़े की बग्घी पर छत्तीसगढ़ के गौरव , माटी पुत्र , राष्ट्रीय कथा वाचक,पूज्य नारायण महराज , श्रीराधे निकुंज रोहणी धाम , जांजगिरी , भिलाई -3 विराजमान रहे। कलश यात्रा जिस मार्ग से होकर गुजरती हुई आगे बढ़ रही थी, श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा के साथ जगह-जगह महराजश्री का आदर पूर्वक हाथ जोड़कर स्वागत किया।

यह शोभायात्रा वास्तव में कोसा ,कांसा और कंचन की नगरी चांपा के श्रद्धालु जनों को श्रीमद्भागवत कथा में शामिल होने का आमंत्रण है। वहीं शशिभूषण सोनी ने बताया कि शोभायात्रा नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए कथा स्थल पहुंची। जगह-जगह जल , शीतल पेय और स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। शोभायात्रा में भगवान श्रीकृष्ण की सुसज्जित नयनाभिराम मूर्ति , पारंपरिक परिधान में महिला और पुरुष ,मंगल ध्वनि और ढोल-नगाड़े के गूंज और साथ चल रहे श्रद्धालु भक्तों का उत्साह और उमंग से पूरी तरह से वातावरण भक्तिमय हो उठा। इसी के साथ ही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ और यह कथा 19 नवंबर तक जारी रहेगी। आयोजक ने अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को पाण्डाल में पहुंचकर कथा श्रवण करने का अनुरोध किया है।

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