Chhattisgarh

को वा दरिद्रो यत् तृष्णा विशाल:-सियाराम शरण दास

पय: पान: भुजंगानां केवलं विष वर्धनं

संगीतमय श्री राम कथा एवं विराट संत सम्मेलन कार्यक्रम श्री दूधाधारी मठ सत्संग भवन रायपुर में तृतीय दिवस श्रोताओं को श्री राम कथा का रसपान करते हुए व्यास पीठ की आसंदी से श्री अवधपुरी धाम उत्तर प्रदेश से पधारे हुए अनंतश्री विभूषित स्वामी सियाराम शरण दास महाराज ने कहा कि – धर्मात्मा को आज भी लोग धर्मात्मा ही कहते हैं और पापात्मा को पापात्मा ही भला व्यक्ति हमेशा भलाई ही करता है बुरा व्यक्ति बुराई। – *भलो भलाइहि पै लहइ,लहइ नीचाइहि नीचु। सुधा सराहिअ अमरतां। गरल सराहिअ मीचु।। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य माता-पिता और देवताओं की बात को नहीं मानता, साधु -संतों से सेवा करवाता है, संसार में वही निशाचर है। ऐसे आचरण वाले को ही राक्षस माना गया है। – मानहिं मातु पिता नहीं देवा। साधुन्ह सन करवावहीं सेवा। जाके अस आचरण भवानी। ते जानेहु निसिचर सब प्राणी।। संसार में दरिद्र कौन है, *को वा दरिद्रो ? यत् तृष्णा विशाल:! अर्थात संसार में वही दरिद्र है जिनके तृष्णा विशाल हैं। देवताओं ने पूछा *भगवान कहां मिलेंगे ? किसी ने कहा वे बैकुंठ वासी हैं, किसी ने अयोध्या, किसी ने चित्रकूट को और किसी ने वृंदावन का नाम सुझाया। आपकी सच्ची श्रद्धा, सत्य निष्ठा हो तो बालाजी सरकार के दरबार श्री दूधाधारी मठ रायपुर में श्री राम मिलेंगे! भगवान शंकर जी ने कहा है – *हरि व्यापक सर्वत्र समाना प्रेम ते प्रकट होहिं मैं जाना।।* मूर्खों या अज्ञानियों को कभी भी उपदेश नहीं करना चाहिए।

पय:पानं भुजंगानां केवलं विष वर्धनं। दानवता का विनाश मानवता से ही हो सकता है। मानवता श्री राम जैसा हो जो वानर और रीछ को भी भगवान के कार्य में लगा दे। हमें ईश्वर को नहीं ढूंढना है! गुरु को ढूंढना है हरि की कृपा से गुरु भी मिलेंगे, गुरु मिल गए तो युगल सरकार भी मिलेंगे गुरु नारद के जैसा हो -“नारद श्राप दिन्ह इकबारा” नारद के श्राप से ही एक बार भगवान को जन्म लेना पड़ा यदि वरदान देते तो न जाने क्या हो जाता है ? सेवा में भगवान है, तपस्या और ब्रह्मचर्य से परमात्मा की प्राप्ति होती है। प्रत्येक दिवस की तरह महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज मुख्य अजमान के रूप में कथा श्रवण करने के लिए मंच पर विराजित थे। इनके अतिरिक्त कथा श्रवण करने के लिए प्रयागराज से श्री राम शिरोमणि दास जी महाराज, काशी से राम तिलक दास जी एवं तीर्थाटन के लिए आए हुए महात्मा गण तथा रीवा मध्य प्रदेश से राघव जी, अयोध्या प्रसाद त्रिवेदी, विजय पाली,रामकृष्ण पाली, राजेश अग्रवाल, मंगल विनोद अग्रवाल, अजय तिवारी, महेंद्र अग्रवाल, तोय निधि वैष्णव सहित अनेक गणमान्य नागरिक गण सम्मिलित हुए।

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