Chhattisgarh

CG ब्रेकिंग : सोलर पैनल स्टालेशन में लापरवाही पर कलेक्टर नाराज, ईई को थमाया नोटिस

बलौदाबाजार, 22 अक्टूबर।
कलेक्टर दीपक ने बुधवार को प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना की प्रगति की समीक्षा बैठक ली। बैठक में सीएसपीडीसीएल के अधिकारियों एवं नगर पालिका अधिकारियों को योजना की धीमी प्रगति पर कड़ी फटकार लगाई गई।

कलेक्टर ने जिले के लिए निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले कम आवेदन आने और सोलर पैनल इंस्टालेशन की धीमी रफ्तार पर नाराजगी जताई। उन्होंने बलौदाबाजार, भाटापारा और कसडोल के कार्यपालन अभियंताओं को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

कलेक्टर दीपक ने कहा कि प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जनप्रतिनिधियों, चेंबर ऑफ कॉमर्स और स्थानीय नागरिकों से चर्चा कर योजना की जानकारी दें। साथ ही, शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को भी अपने निजी आवास पर इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित करें।

कलेक्टर ने तीनों डिवीजन के कार्यपालन अभियंताओं को 10 दिनों के भीतर योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार कर प्रगति लाने के निर्देश दिए। साथ ही, सभी नगरीय निकायों में वेंडरों की सूची उपलब्ध कराने और उनके कार्य पर कड़ी निगरानी रखने को कहा। लापरवाही बरतने वालों पर कार्यवाही के निर्देश भी दिए गए।

बैठक में बताया गया कि जिले को वर्ष 2024-25 एवं 2025-26 के लिए 12,000 हितग्राहियों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब तक कुल 1,782 आवेदन प्राप्त हुए हैं और 397 हितग्राही लाभान्वित किए गए हैं। बलौदाबाजार संभाग को 4,081, भाटापारा को 4,415 और कसडोल को 3,504 हितग्राहियों का लक्ष्य दिया गया है।

योजना के तहत उपभोक्ताओं को आकर्षक सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है — एक किलोवाट सोलर सिस्टम पर 30,000 रुपये, दो किलोवाट पर 60,000 रुपये और तीन किलोवाट से दस किलोवाट तक के संयंत्र पर अधिकतम 78,000 रुपये की सब्सिडी केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भी 30,000 रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी स्वीकृत की गई है। इस प्रकार तीन किलोवाट तक के संयंत्र पर कुल 1,08,000 रुपये तक की दोहरी सब्सिडी उपलब्ध है।

योजना को सुगम बनाने के लिए 20 से अधिक बैंक और वित्तीय संस्थान 6 से 7 प्रतिशत ब्याज दर पर सोलर लोन की सुविधा भी दे रहे हैं, जिसके अंतर्गत परियोजना लागत का 90 प्रतिशत तक वित्तपोषण संभव है।

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