कोरबा सड़कों की दुर्दशा पर 16 अक्टूबर को विशाल धरना, 24 से गड्ढा नामकरण अभियान शुरू

0.कोरबा की जनता उतरेगी सड़कों पर, प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ आंदोलन का एलान
कोरबा, 14 अक्टूबर 2025।
शहर की जर्जर सड़कों और गड्ढों से आमजन की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। गौमाता चौक, ईमलीछापर चौक, कटघोरा रोड सहित शहर के भीतर की कई प्रमुख सड़कों की बदहाली को लेकर नागरिकों का आक्रोश अब आंदोलन में बदलने जा रहा है। इसी कड़ी में 16 अक्टूबर को ट्रांसपोर्ट नगर चौक में विशाल धरना प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।
आंदोलनकर्ताओं का कहना है कि एक सप्ताह पूर्व जिला कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर सड़कों की मरम्मत की मांग की गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नागरिकों ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन और नगर निगम सिर्फ कागजी दावे कर रहे हैं, जबकि शहर की सड़कों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।
24 अक्टूबर से ‘गड्ढा नामकरण अभियान’
धरना के बाद अब आंदोलनकारियों ने 24 अक्टूबर से “गड्ढा नामकरण अभियान” चलाने की घोषणा की है। इस अभियान के तहत शहरभर की जर्जर सड़कों और गड्ढों पर संबंधित विभागों और अधिकारियों को प्रतीकात्मक तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा। नागरिक गड्ढों पर ‘पूजन’ कर उनका नामकरण करेंगे ताकि प्रशासन की नींद टूटे और जिम्मेदारी तय हो सके।
विभागों में जिम्मेदारी टालने का खेल
आम नागरिकों ने आरोप लगाया कि पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और एसईसीएल जैसे विभाग एक-दूसरे पर दोष मढ़कर पल्ला झाड़ रहे हैं। इससे सड़क मरम्मत का काम अधर में लटका हुआ है। शहर के कई हिस्सों में गड्ढों और धूल की वजह से लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है।
सभापति ने उठाई आवाज़
नगर निगम सभापति नूतन सिंह ठाकुर ने कहा कि नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं — सड़क, बिजली और पानी — की अनदेखी हो रही है। जब निर्वाचित पार्षद अधिकारियों को समस्या बताते हैं, तो उन्हें नज़रअंदाज़ किया जाता है। अधिकारियों की मनमानी से जनता त्रस्त है और वे केवल कागजी खानापूर्ति कर सरकार को गुमराह कर रहे हैं।
चेतावनी: नहीं सुधरे हालात तो चक्काजाम और अनशन
आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि धरना और गड्ढा नामकरण अभियान के बाद भी सड़कों की स्थिति नहीं सुधरी, तो चक्काजाम और अनिश्चितकालीन अनशन जैसे कठोर कदम उठाए जाएंगे।
त्योहारी सीजन में जब लोग खरीदारी और आवागमन के लिए बाहर निकलते हैं, तब सड़क की दुर्दशा उनकी परेशानी को और बढ़ा रही है। नागरिकों ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रशासन की कुंभकर्णी नींद तोड़ी जाए और जनता की आवाज़ सड़कों तक पहुंचाई जाए।