National

स्पष्ट और पारदर्शी कानून ही लोकतंत्र की आत्मा : ओम बिरला

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा है। स्पष्ट, सरल और पारदर्शी कानून ही लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हैं और जनता का विश्वास शासन-प्रशासन में और अधिक मजबूत करते हैं। समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुरूप कानूनों में संशोधन और नए कानूनों का निर्माण आवश्यक है। हमारा प्रयास है कि हम बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करके आने वाले समय में ऐसे विधायी मसौदे तैयार कर सकें, जो नागरिकों के कल्याण और राज्य के विकास के लिए अधिक प्रभावी साबित हों।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण, कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यू टी खादर फरीद, हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ कृष्ण लाल मिड्ढा उपस्थित रहे। ओम बिरला ने कहा कि हरियाणा की धरती लोकतांत्रिक मूल्यों की सदैव प्रहरी रही है। इस राज्य ने आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर देशभर में अपनी विशेष पहचान बनाई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने किसानों की सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदकर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार लगातार लोगों के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए जवाबदेही और कानून के शासन को सुदृढ़ कर रही है। हमें भी सामूहिक प्रयासों के साथ अच्छा विधायी मसौदा तैयार करने के दृष्टिकोण से काम करना है ताकि कानून अपने उद्देश्य को पूरी तरह से पूरा कर सके। भारत का संविधान आज भी मार्गदर्शक, विधायी प्रक्रिया में संवाद और सहमति आवश्यक

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत का संविधान आज भी हम सभी के लिए एक सशक्त मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है। इसके निर्माण की प्रक्रिया एक लंबी चर्चा, विस्तृत संवाद और सहमति-असहमति के दौर से गुज़री। हर विषय पर गहन बहस हुई, लेकिन अंततः सर्वसम्मति से वह संविधान बना, जो उस समय की परिस्थितियों के अनुरूप था। उस दौर में संविधान ने देश का मार्गदर्शन किया, और आज भी यह हमारे लिए जीवंत रूप में प्रेरणा और दिशा देने का कार्य कर रहा है। संविधान ने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्पष्ट शक्तियां निर्धारित की हैं, और इन्हीं सीमाओं में रहकर संसद एवं विधानसभाएं जनता की आकांक्षाओं को कानूनी स्वरूप देती हैं।

उन्होंने कहा कि कभी ऐसा समय था जब विधायी विभागों में अनुभवी विशेषज्ञ बड़ी संख्या में कार्यरत थे। लेकिन समय के साथ वे सेवानिवृत्त होते गए और धीरे-धीरे विधायी मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों की कमी महसूस होने लगी। इसी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह अनुभव किया कि विधायी ड्राफ्टिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए निरंतर प्रशिक्षण आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य की विधानसभाएँ और राज्य सरकारें नियमित रूप से विधायी ड्राफ्टिंग से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करें। इसका उद्देश्य यह है कि जिन अनुभवी विशेषज्ञों ने अनेक महत्वपूर्ण कानूनों के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई है, उनके अनुभव का लाभ नई पीढ़ी तक पहुंच सके।

Related Articles

Back to top button