Chhattisgarh

नेत्रहीन संस्था पहुँचीं समाज कल्याण मंत्री, 20 लाख की सौगात बच्चों के चेहरे पर आई मुस्कान

० दिव्यांग बच्चे ही समाज की असली धरोहर, इन्हें सरकार हर संभव करेगी सहयोग – लक्ष्मी राजवाड़े

एमसीबी, 16 सितम्बर 2025/ महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े का जिले में आगमन नेत्रहीन एवं दिव्यांग संस्था के लिए गौरव और उत्साह विषय रहा। उनके साथ समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक भूपेंद्र पांडेय, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के कलेक्टर डी.राहुल वेंकट एवं डिप्टी कलेक्टर तथा समाज कल्याण विभाग की प्रभारी डिप्टी डायरेक्टर श्रीमती इंद्रा मिश्रा सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनमानस की भागीदारी रही, जिसने पूरे आयोजन को भव्यता प्रदान की। संस्था परिसर में मंत्री का पारंपरिक और आत्मीय स्वागत किया गया। छात्रा श्रद्धा वर्मा एवं शिक्षिका श्रीमती आरती पांडेय ने पुष्पगुच्छ और शुभकामनाओं के साथ सम्मान किया। इसके पश्चात संस्था के प्राचार्य संतोष चढ़ोकर ने संस्था की गतिविधियों, अब तक की उपलब्धियों, बच्चों के प्रशिक्षण कार्य, शिक्षण पद्धति और संस्था के समर्पित प्रयासों पर आधारित विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

नेत्रहीन व विकलांग शिक्षण-प्रशिक्षण एवं धर्मार्थ समिति आमाखेरवा, मनेन्द्रगढ़ के अंतर्गत संचालित नेत्रहीन व विकलांग शिक्षण-प्रशिक्षण विद्यालय, जिला एमसीबी एवं सरगुजा संभाग का एकमात्र ऐसा संस्थान है जो दृष्टिहीन बच्चों को शिक्षित, प्रशिक्षित कर उनके संपूर्ण पुनर्वास हेतु विगत 27 वर्षों से निरंतर कार्यरत है। वर्तमान में संस्था में 80 छात्र अध्ययनरत एवं निवासरत हैं। संस्था द्वारा दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षा, भोजन, आवास, स्वास्थ्य और अन्य सभी आवश्यक सुविधाएँ पूरी तरह निःशुल्क प्रदान की जाती हैं।

संस्था को समाज कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ शासन से विगत 23 वर्षों से निरंतर कलेक्टर दर पर अनुदान प्राप्त हो रहा है, किंतु वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह राशि अपर्याप्त साबित हो रही है। बच्चों के भरण-पोषण हेतु प्राप्त राशि भी अत्यंत सीमित है और कर्मचारियों को अब भी केवल कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाता है, जिसके कारण कर्मचारियों और हितग्राहियों का जीवनयापन कठिन हो रहा है। लगभग 30 वर्ष पुराने भवन की मरम्मत की भी आवश्यकता है जो समय-समय पर क्षतिग्रस्त होता रहता है।

साथ ही दिव्यांग छात्रों के लिए अध्ययन सामग्री, स्टेशनरी, स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं और अन्य गतिविधियों हेतु भी प्रतिवर्ष अतिरिक्त राशि की दरकार होती है। वहीं संस्था ने मांग की है कि अन्य विशेष शासकीय दिव्यांग विद्यालयों की तरह इस विद्यालय को भी शत-प्रतिशत अनुदान राशि दी जाए, साथ ही कर्मचारियों को समान वेतनमान और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि संस्था का संचालन सुचारू रूप से हो सके।

बच्चों की प्रस्तुतियां और मांग पत्र
कार्यक्रम का सबसे भावनात्मक और प्रेरणादायी क्षण तब आया जब दृष्टिबाधित बच्चों ने अपनी मधुर संगीत प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। बच्चों की गायन-वादन कला ने उपस्थित अतिथियों को गहराई से प्रभावित किया। वहीं छात्र मंगलू सिंह ने अपनी विशेष प्रतिभा का अद्भुत प्रदर्शन कर न केवल सभी को अचंभित कर दिया बल्कि यह संदेश भी दिया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से कोई भी सीमा असंभव नहीं होती। उनकी प्रस्तुति पर उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गड़गड़ाहट से उत्साहवर्धन किया। संस्था की ओर से मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को ज्ञापन सौंपा गया जिसमें मरम्मत, भरण-पोषण, मानदेय, शत-प्रतिशत अनुदान और विशेष सुविधाओं की मांगें रखी गईं।

मंत्री की घोषणा और आश्वासन
मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने इन मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए संस्था के विकास और मरम्मत कार्यों हेतु 20 लाख रुपये की राशि स्वीकृत करने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि बच्चों के भरण-पोषण एवं कर्मचारियों के मानदेय से संबंधित विषयों पर नियमानुसार शीघ्र कार्यवाही की जाए ताकि संस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके। अपने संबोधन में मंत्री राजवाड़े ने संस्था की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान समाज में विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए प्रेरणादायक कार्य कर रहा है। उन्होंने बच्चों की प्रतिभा को नमन करते हुए कहा कि ऐसे बच्चे समाज की असली धरोहर हैं और उनके विकास व शिक्षा के लिए सरकार सदैव प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भविष्य में भी इस संस्था को आवश्यकतानुसार हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। पूरे कार्यक्रम का संचालन राकेश गुप्ता ने बेहद कुशलता और प्रभावशाली ढंग से किया।

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