पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में अभिनव पहल — रूमगड़ा हाई स्कूल में कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य पर पौधारोपण एवं जागरूकता कार्यक्रम संपन्न

कोरबा, 26 जुलाई – आज रूमगड़ा स्थित शासकीय हाई स्कूल के प्रांगण में शिव फाउंडेशन एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में एक महत्त्वपूर्ण पौधारोपण एवं वन्यजीव जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित कर मां सरस्वती की पूजा अर्चना किया गया उसके पश्चात सभी अतिथियों को भगवा गमछा भेट कर स्वागत किया गया,यह आयोजन छात्रों में पर्यावरणीय चेतना को विकसित करने और जैव विविधता के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से किया गया।

पौधारोपण गतिविधि:
कार्यक्रम के प्रथम चरण में विद्यालय परिसर में विभिन्न प्रकार के बहुपयोगी एवं स्थानीय जलवायु के अनुकूल वृक्षों का पौधारोपण किया गया। इसमें बादाम, महोगनी, बहेड़ा (बिही), जामुन, नीम और कुसुम जैसे पौधों को शामिल किया गया, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण हैं बल्कि स्थानीय वनस्पतिक विविधता को भी समृद्ध करते हैं।

शिव फाउंडेशन और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के प्रतिनिधियों, स्कूल स्टाफ, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से इन पौधों का रोपण कर भविष्य में उनके संरक्षण का संकल्प लिया।
वन्यजीव जागरूकता सत्र:
पौधारोपण के उपरांत आयोजित जागरूकता सत्र में नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को वन्यजीवों की विविधता, उनके व्यवहार, पारिस्थितिकीय भूमिका और संरक्षण की आवश्यकता के बारे में सरल एवं रोचक ढंग से जानकारी दी।
जितेन्द्र सारथी, संस्था के मुख्य वन्यजीव रेस्क्यू विशेषज्ञ, ने सांपों की प्रजातियों, उनके पारिस्थितिकी में योगदान, आम मिथकों और बचाव तकनीकों पर गहन जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि सांप मानव के लिए कितने आवश्यक हैं और किस प्रकार उनसे डर की बजाय समझ और सह-अस्तित्व की भावना रखनी चाहिए।
मयंक बागची, वरिष्ठ जीवविज्ञानी, ने स्थानीय पक्षियों की पहचान, प्रवास व्यवहार, उनके आवास की आवश्यकता, और मनुष्य के कारण हो रहे उनके खतरे पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे पेड़-पौधों की कटाई, प्रदूषण और शोर पक्षियों के अस्तित्व के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।
भूपेंद्र जगत, संस्था के वरिष्ठ फील्ड अनुसंधानकर्ता, ने बाघों के संरक्षण, उनके व्यवहार, वनवास, और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसे विषयों पर विद्यार्थियों को जागरूक किया। उन्होंने यह भी समझाया कि किस प्रकार विज्ञान आधारित उपायों से बाघों की रक्षा की जा सकती है और स्थानीय समुदाय की भागीदारी इसमें महत्त्वपूर्ण है।
विद्यार्थियों की भागीदारी:
इस कार्यक्रम में विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने न केवल पौधारोपण में हिस्सा लिया, बल्कि वन्यजीव विशेषज्ञों से संवाद भी किया और सवाल पूछकर अपने ज्ञान में वृद्धि की। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण की शपथ ली।
उद्देश्य और प्रभाव:
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों एवं समुदाय को यह समझाना था कि पौधे और वन्यजीव केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि हमारे पारिस्थितिकीय संतुलन के मूल आधार हैं। ऐसे प्रयास छात्रों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का बीजारोपण करते हैं।
इस कार्यक्रम में विशेष रूप से वाइल्डलाइफ (नोवा नेचर)रेस्क्यु टीम प्रमुख जितेंद्र सारथी, नोवा नेचर से मयंक बक्शी, भूपेंद्र जगत, प्राचार्य सुरेंद्र कुमार बैज, प्रसाद सीमा कंवर, समाज सेवी गजेंद्र मनासर, किरण टांडे, ज्योति तिग्गा एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहें।
संस्थान की भूमिका:
नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी और शिव फाउंडेशन लंबे समय से कोरबा क्षेत्र में पर्यावरणीय शिक्षा, वन्यजीव बचाव, और जैव विविधता के संरक्षण हेतु कार्यरत हैं। यह कार्यक्रम भी उनकी उसी श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें स्थानीय स्तर पर प्रभावी कार्यों के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जाता है।