ईडी की कार्रवाई से घबराए बघेल को पार्टी से नहीं मिला पूरा साथ, दिल्ली की ओर बढ़े कदम

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रहे हैं। उनके बेटे चैतन्य बघेल को ₹3,200 करोड़ के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है । इस गिरफ्तारी के बाद बघेल की राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आ रही है, और कांग्रेस के भीतर उन्हें अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा।
शनिवार को रायपुर में आयोजित कांग्रेस की बैठक में माहौल तनावपूर्ण रहा। सूत्रों के अनुसार, बैठक में बघेल को पार्टी नेताओं की नाराज़गी का सामना करना पड़ा और उन्हें समर्थन जुटाने के लिए अपने तेवर नरम करने पड़े। पत्रकार परिषद से पहले ही पार्टी में मतभेद की खबरें बाहर आ चुकी थीं, जिससे विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत को सफाई देनी पड़ी कि कांग्रेस में कोई फूट नहीं है।
पत्रकार परिषद में महंत ने अडानी पर सीधा हमला करने से बचते हुए राज्य के सभी प्रमुख निवेशकों—जिंदल, मित्तल, अडानी—का नाम लिया। वहीं बघेल लगातार अडानी और भाजपा पर हमलावर रहे, लेकिन कांग्रेस के अन्य नेता उनके सुर में सुर नहीं मिला रहे हैं। चैतन्य की गिरफ्तारी के दिन भी कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में शांति बनाए रखी और बघेल के आह्वान के बावजूद कोई ED कार्यालय नहीं गया ।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के कई नेता मानते हैं कि पार्टी को जनहित के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि एक भ्रष्ट परिवार के बचाव में उतरना चाहिए। बघेल ने पत्रकार वार्ता में दिल्ली जाने के संकेत देकर पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश की।
बघेल जिस कोयला परियोजना का आज विरोध कर रहे हैं, उसी को उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए आगे बढ़ाया था। महाराष्ट्र की सरकारी कंपनी महाजेनको को आवंटित इस परियोजना में अडानी केवल एक ठेकेदार है, जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी निविदा के माध्यम से चुना गया था। अब जब भाजपा की सरकार है, बघेल ने अपना रुख बदल लिया है।