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फरहान अख्तर की ‘लक्ष्य’ के शानदार 21 साल: एक नौजवान की सोच से सिपाही बनने तक की है खास कहानी

मुंबई। 2004 में आई ‘लक्ष्य’ अब भी सबसे दिल को छू लेने वाली वॉर फिल्मों में से एक मानी जाती है। ये सिर्फ लड़ाई की नहीं, एक लड़के से जवान बनने की कहानी है, जिसमें मकसद की ताक़त और देश के लिए कुछ करने का जज़्बा छुपा है। फरहान अख्तर के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म दिखावे नहीं, दिल से बनाई गई थी इसलिए आज भी उतनी ही खास लगती है।

एक भटके हुए नौजवान की अंदर की लड़ाई को फौजी ज़िंदगी के बड़े मैदान से जोड़ते हुए ‘लक्ष्य’ ने करण शेरगिल (ऋतिक रोशन) की ऐसी कहानी दिखाई जो दिल छू गई। कैसे एक बेपरवाह लड़का धीरे-धीरे मेहनत करके एक सच्चा सिपाही बना। फिल्म में ऋतिक रोशन, प्रीति ज़िंटा और अमिताभ बच्चन की एक्टिंग दमदार थी। शंकर-एहसान-लॉय का म्यूज़िक और जावेद अख्तर के लिखे दिल से निकले डायलॉग्स ने इसमें जान डाल दी। ये फिल्म दिखावे की नहीं, बल्कि जज़्बातों की बात करती है और शायद इसी वजह से आज भी उतनी ही असरदार लगती है।

जैसे ही फिल्म को पूरे 21 साल हो गए, डायरेक्टर फरहान अख्तर ने सोशल मीडिया पर इस मौके को याद करते हुए एक दिल से निकला मैसेज शेयर किया:

‘लक्ष्य’ सिर्फ एक वॉर फिल्म नहीं थी बल्कि ये पहचान, फर्ज़ और अंदर की ताक़त पर बनी एक सिनेमा की साधना थी। इसकी गहराई, सच्ची भावनाएं और खूबसूरत विजुअल्स आज भी हर पीढ़ी को इंस्पायर करते हैं।

अब जब एक्सेल एंटरटेनमेंट अपनी अगली वॉर ड्रामा 120 बहादुर के लिए तैयार है — जो रेजांग ला की असली जंग पर आधारित है — तो एक सधी हुई कड़ी सी महसूस होती है। जहां लक्ष्य ने एक काल्पनिक सोल्जर की आत्मिक यात्रा दिखाई थी, वहीं 120 बहादुर में दिखेगा मेजर शैतान सिंह और चार्ली कंपनी के 120 जवानों का वो सच्चा साहस, जिसने हिंदुस्तान के सैन्य इतिहास की सबसे यादगार लड़ाइयों में अपनी जगह बनाई।

लक्ष्य से लेकर 120 बहादुर तक, जंग की कहानियों से फरहान अख्तर का रिश्ता हमेशा साहस, साफ सोच और भरोसे की भावना से जुड़ा रहा है, ये कहानियां कभी दिखावे के लिए नहीं, बल्कि दिल से कही गई हैं।

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