अक्षर का ज्ञान आपको विद्वान बनाता है लेकिन अवसर का ज्ञान आपको महान बना देता है: विरागमुनि जी
आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024
रायपुर । दादाबाड़ी में आत्मस्पर्शी चातुर्मास 2024 के तीसरे दिन दीर्घ तपस्वी विरागमुनि जी ने कहा कि आज हमें जो यह मनुष्य जीवन मिला वह अनंत पुण्यों के बाद हमें प्राप्त हुआ है, इसके लिए देव भी तरसते हैं लेकिन हमने क्या किया इस दुर्लभ जीवन को सांसारिक पदार्थों को इकट्ठा करने में लगा दिया। अगर यही पुरुषार्थ हमने धर्म के प्रति किया होता तो आज हम मोक्ष के कितने करीब होते यह आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। अगर केवल पैसों से सुख मिल जाता तो आज बड़े-बड़े उद्योगपति, नेता-मंत्री टेंशन फ्री जीवन जीते लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। लोग जितने बड़े पद पर पहुंचते हैं उनकी टेंशन भी उतनी ही बढ़ जाती है जबकि उनके पास धन बल की कोई कमी नहीं होती फिर भी उन्हें यह टेंशन रहता है कि कोई कंपीटीटर हमसे आगे ना बढ़ जाए, हमारी स्टेटस पर कोई फर्क ना पड़े और हमारा पोर्टफोलियो खराब ना हो जाए।
उन्होंने आगे कहा कि आज विश्व में जैन समाज तार्किकता और वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है, जिसके नियम आज सभी पर लागू होते हैं। कोई नियम ऐसा नहीं है जो किसी व्यक्ति पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव डालें यानी कोई भी व्यक्ति जैन समाज के नियमों को नजरअंदाज नहीं कर सकता। जिस दिन आपने जैन समाज के लॉजिक को समझ लिया उसे दिन से आपके पापों का क्षय होना शुरू हो जाएगा। आज जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं पाप का दायरा भी बढ़ रहा है और उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है। उम्र के साथ इच्छाएं भी बढ़ रही है और पुण्य तो बढ़ ही रहा है लेकिन उसकी तुलना में पाप भी तेजी से बढ़ रहा है। अक्षर का ज्ञान आपको विद्वान बनता है और अवसर का ज्ञान आपको महान बनाता है। हमें अपने जीवन में ऐसे अवसरों की खोज में हमेशा रहना चाहिए जो आपका कल्याण कर सके। ऐसे कल्याण मित्र बनाएं जो आपका जीवन सवार दे। वैसे ही मनुष्य के जीवन में तीन शत्रु आपको खत्म करने के लिए बैठे हुए हैं। जिसमें पहले है वृद्धावस्था, दूसरा है रोग और तीसरा है मृत्यु। हम कोई भी काम शुरू करने के लिए इस समय बाद या उसे कार्यक्रम के बाद ऐसा कर तारीख तय करते रहते हैं और इस चक्कर में हम उसे महत्वपूर्ण समय को भी गंवा देते हैं जिस पल हमें समय का सदुपयोग कर लेना चाहिए था।
उन्होंने आगे कहा कि आज आध्यात्म पर आपका ध्यान नहीं है इसलिए आपको बाहर की दुनिया अच्छी लग रही है लेकिन जिस दिन आपके अंदर आध्यात्म जाग जाएगा उसे दिन दुनिया से आपका मोह भंग होने लगेगा। आज तो प्रवचन सुनने भी सब अलग-अलग समय पर आते हैं और समय देखकर तुरंत निकल भी जाते हैं। जैसे ही प्रवचन का समय खत्म होता है वैसे ही पंडाल खाली होने लगता है। किसी भी धर्म स्थल में लोगों को जुटने में बहुत समय लगता है लेकिन केवल कुछ मिनट के अंदर ही पूरा पंडाल खाली हो जाता है। आज अनुकूल परिस्थितियों में भी लोग परेशान हैं, जबकि आज से तीन-चार सौ साल पहले जो राजा महाराजा थे उनके पास भी इतनी सुख सुविधा नहीं थी जितनी कि आज आपके पास है। हम अपनी कमजोरी को आज पहचान नहीं पा रहे हैं लेकिन जिस दिन हम इसे पहचानेंगे उसे दिन हमारे जीवन का कल्याण हो जाएगा, आप अपने मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ाने लगोगे और उस दिन हमें दुनिया की कोई भी परिस्थिति दुखी नहीं कर पाएगी।
आत्मस्पर्शी चातुर्मास समिति 2024 के प्रचार प्रसार संयोजक तरुण कोचर और नीलेश गोलछा ने बताया कि गुरू पूर्णिमा के अवसर पर गुरू पूजा का लाभ संपतलाल, नरेश कुमार, बबीता बुरड़ परिवार रायपुर को प्राप्त हुआ। साथ ही उन्होंने अपील करते हुए कहा कि दादाबाड़ी में सुबह 8.45 से 9.45 बजे मुनिश्री का प्रवचन होगा।