National

गोंडा ट्रेन एक्सीडेंट : रेलवे को पता थीं खामियां…, फिर भी दौड़ी ट्रेन, आदेश के बावजूद ब्लॉक नहीं किया ट्रैक

गोंडा: चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे के बाद रेलवे की संरक्षा और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। गोंडा से मोतीगंज-झिलाही रेलमार्ग पहले से ही कमजोर था। इसकी रिपोर्ट भी रेलवे के पास थी और बृहस्पतिवार को ही ट्रैक को ब्लाॅक करने का आदेश भी मिला था। इसके बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। एक्सप्रेस ट्रेन को कमजोर ट्रैक पर ही जाने दिया गया और देखते ही देखते गंभीर हादसा हो गया।

हादसे के बाद रेलवे ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब चार फीट खिसका मिला। ट्रैक के पास पानी भी भरा था। इसकी वजह से ट्रैक को कमजोर माना जा रहा है। यही वजह है कि फॉरेंसिक टीम ने रेलवे ट्रैक, गिट्टी और मिट्टी का सैंपल लिया। रेलवे अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर रेलवे ट्रैक को परखा। विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रथम दृष्टया हादसे की वजह घटना स्थल के पास गड्ढे और पानी भरा होना है, जिससे ट्रेन के पहुंचते ही ट्रैक खिसक गया। माना जा रहा है कि ट्रैक में खामियों की वजह से ही ट्रेन डिरेल हुई।

हादसे की वजह जानने के लिए 21 जुलाई को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) पर्णजीव सक्सेना विस्तृत जांच करेंगे। वहीं, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीके सिंह ने ब्लॉक मिलने की बात से इन्कार किया है। इस बीच कीमैन के वायरल ऑडियो से स्पष्ट है कि उसने चार दिन पहले ही ट्रैक के कमजोर होने की जानकारी जिम्मेदारों को दी थी। इससे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय है।



हादसे की गहराई से हो रही है पड़ताल
रेलवे अफसरों के अनुसार मौसम बदलने से पटरी चटक जाती है। चटकी हुई पटरी पर तेज रफ्तार ट्रेन आने पर अक्सर पटरियां अलग हो जाती हैं और ट्रेन डिरेल हो जाती है। ऐसे में जांच टीम यह पता लगाने में जुटी है कि हादसे के वक्त डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस कितनी स्पीड से दौड़ रही थी? हादसे के बाद लोको पायलट और गांव के लोगों ने धमाके की तेज आवाज सुनी वह क्या थी? पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार ने धमाके की पुष्टि की थी। फिलहाल पुलिस ने धमाके से इन्कार किया है I

Related Articles

Back to top button