व्यक्ति, संस्था, राजनीतिक दल को किसी के धर्म जाति पर आपत्तिजनक टिप्पणी का अधिकार नहीं… कान्ति शरण निगम

सत्ता पर काबिज होते ही जनता को सेवक बनाकर अपने चारों ओर चक्कर लगवाते हैं नेता।

मीडिया के सवालों का जवाब देना जनप्रतिनिधियों का दायित्व है।


कानपुर, 21 मार्च । माफिया और अपराधी छवि के नेता भारतीय राजनीति के लिए कलंक। भारत में संसदीय चुनावों की तारीखों के ऐलान के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। ऐसे में चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के अनुपालन में सभी राज्यों के मुख्य सचिव द्वारा अपने जिलों के निर्वाचन अधिकारियों के माध्यम से आम जनमानस और राजनीतिक कार्यों में संलिप्त जनप्रतिनिधियों के लिए नियम और कानून के संबंध में नोट्स जारी किए गए हैं।

कान्ति शरण निगम, सोशल वर्कर एंड राजनीतिक विश्लेषक

चुनाव आयोग के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना अति आवश्यक है। पांच साल के संवैधानिक पद पर आसीन जनप्रतिनिधियों से उनके क्षेत्र में आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, भ्रटाचार मुक्त शासन की कार्य प्रणाली, गड्ढा मुक्त सुगम यातायात, आवास, स्वच्छ जल, प्राकृतिक संरक्षण, नागरिक सुरक्षा, रोजगार, निर्बाध बिजली आपूर्ति आदि जनहित के मुद्दों पर प्रिंट, इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल मीडिया के रिपोर्टर द्वारा सवाल पूछना मीडिया का कर्तव्य है और उन पूछे जाने वाले सवालों से खुद को बचाने के लिए मीडिया में ही आपसी विद्वेष राग का जन्म करवाकर, मीडिया कर्मियों पर झूठे मुकदमे लगवाकर, शासन और प्रशासन द्वारा मीडिया को अपमानित करवाकर उनकी छवि को खराब करने वाले जनप्रतिनिधि जवाब देने से बच नहीं सकते क्योंकि जनहित से जुड़े मुद्दे पर जवाब देना उनका दायित्व है। शहर के एक विद्यालय में बुद्धिजीवियों के बीच आयोजित "वर्तमान राजनीति और आचार संहिता अनुपालन" विषयक गोष्ठी पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के दबौली निवासी स्वतंत्र लेखक, सोशल एक्टिविस्ट एंड जर्नलिस्ट कान्ति शरण निगम ने उक्त विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान राजनीति में अपराधी और माफिया प्रवृति के लोगों की सक्रियता के चलते राजनीति कलंकित हो रही है और समाज की सच्ची सेवा में समर्पित वास्तविक सेवक मूल राजनीति धारा से हटाकर हाशिए पर किए जा रहे हैं जो आगामी भविष्य में लोकतंत्र और जनहित के लिए अत्यंत ही हानिकारक दुष्परिणाम घटित करने में कारक होंगे। अंत में उन्होंने समाज के सभी वर्गों से अपील करते हुए कहा किसी भी व्यक्ति, संगठन या राजनीतिक दल को किसी के धर्म जाति पर विवादित टिप्पणी का अधिकार नहीं है और इससे समाज की सुख शांति और कानून व्यवस्था के लिए संकट का उदय होता है। हम सभी को ऐसे किसी भी दल या संगठन का समर्थक नहीं बनना चाहिए जो समाज में घृणा और वैमनस्यता को बढ़ाने के लिए भड़काने वाला बयान जारी करते हों।

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