रचना आसपास_ दुर्गा प्रसाद पारकर

दुर्गा प्रसाद पारकर
[ भिलाई, जिला- दुर्ग, छत्तीसगढ़ ]

राम नाम सत्त हे
सबके इही गत्त हे
तभो ले ए काया
मोह माया म मदमस्त हे ।

इच्छा ह
पल पल म जनम लेथे
इच्छा रूपी मृगमिरिचका ल
पूरा करे बर
हिरन कस जीनगी भर
दउड़त राह
दउड़त दउड़त तन ह थक जथे
ताहन पिंजरा के सुवना ह
उड़ जथे

इच्छा तो पूरा नइ हो सकय
इच्छा तो
दाह संस्कार के संग
खतम होथे
दू दिन दुख म
परिवार ह फफक फफक के रोथे
ताहन
फेर मोह माया के मेकरा जाला म
ए चोला ह
अपने अपन फस जथे

समय पता नइ चले
घड़ी के काटा ह कइसे घुमथे
जीनगी भर आनी बानी के
सपना बुनथे
मोह माया के चक्कर म
राम भजन म मन ल
लगाबे नइ करिस
देखते देखत यहू चोला ल
लेगे बर
यमराज ह पहुंचिस

दुनिया वाले मन किहिन
राम नाम सत्त हे
सबके इही गत्त हे
फेर माने कोन
जब राम नाम सत्त हे
त राम नाम के सुमिरन
कर लेथन
अपन धरम ल निभाए बर
अवइया पीढ़ी ल
सनातन के संस्कार दे देथन.

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