मुख्यमंत्री के जन्मदिवस पर विशेष: न्याय योजनाओं से खुशहाल हुआ छत्तीसगढ़

महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार और आय के साधन मिले हैं। प्रदेश में 300 रीपा विकसित किए जा रहे हैं, जिनमें ग्रामीण युवाओं को छोटे-छोटे उद्योग धंधे प्रारंभ करने के लिए जमीन, बिजली, पानी, बैंक लिंकेज और प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। रीपा में पौनी-पसारी के तहत परम्परागत व्यवसाय करने वाले लोगों को भी अपनी गतिविधियों के लिए शेड उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगभग पौने दो लाख करोड़ रूपए की राशि जनता की जेब में डाली गई है। छत्तीसगढ़ सरकार की न्याय योजनाओं के चलते बीते पौने पांच सालों में प्रति व्यक्ति का 88,793 रूपए से बढ़कर 1,33,898 रूपए हो गई है। इस अवधि में छत्तीसगढ़ का जीएसडीपी 3,27,106 करोड़ रूपए से बढ़कर 5,09,043 करोड़ रूपए हो गयी है। मार्च 2020 से निरंतर दो वर्ष तक कोविड-19 आपदा के कारण आर्थिक गतिविधियां मद होने के बावजूद राज्य शासन की नीतियों और न्याय योजनाओं के चलते अर्थव्यवस्था के आकार में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 में कृषि, औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य की विकास दर राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा रही है।
राज्य शासन द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 24.30 लाख किसानों को इनपुट सब्सिडी के रूप में अब तक 21 हजार 912 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इसी तरह ‘राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ के 5.6 लाख हितग्राहियों को अब तक 758.03 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इस योजना के हितग्राहियों को किश्तों में प्रतिवर्ष 7000 रूपए की मदद दी जा रही है। ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत अब तक महिला स्व-सहायता समूहों, गौठान समितियों और ग्रामीणों को 551.31 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है।
इसी तरह राज्य में गठित किए 13 हजार 242 राजीव युवा मितान क्लबों को अब तक 132.48 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। बेरोजगारी भत्ता योजना के तहत प्रदेश के 01 लाख 22 हजार 625 हितग्राहियों को अब तक 112 करोड़ 43 लाख 30 हजार रूपए की राशि दी जा चुकी है। युवाओं को शासकीय नौकरी का अवसर प्रदान करने के लिए हाल ही में राज्य में 42 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया की जा रही है। प्रतियोगी परिक्षाओं में फीस माफ की गई है। राज्य के युवाओं को उद्योगों में रोजगार के अवसर दिलाने के लिए 36 आईटीआई का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। जहां नए जमाने के अनुरूप विभिन्न ट्रेडों में युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था रहेगी। इससे प्रतिवर्ष 10 हजार युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा।
तेन्दूपत्ता संग्राहकों की मेहनत का उचित मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार द्वारा तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर 2500 रूपए से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा की गई है। इसी तरह 67 प्रकार की लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ उनके प्रसंस्करण का काम प्रारंभ होने से वनोपज संग्राहकों की आय में वृद्धि हुई है।
राज्य सरकार द्वारा लागू की गई किसान हितैषी योजनाओं से प्रदेश में खेती-किसानी की अच्छी प्रगति हुई है। ऐसे किसान जो कृषि लागत बढ़ने के कारण खेती-किसानी छोड़ चुके थे, वे भी खेतों की ओर लौटे है। पिछले पौने पांच वर्षों में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या 12 लाख से बढ़कर 24 लाख से ज्यादा हो गई है। खेती का रकबा भी 24.46 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 31.17 लाख हेक्टेयर हो गया है। खेती की प्रगति से समर्थन मूल्य पर धान का उर्पाजन 55 लाख मीटरिक टन से बढ़कर 107 लाख मीटरिक टन हो गया है।
प्रदेश में मछली पालन, लाख पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा रेशम पालन और मधुमक्खी पालन को कृषि का दर्जा देने की घोषणा की गई है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के एवज में किसानों को वर्ष 2019-20 में 15 हजार 285 करोड़, वर्ष 2020-21 में 17 हजार 241 करोड़, वर्ष 2021-22 में 19 हजार 37 करोड़ तथा वर्ष 2022-23 में 22 हजार 67 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। खेती-किसानी को मिले प्रोत्साहन से शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन कृषि ऋण लेने वाले किसानों की संख्या वर्ष 2018-19 में 9.94 लाख से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 14.07 लाख हो गई है।
लोगों की बचत को बढ़ावा देने में राज्य सरकार की हाफ बिजली बिल योजना, जिसमें 400 यूनिट तक बिजली की खपत पर आधा बिजली बिल देना होता है। किसानों को रियायती दर पर बिजली की आपूर्ति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसानों को निःशुल्क बिजली प्रदाय, राज्य सरकार की सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली, इलाज के लिए डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत गरीबों को इलाज के लिए पांच लाख रूपए तक की सहायता, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत इलाज के लिए 20 लाख रूपए तक की सहायता उपलब्ध कराने की पहल की गई है। हमर लैब के माध्यम से जांच की सुविधा, हाट बाजार क्लिनिक योजना, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, दाई-दीदी क्लिनिक योजना जैसी योजनाओं ने भी लोगों के खर्च कम करने में मदद की है।
लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में छत्तीसगढ़ सरकार योजनाओं की सफलता पर नीति आयोग ने भी हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में मुहर लगायी है। इस रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के कबीरधाम, सरगुजा और दंतेवाड़ा में 23 से 25 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं। रायपुर, धमतरी और बालोद जिले में गरीबी का अनुपात अब 10 प्रतिशत से कम रह गया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी नीतियों और न्याय योजनाओं से राज्य के 40 लाख लोग गरीबी से बाहर निकलने में सफल हुए हैं।