Korba Breaking : दर्री डेम के दो गेट खुले, दो दिन की बारिश से छलका पानी

कोरबा, 20 मार्च । जिले के दर्री डेम में रविवार को दो गेट खोलने पड़ें। अचानक मौसम खराब होने से दो दिन तक हुई 23.23 मिमी वर्षा का असर दर्री बांध पर पड़ा। बायीं और दायीं तट नहर से पानी छोड़ने के बाद भी गेट से पानी छलकने लगा। में भराव को नियंत्रित करने के लिए सुबह सात बजे एक और ग्यारह नंबर गेट को एक फिट खोलना पड़ा। बेमौसम वर्षा से हसदेव नदी में मानसून जैसा नजारा दिखने लगा है।

आम तौर पर दर्री बांध का गेट बांगो गेट खुलने अथवा मानसून के दौरान खोला जाता है, लेकिन इस बार बेमौसम वर्षा से बांध के गेट को गर्मी के समय खोलने की नौबत आई है। शुक्रवार को 8.12 मिमी हुई वर्षा के बाद बांध में जल भराव का स्तर बढ़ने लगा। नहर के बायीं तट से 1265 और दायीं तट 1342 क्यूसेक प्रति सेकेंड पानी छोड़े जाने से बांध में पानी का भराव नियंत्रित था। शनिवार को हुई चौतरफा वर्षा असर देर रात बांध में पड़ने लगा। कोरबा के अलावा कोरिया जिला क्षेत्र में हुई वर्षा की वजह से बांध में तेजी से भराव हुआ। कोरबा क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों से बहकर इस बांध पानी पहुंचता है। यही वजह है कि बांगो बांध की जगह दर्री बांध में पानी अधिक भर जाता है।

नौबत यह आ गई कि नहर में पानी छोड़ने के बाद भी गेट से पानी छलकने लगा। मार्च महीने से ग्रीष्म का असर शुरू हो जाता है। नहर से निस्तारी के लिए पानी छोडना पड़ता है। नदी में पानी छोड़ने से पहले लोगों को सूचित किया जाता है। लेकिन अचानक हुई वर्षा से बांध का जल स्तर बढ़ने लगा और विभाग को बिना सूचना के ही पानी छोड़ना पड़ा। जल संसाधन विभाग के कंट्रोल रूम से प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार की शाम पांच बजे तक गेट क्रमांक 11 को एक फिट खोलकर पानी 1326 क्यूसेक प्रति सेकेंड पानी छोड़ा जा रहा था।

नदी कछार के किसानों को सहूलियत

नदी में पानी छोड़े जाने से नदी कछार योजना के तहत तटों पर खेती करने वालों को सहूलियत होगी। भले ही दो दिन तक हुई वर्षा से अभी जमीन में नमी है लेकिन आने वाले दिनों में इन किसानों को नदी में पानी होने से सिंचाई के

लिए आसानी होगी। जिला उद्यानिकी विभाग को इस बार नदी कछार योजना के तहत शासन से 42 हेक्टेयर भूमि में खेती के लिए लक्ष्य मिला हैं। खेती करने वाले किसानों को 4000 रूपये प्रति एकड़ सब्सिडी दी जाएगी।

गीला रेत निकालने में भी पीछे नहीं रेत माफिया

सुबह से ही नदी में पानी छोड़े जाने के बाद भी घाटों में रेत चोरी करने वालों की सक्रियता बनी रही। जान जोखिम में डाल कर ट्रैक्टर वाहन चालक नदी से गीला रेत निकाल रहे हैं। बताना होगा कि शहर में अब तक एक भी वैध रेत घाट का संचालन शुरू नहीं हुआ है। अवैध उत्खनन किए गए रेत के दोगुना दाम तस्कर वसूल रहे हैं। यही वजह है कि नदी से दिन के अलावा रात में भी रेत निकाला जा रहा है।

दो दिन की छुट्टी, नहीं हुआ नुकसान का आंकलन

दो दिन की वर्षा किसानों के फसल को जमकर नुकसान पहुंचाया है। रविवार और शनिवार को अवकाश होने के कारण प्रशासन की ओर से अभी तक आकलन शुरू नहीं हुआ हैं। वर्षा और तेज हवा की चपेट में आने से सर्वाधिक असर गेहूं की फसल पर हुआ है। रविवार को भले मौमस अन्य दिनों की तुलना कुछ हद तक साफ रहा लेकिन सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचना तय है। टमाटर, फूल गोभी और मिर्ची के पौधों में बीमारी पनपने लगी है। वहीं पंडरीपानी, बेंदरकोना, कुरूडीह करमंदी सहित आसपास के गांंवों में लगाए गए 140 एकड़ से भी अधिक गेहूं के फसल तेज हवा की वह से धराशायी हो गए हैं। वर्षा के कारण वातावरण में नमी अब भी बरकरार है। जिसका सीधा असर मौसमी फसलों पर पड़ने लगा हैं। धान के बदले कम लागत में अधिक उत्पादन को प्रोत्साहित किए जाने के कारण इस वर्ष किसानों ने गेहूं, अलसी और सब्जी की फसल ली है।