कैंसर डे पर विशेष:संभलिए! कोल्हान में हर साल तीन हजार लोगों को शिकार बना रहा जानलेवा कैंसर

जमशेदपुर ,04 फरवरी I साल दर साल कैंसर पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। टेक्नोलॉजी काफी आगे बढ़ चुकी है और कैंसर रिकवरी के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। परंतु ऐसी कई अस्वस्थ जीवन शैली है, जिसकी वजह से लोग कैंसर के शिकार बन रहे हैं। धूम्रपान, तंबाकू, अस्वस्थ खानपान की आदत, शारीरिक स्थिरता, अनप्रोटेक्टेड सेक्स से लेकर कई ऐसी अन्य गतिविधियां हैं जो लोगों को कैंसर के नजदीक ले जा रही हैं। वहीं देश में आज भी कई ऐसे पिछड़े वर्ग हैं, जिन्हें सेहत संबंधी उचित जानकारी न होने से कैंसर का खतरा बना रहता है। जमशेदपुर के जाने माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ. एस. कुंडू ने बताते हैं कि जमशेदपुर समेत देश भर में हर साल कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

इसकी मुख्य वजह जागरूकता की कमी और रहन-सहन के तरीके में बदलाव है। खासकर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर और पुरुष माउथ कैंसर के शिकार हो रहे हैं। आंकड़े पर गौर करें तो जमशेदपुर में वर्ष 2013 के बाद मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। फिलहाल कैंसर मरीजों की संख्या 26167 है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की नेशनल कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, कोल्हान में प्रतिवर्ष तीन हजार लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। कोल्हान के तीनों जिलों में काफी तेजी से यह बीमारी फैल रही है।

जमशेदपुर कैंसर सोसाइटी के अनुसार नए मरीजों के आंकड़े

वर्ष नए मरीज
2015 2987
2016 3000
2017 3171
2018 2944
2019 3061
2020 3193
2021 3122
2022 3254

शहर के कुल कैंसर मरीजों का अंग वार प्रतिशत

मुंह 28.5 बच्चेदानी 21.5 ब्रेस्ट 16.0 {पित की थैली 11.0 सांस की नली 9.0 हड्डी 5.0 स्किन 4.0 ब्लड 4.0 अन्य 2.5

कैंसर अस्पताल की मेडिकल आफिसर डॉ. अमिताभ उपाध्याय ने कहा कि मुंह के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू व सफाई नहीं करना है। इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। शुरुआती दौर में कैंसर की पहचान होने से इसका इलाज संभव है। लेकिन अफसोस आज भी अधिकतर मरीज देर से अस्पताल पहुंच रहे हैं जिससे रिकवरी में अधिक समय लग रहा है।

गर्दन में उभरी गांठ से पता चला कि कैंसर है, हौसले से हारी बीमारी

जमशेदपुर के चिन्मय विद्यालय के सोशल स्टडीज की शिक्षिका नीलिमा सहाय ने कैंसर को हिम्मत से हराया। वह पूरी तरह फिट हैं। वे बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ हौसले से हर मुश्किल जीतने की कला भी समझाती हैं। उनकी गर्दन के पास अचानक गांठ उभर आई। जांच में पता चला था कि यह कैंसर है।

दो साल पहले अचानक आई बीमारी को मधुमिता ने अपनी हिम्मत से हराया

पेशे से शिक्षिका मधुमिता बनर्जी को दो साल पहले कैंसर का पता चला लेकिन अपने हौसला की बदौलत कैंसर को मात देकर फिर बेहतर समाज के निर्माण में लग गई हैं। वे स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने, काउंसलर तथा विशेष बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों को ट्रेंड कर रही हैं।