सुकमा : दिव्यांग बच्चे अपनी कला के प्रदर्शन से बना रहे हैं अलग पहचान

सुकमा, 3 दिसम्बर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के आकार संस्था में 100 से अधिक दिव्यांग बच्चे यहां पर रहकर अध्यापन कार्य एवं विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर पूरे विश्व भर में दिव्यांग को प्रोत्साहन करने एवं उत्साह वर्धन के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सुकमा जिले के आकार संस्था में भी ऐसे कई दिव्यांग बच्चे हैं, जिनकी कला के कारण सुकमा जिले का नाम राज्य स्तर व राष्ट्रीय पर उनकी कला की वजह से एक अलग पहचान बनाई है।

आकार संस्था के माध्यम से दिव्यांग बच्चों को एक प्लेटफार्म मिल रहा है, जिसके माध्यम से इन बच्चों को अपनी प्रतिभा एवं कला का प्रदर्शन देश के अलग-अलग राज्यों में करने का अवसर मिल रहा है जो इन बच्चों का मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ प्रोत्साहन मिल रहा है।

दिव्यांग बच्चों ने हिन्दुस्थान समाचार की टीम से खास चर्चा में बताया कि हमारी कला की वजह से लोगों तक अपनी एक नई पहचान बनाने में हमें कामयाबी मिली है। जब हमारी कला की प्रशंसा होती है, तो हम लोगों का हौसला बढ़ता है और आगे बेहतर करने का मनोबल ऊंचा होता है। जिसकी वजह से हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा मिलती है। हम उन सभी लोगों का आभारी हैं जो हमारे कला को निखारने और उन्हें आगे लाने में मदद कर रहे हैं। इसे हमें आगे अपनी कला को और बेहतर निखारने की ऊर्जा मिलती है। हमारा उद्देश्य है कि देश दुनिया के बड़े मंच पर अपनी एक पहचान बनाना चाहते हैं। इस प्रकार से सभी का सहयोग एवं साथ ऐसा ही मिलता रहा तो वह दिन दूर नहीं है।

मंजे हुए कलाकार की तरह करती है नृत्य :- सोड़ी भीमे

दिव्यांग सोड़ी भीमे बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग है। लेकिन जब भीमे डांस करती है तो लोग अचंभित होकर तालियां बजाने से खुद को रोक नहीं पाते। भीमे एक पैर से बैलेंस बनाकर मंझे हुए कलाकार की तरह अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन करती है उनकी इस नृत्य शैली को देख कर लोग काफी प्रशंसा करते हैं। भीमे ने बताया कि उन्हें डांस करना बहुत पसंद है, जिसके कारण से वह अपनी दिव्यांगता को भी बाधा आने नहीं देती है। जब भी मौका मिलता है, तो वह पूरे उत्साह और ऊर्जा के साथ डांस करती हैं। उन्होंने बताया कि अपने एक पैर के ही सहारे बैलेंस बनाकर चलने की वजह से डांस करने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है, उनके लिए यह उतना ही सहज और सामान्य है जितना कोई सामान्य इंसान दो पैरों से चलता हो। भीमे बताती हैं कि वे कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होकर अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं।आकार में कक्षा सातवीं की छात्रा है, सुकमा ब्लॉक के गुफडी की निवासी है।

खुद पर गर्व होता है, जब दूसरों के मुंह से तारीफ सुनते हैं : रघुनाथ

रघुनाथ बचपन से दृष्टि बाधित है, उनकी गायन कला से अलग पहचान बना चुके हैं। जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार से पुरस्कृत भी किया जा चुका है। रघुनाथ ने बताया कि, कभी कभी हम यह सोच कर दुख महसूस करते है, कि सामान्य बच्चों की तरह हम दुनिया को नही देख सकते। पर जब वहीं मित्र हमारी प्रशंसा करते हुए यह कहते है कि, दिव्यांग होते हुए भी तुम हमसे बेहतर गाते हो मुझे खुद पर गर्व महसूस होता है। रघुनाथ ने बड़े ही सहजता से कहा कि कठिन परिस्थिति ही इंसान को सिखाती है, हमेशा खुश रहना, आपके हाथ में है। हमे चाहिए कि कठिन परिस्थिति का सामना करे और जीवन की बाधाओं को पार कर हमेशा आगे बढ़े।रघुनाथ पूर्णतः दृष्टिबाधित हैं लेकिन उनके हौसले और जीवन जीने का अंदाज प्रेरणादायक है। उनमें गजब की गायन प्रतिभा है। छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए झारखण्ड के जमशेदपुर में टाटा स्टील फाऊंडेशन द्वारा दिव्यांग बच्चों के विशिष्ट कला प्रतिभा को प्रोत्साहित करने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में तीसरा स्थान प्राप्त कर सबल अवार्डस् में अपने नाम किया था। जिसमें रघुनाथ ने 17 राज्यों के प्रतिभागियों के बीच निर्णायकों को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और तीसरा पुरस्कार अपने नाम किया था। रघुनाथ हार्मोनियम वादन, ढोलक, तबला वादन में भी पारंगत हैं। रघुनाथ आकार संस्था में कक्षा 10वीं में अध्ययनरत है। सुकमा ब्लॉक के ग्राम सोनाकुकानार के निवासी है।

संगीत के क्षेत्र में बनाना चाहती है अपनी पहचान : सोड़ी बीड़े

दृष्टि बाधित छात्रा सोड़ी बीड़े की संगीत की मधुर आवाज सबके दिलों को छू जाती है। सोड़ी बीड़े ने बताया कि सबसे पहले गाने की शुरुआत सामान्य रूप से हुआ। धीरे-धीरे गाने के प्रति रुचि बड़ी। वहीं जिला एवं राज्य स्तर कई कार्यक्रमों में गाने का अवसर मिला। जिससे गाना गाने के प्रति आत्मविश्वास भी बढ़ा गया। उन्होंने बताया कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं मंत्री कवासी लखमा के हाथों सम्मानित हो चुकी है। वहीं दृष्टि बाधित छात्रा कुमारी सोड़ी बीड़े को बाल अधिकार संरक्षरण आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्मानित किया था।

आकार संस्था के अधीक्षक हरि कौशिक ने बताया कि छात्रा सोड़ी बीड़े को शिक्षा के मुख्य धारा में जोड़कर उन्हें संगीत शिक्षक के द्वारा संगीत व कला में पारंगत किया गया। सोड़ी बीड़े ने जिला सहित राज्य स्तर पर अपनी प्रस्तुतियां दी है। इसके साथ ही हाल ही में रायपुर में हुए आदिवासी जनजातीय नृत्य महोत्सव में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। दृष्टि बाधित छात्रा सोड़ी बीड़े ने समग्र शिक्षा द्धारा आयोजित राज्य स्तरीय गायन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया है। सोड़ी बीड़े आकार संस्था में कक्षा 9 वीं में अध्ययनरत है। यह जिले के पोलमपल्ली निवासी है।