MP के मेडिकल कॉलेजों में ब्यूरोक्रेट्स की पोस्टिंग का विरोध: कैबिनेट में प्रस्ताव आने के पहले विरोध में डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन

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भोपाल41 मिनट पहले
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश के सभी 13 सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में आईएएस, एसएएस अफसरों की तैनाती करने के फैसले की जानकारी लगने के बाद विरोध शुरु हो गया है। प्रदेश के सभी 13 चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्यरत सभी चिकित्सा शिक्षक आज काली पट्टी बांधकर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं । चिकित्सा शिक्षकों का कहना है कि यदि “मेडिकल कॉलेजों में डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम की नियुक्ति का प्रस्ताव कैबिनेट में पारित होता है तो हम मंगलवार से काम बंद हडताल भी करेंगे। कैबिनेट से इस प्रस्ताव की मंजूरी मिली तो मंगलवार 22 नवंबर को काला दिवस मनाते हुए सभी अधिकारी-कर्मचारी और चिकित्सक काम बंद रखेंगे।
बैठक में हुआ फैसला
मप्र चिकित्सा शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ.राकेश मालवीय ने बताया 22 नवंबर को केबिनेट में चिकित्सा महाविद्यालय में प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव लाया जा रहा है। इसको लेकर रविवार को प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजो के मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ ऑनलाइन मीटिंग रखी गई जिसमें, सभी पदाधिकारियों ने यह निर्णय लिया कि इस गलत प्रक्रिया का मजबूती से विरोध होना चाहिए। और इसी के फलस्वरूप आज सभी काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की तरह पब्लिक हेल्थ कैडर बनाने की मांग
मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.राकेश मालवीय का कहना है कि विभाग के कुछ अधिकारी बिना सोचे-समझे फैसले ले रहे हैं। हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के बारे में डॉक्टरों काे जानकारी बेहतर हो सकती है न कि प्रशासनिक अधिकारियों को। इस फैसले से अव्यवस्थाएं ही बढ़ेंगी। सरकार यदि प्रबंधन में कुछ बदलाव करना चाहती है तो जिस प्रकार भारत सरकार आईपीएचएस के तहत पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कैडर बनाकर लोक स्वास्थ्य की डिग्री धारी डॉक्टरों को मैनेजमेंट का जिम्मा दे रही है। वैसे ही स्वास्थ्य विभाग की तरह मेडिकल एजुकेशन में भी इसे लागू किया जाना चाहिए।
शहड़ोल में हुआ था विरोध
ज्ञात हो कि इसी साल जनवरी में भी ऐसा ही प्रस्ताव लाने का प्रयास हुआ था, जिसका समस्त मेडिकल कॉलेज में विरोध हुआ था तत्पश्चात इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।शहडोल मेडिकल कॉलेज में एक डिप्टी कलेक्टर को मेडिकल कॉलेज में प्रभार दिया गया था जिसके विरोध में डॉक्टरों ने बड़े प्रदर्शन किए थे इसके बाद प्रशासन को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था।
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