कूनो नेशनल पार्क: चीतों ने कैसी नींद ली, कितनी करवटें बदलीं, कितना पानी पिया, कितना दौड़े….पल-पल का रिकॉर्ड दर्ज हो रहा

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  • How Did The Cheetahs Sleep, How Many Turns Did They Take, How Much Water Did They Drink, How Much Did They Run… Every Moment The Record Was Being Recorded.

श्‍योपुरएक घंटा पहलेलेखक: अजय वर्मा/प्रमोद कुमार

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चीतो की निगरानी के लिए कूनाे में पहली बार ऐसा टाॅवर बनाया गया है कि जिसमें निगरानी करने वाले को चीता न देख सके, लेकिन उनकी पल-पल की एक्टिविटी पर नजर रखी जा सके। - Dainik Bhaskar

चीतो की निगरानी के लिए कूनाे में पहली बार ऐसा टाॅवर बनाया गया है कि जिसमें निगरानी करने वाले को चीता न देख सके, लेकिन उनकी पल-पल की एक्टिविटी पर नजर रखी जा सके।

नामीबिया से आए चीतों ने कूनो नेशनल पार्क को ही अपना घर मान लिया है। जिस तरह से नामीबिया के खुले और झाड़ीदार जंगलों में चीते शिकार करते थे, उसी तरह कूनो में भी शिकार करने लगे हैं। इन 55 दिनों में छोटे बाड़े में रहने के बाद भी न तो उनकी स्पीड बदली है और न ही शिकार का तरीका। हाल ही में जो चीतों ने शिकार किया है उसे दोनों ने पहले तेजी से दौड़ाया फिर मारा है।

एक्सपर्ट के मुताबिक शिकार के समय चीता 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ा और सिर्फ 20 सेकंड में अपने शिकार को दबोच लिया। भास्कर पहली बार कूनो में चीतो की निगरानी का मॉड्यूल बता रहा है। हम बता रहे हैं कि चीतो ने किस तरह से कूनो के जंगल में खुद को ढाला। एक्सपर्ट किस तरह से निगरानी करते हैं और रिपोर्ट मेंटेन करते हैं।

शिकार को पहले खूब दौड़ाते हैं, ताकि उनका खून गर्म हो जाए
डीएफओ प्रकाश वर्मा बताते हैं कि दोनों चीते शिकार के पीछे दौड़ाते हैं, शिकार रुकता है तो वे भी रुक जाते हैं। चीतो का वजन 60 किलो है और जिस चीतल का शिकार किया था वह 80 किलो था। एक्सपर्ट मानते हैं चीतों की आदत होती है कि पहले शिकार को दौड़ाएं, ताकि उसका खून गर्म हो जाए, तभी शिकार करें। इस आदत से टास्क फोर्स के एक्सपर्ट और कूनाे के डॉक्टरों को राहत मिली है।

पूरा रिकॉर्ड दिन में दो बार टास्क फोर्स से लेकर केंद्र तक जाता है
चीतों ने कितनी देर करवट बदली, कितनी बार झपकी ली, सोने से पहले कितना मांस खाया, कितनी बार पानी पिया, कितने समय दौड़ा, अंगड़ाई लेने के बाद एक्टिविटी क्या थी जैसी छोटी-छोटी चीजों का भी समय रिकॉर्ड रखा जा रहा है। डीएफओ वर्मा कहते हैं कि ये रिकार्ड हमारे रिसर्च में भी काम आएगा। यहां का पूरा रिकॉर्ड दिन में दो बार टास्क फोर्स से लेकर केंद्र सरकार तक जाता है।

चीतों को कभी देखा नहीं, कुछ समझ पाते उसके पहले ही शिकार बन गए
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चाैहान बताते हैं कि चीते का स्वभाव है कि वह शिकार के बाद उसके अंगों को अलग करता है, फिर मांस को खाता है। यही तरीका इन दोनों चीतो ने अपनाया। शिकार होने वाले चीतल की बात की जाए तो चीतल ने कभी चीता देखा नहीं था तो वो समझ पाता इसके पहले ही शिकार हो गया। हालांकि बहुत राहत की बात है कि चीते पूरी तरह वाइल्ड हैं।

पहली बार क्लोज निगरानी के लिए घास का टावर…
चीतो की निगरानी के लिए कूनाे में पहली बार ऐसा टाॅवर बनाया गया है कि जिसमें निगरानी करने वाले को चीता न देख सके, लेकिन उनकी पल-पल की एक्टिविटी पर नजर रखी जा सके। इसके लिए पूरे टाॅवर को हरी घास से ढंक दिया गया है।

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