गुना में बदलेंगे नगरपालिका अध्यक्ष: भाजपा ने अध्यक्ष/उपाध्यक्ष को किए नोटिस जारी

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गुनाएक घंटा पहले
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गुना नगरपालिका अध्यक्ष चुनाव के मामले को लेकर आखिरकार भाजपा ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और 4 पार्षदों को नोटिस जारी कर दिए हैं। शुक्रवार को जिलामंत्री ने सभी को नोटिस भेजकर 7 दिन में जवाब मांगा है। अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा मैंडेट के खिलाफ चुनाव लड़ने और वोटिंग करने पर इन सभी को नोटिस दिए गए हैं। अध्यक्ष का चुनाव हारे भाजपा प्रत्याशी ने वरिष्ठ नेतृत्व से शिकायत की थी। नोटिस देने के बाद अगर कार्यवाई हुई तो क्या स्थिति बन सकती है, अध्यक्ष/उपाध्यक्ष पद पर क्या समीकरण बनने की संभावना हो सकती है, जानिए…
पहले पढ़िए, अध्यक्ष के चुनाव में क्या हुआ
गुना नगरपालिका के 37 वार्डों के लिए हुए चुनाव में भाजपा के 19 पार्षद जीतकर आये थे। वहीं कांग्रेस के 12 और निर्दलीय 6 पार्षद जीते थे। निर्दलीय जीतकर आये 6 पार्षदों ने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसके बाद BJP के पास 25 पार्षद हो गए थे। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही थी कि अध्यक्ष भाजपा का ही बनेगा। चुनाव 10 अगस्त को होना था। भाजपा की ओर से सविता गुप्ता और सुनीता रघुवंशी दावेदारी कर रहीं थीं। वहीं कांग्रेस की ओर से रश्मि शर्मा के चुनाव लड़ने की पूरी संभावना थी। चुनाव के दिन तक तय नहीं हो पाया था कि भाजपा का मैंडेट किसे मिलेगा।
कांग्रेस के सभी पार्षद जहां एकजुट थे, भाजपा के पार्षद अलग-अलग भाग रहे थे। कुछ पार्षदों को लेकर रविन्द्र रघुवंशी दिल्ली पहुंच गए। वहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर अपनी दावेदारी पेश की। जैसे ही यह बात गुना पहुंची, तो इधर अरविंद गुप्ता भी एक्टिव हो गए। भाजपा ने अपने कुछ पार्षदों को उज्जैन भिजवाया। सर्किट हाउस से उन्हें बस से भेजने के दौरान जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिकरवार के साथ अरविंद गुप्ता भी मौजूद रहे। वहीं कुछ पार्षद गुना में ही रहे।
ब्यावरा में रायशुमारी
भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। कई धड़ों में पार्षद बंटे हुए थे। इसी बीच तय किया गया कि भाजपा पार्षदों की रायशुमारी राजगढ़ जिले के ब्यावरा में कई जाएगी। यह बात किसी के गले नहीं उतरी की गुना की जगह राजगढ़ में क्यों रायशुमारी कराई जा रही है। इस बात का कोई साफ जवाब जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिकरवार भी नहीं दे पाए। चुनाव के लिए पर्यवेक्षक बनाये गए रजनीश अग्रवाल पूरे मामले को लीड कर रहे थे। रायशुमारी में लगभग यह सहमति बन गयी थी कि सुनीता रघुवंशी को पार्टी मैंडेट देगी। हालांकि इसकी घोषणा नहीं कि गयी। सभी पार्षदों को कहा गया कि चुनाव वाले दिन गुना पहुंचकर ही मैंडेट दिया जायेगा। उधर देर रात प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी गुना पहुंच गए थे।
अजगरी बना पॉवर सेन्टर
इस पूरे मामले में एक और अचंभित करने वाली बात सामने आई। 10 अगस्त को चुनाव वाले दिन ब्यावरा से जब पार्षद गुना के लिए निकले, तो एक बस को अजगरी गांव की तरफ मोड़ दिया गया। अजगरी पूर्व विधायक ममता मीना का गांव है। अरविंद गुप्ता उनके करीबी माने जाते हैं। बस के अजगरी पहुंचने की खबर जैसे ही संगठन और मंत्री को लगी, भाजपा में हड़कंप मच गया। प्रभारी मंत्री तोमर भागे-भागे गुना से अजगरी पहुंचे। यहां लगभग 15 पार्षद मौजूद थे। सूत्रों की मानें तो यहीं पर पार्षदों से डील हुई।

चुनाव जीतने के बाद पंचायत मंत्री ने सविता गुप्ता का स्वागत किया था।
प्रभारी मंत्री ने सभी को मनाने और उनसे गुना चलने की अपील की। इस दौरान पार्षदों के विरोध सामने आ गया। कुछ पार्षदों ने अरविंद गुप्ता की वकालत की। एक पार्षद(लालाराम लोधा) ने तो मंत्री के सामने ही यहां तक कह दिया की ये पूरे 15 के 15 पार्षद कांग्रेस की सदस्यता ले लेंगे। 22 वर्ष हो गए उन्हें भाजपा में। कुछ नहीं मिला आज तक उन्हें। यहां पार्षद पहली मंजिल पर खड़े हुए थे। प्रभारी मंत्री ने सबसे गुना चलने की अपील की, लेकिन पार्षद इस बात पर अड़े रहे कि एक बार फिर से रायशुमारी कराई जाए। तभी वे गुना के लिए निकलेंगे। गुना में रायशुमारी के आश्वासन के बा दही सभी पार्षद वहां से रवाना हुए। अजगरी गांव से ही सारे समीकरण बदलना शुरू हुए। यहीं से सुनीता रघुवंशी से कुछ पार्षद सविता गुप्ता की तरफ जाना शुरू हुए।
निजी होटल में फिर रायशुमारी
इधर कलेक्टर कार्यालय में 2 बजे से निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू होने ही वाली थी। भाजपा का मैंडेट अभी तक जारी नहीं हो पाया था। कांग्रेसी पार्षद 1:30 बजे ही कलेक्टर कार्यालय पहुंच गए थे। भाजपा पार्षदों के कुछ अता-पता ही नहीं था। इसी बीच भाजपा के पार्षद एक निजी होटल में लाये गए। वहां फिर से रायशुमारी हुई। हालांकि, कुछ पार्षदों को इस बैठक की सूचना तक नहीं दी गयी। इसी बीच सुनीता रघुवंशी दो पार्षदों के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंच गईं। उनसे पहले कांग्रेस की तरफ से रश्मि शर्मा ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। सुनीता भी अपना नामांकन दाखिल करने के लिए पहुंच गईं। हालांकि, अभी तक भाजपा का मैंडेट नहीं आया था।

चुनाव वाले दिन कांग्रेसी पार्षद।
नामांकन दाखिल करने का समय गुजरता जा रहा था, लेकिन भाजपा के मैंडेट का कुछ पता नहीं था। इसी बीच सविता अरविंद गुप्ता भी दो पार्षदों के सर्च कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गईं। उनके पति बाहर यही कहते नजर आए की जल्दी करो, नामांकन जमा करने का समय निकला जा रहा है। दोपहर 2:34 मिनिट पर वह कलेक्ट्रेट पहुंची। नामांकन जमा करने का समय 3 बजे तक का था। कलेक्ट्रेट पहुंचकर उन्होंने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया। अब अध्यक्ष पद के लिए तीन नामांकन दाखिल हो गए थे।
पार्षदों को मैंडेट की जानकारी नहीं
धीरे-धीरे एक-एक करके भाजपा पार्षद कलेक्ट्रेट पहुंचने लगे थे। 13 पार्षद कलेक्ट्रेट में अंदर जा चुके थे। नामांकन जमा करने का समय खत्म हो चुका था। इसी बीच भाजपा का मैंडेट जारी हुआ। भाजपा ने सुनीता रविन्द्र रघुवंशी को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाकर उनके नाम का मैंडेट जारी की। अंदर पहुंच चुके पार्षदों को इसकी जानकारी नहीं लगी। मैंडेट जारी होने के कुछ देर बाद भाजपा के 12 पार्षद एक बस से कलेक्ट्रेट पहुंचे। ये सभी भी अंदर पहुंच गए। अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग हुई और कांग्रेस प्रत्याशी रश्मि शर्मा को 13, भाजपा प्रत्याशी सुनीता रघुवंशी को 9 और निर्दलीय प्रत्याशी सविता गुप्ता को 13 वोट मिले। कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी को बराबर वोट मिलने से पर्ची उठाकर फैसला किया गया। इसमे निर्दलीय प्रत्याशी के नाम की पर्ची उठी और उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया।
मैनेजमेंट में भाजपा फेल
कांग्रेस जहां पूरी तरह से अनुशासित नजर अढ़ाई थी, वहीं भाजपा में मैनेजमेंट पूरी तरह फेल रहा। भाजपा अपने पार्षदों को तक इकट्ठा नहीं रख पाई। पार्षद अलग-अलग भाग रहे थे। चुनावी प्रक्रिया में भी भाजपा अनुशासित नजर नहीं आयी। कांग्रेस के सभी 12 पार्षद एक साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे, जबकि भाजपा के पार्षद अलग-अलग आये। यहां तक कि अपने मैंडेट के बारे में भी भाजपा पूरे पार्षदों को नहीं बता पाई। केवल 12 पार्षदों को ही यह पता था कि भाजपा ने किसे मैंडेट दिया है। यश सबसे बड़ी वजह रही कि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी को करारी शिकस्त मिली।
मैनेजमेंट से जीते अरविंद गुप्ता
भाजपा से बागी होने के बाद भी सविता अरविंद गुप्ता चुनाव लडीं और जीत गयीं। इसमे सबसे बड़ा साथ रह उनके पति अरविंद गुप्ता के मैनेजमेंट का। वह सीधे तौर पर राजनैतिक व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन चुनावी मैनेजमेंट में वह माहिर हैं। उन्हीं ने अपनी बिसात बिछाई और पार्षदों को अजगरी ले जाकर मामला पलट दिया। दूसरी तरफ रविन्द्र रघुवंशी पूरी तरह नेताओं और पार्टी पर निर्भर रहे। वह पार्षदों को साधने और अपने पक्ष में करने में नाकाम रहे। अजगरी गांव में इतनी बड़ी हलचल हो रही थी और वह गुना में बैठे हुए थे। वहां क्या हो रहा है, यह जानने तक कि उन्होंने कोशिश नहीं की। यही वजह रही कि पार्टी का मैंडेट होने के बावजूद 25 में से केवल 9 पार्षदों ने उन्हें वोट दिया और वह तीसरे नंबर पर आए।
वरिष्ठ नेतृत्व से शिकायत
चुनाव में भाजपा मैंडेट को बुरी तरह हार मिली। चुनाव हार प्रत्याशी ने जिला संगठन से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष पर भी पीछे के रास्ते से निर्दलीय प्रत्याशी को जिताने का आरोप लगाया। हालांकि, तत्कालीन जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिकरवार ने यह बोलकर पल्ला झाड़ना चाहा कि सविता गुप्ता का भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है। अक्टूबर महीने में भाजपा ने जिलाध्यक्ष को बदल दिया। धर्मेंद्र सिकरवार नए जिलाध्यक्ष बने। इसी के बाद से उम्मीद जताई जाने लगी कि भाजपा मैंडेट के खिलाफ जाने वालों पर कार्यवाई हो सकती है। शुक्रवार को यह बात सही भी साबित हुई, जब अध्यक्ष/उपाध्यक्ष और 4 पार्षदों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
अब आगे.ng> क्या…
भाजपा ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और 4 पार्षदों को नोटिस तो जारी कर दिए हैं, लेकिन एक सवाल हर किसी के मन मे है कि अगर इन पर कार्यवाई हुई तो नगरपालिका में क्या स्थिति बन सकती है। नियमों की बात करें तो अगर इन 6 लोगों पर कार्यवाई भी होती है और भाजपा इन्हें 6 वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर देती है, तब भी अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है। नगरपालिका अध्यक्ष के खिलाफ ढाई वर्षों तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। ऐसे में तब तक तो सविता गुप्ता की कुर्सी सुरक्षित है। उसके बाद क्या समीकरण बन सकते हैं, यह अभी की स्थिति में कहना जल्दबाजी होगी। अगर इन 6 पार्षदों को भाजपा पार्टी से निकाल देती है तो उसके पास 19 पार्षद बचेंगे। कांग्रेस के पास 12 पार्षद हैं। ये 6 पार्षद अगर कांग्रेस की सदस्यता ले लेते हैं तो उसके पास 18 पार्षद हो जाएंगे। ढाई वर्ष बाद अगर फिर वोटिंग की नौबत आती है, तो किसका पलड़ा भारी बैठेगा, यह संभावना जताना अभी जल्दबाजी होगी। क्योंकि अगस्त में हुए चुनाव में कांग्रेस के 12 पार्षद होने के बाद भी उसके प्रत्याशी को 13 वोट मिले थे।
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