मुरैना में बंधक UP के 34 मजदूरों को छुड़ाया: मानव अधिकार आयोग के पास पहुंची शिकायत, तब एक्शन में आई पुलिस

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मुरैना9 मिनट पहले

मुरैना में बंधक 34 श्रमिकों को पुलिस ने छुड़ाया है। इन श्रमिकों को ईंट भट्‌टे पर काम करने के लिए बदायूं (उत्तर प्रदेश) से लाया गया था। पहाड़गढ़ स्थित ईंट भट्‌टे पर जब श्रमिकों को बंधक बना लिया गया, तो इसकी खबर मानव अधिकार आयोग को लगी। मानव अधिकार आयोग ने तुरंत पहाड़गढ़ थाना पुलिस को आदेश दिया। इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और ईंट भट्‌टे पर पहुंची।

पुलिस ने सभी 34 श्रमिकों को छुड़ाकर उन्हें ट्रक से उनके गांव भिजवाया। जिस ईंट भट्‌टे मालिक द्वारा इन श्रमिकों को बंधक बनाया गया था, वह कैलारस जनपद का पूर्व अध्यक्ष है। घटना शनिवार की है।

अपना सामान बांधते श्रमिक।

अपना सामान बांधते श्रमिक।

पहाड़गढ़ पुलिस थाने से चंद किलोमीटर की दूरी पर मामचौन नामक गांव में महाकाल नामक ईंट भट्‌टा है। यह ईंट भट्‌टा कैलारस के पूर्व जनपद अध्यक्ष सोहन लााल धाकड़ का है। सोहन लाल धाकड़ ने एक लेबर कॉन्ट्रैक्टर से सम्पर्क कर बदायूं से लेबर मंगवाई थी। सौदा यह तय हुआ कि मजदूरों को पांच हजार रुपए राशन-पानी के लिए एडवांस दिया जाएगा। इसके बाद जो उन्हें मजदूरी मिलेगी, उसमें से काट लिया जाएगा।

मजदूर 31 अक्टूबर 2022 को बदायूं से चलकर पहाड़गढ़ के मामचौन गांव स्थित सोहनलाल धाकड़ के ईंट भट्‌टे पर पहुंच गए। यहां आकर सोहनलाल धाकड़ ने जो पांच हजार रुपए मजदूरों को दिए थे, उनमें से अपना कमीशन काटते हुए 4 हजार रुपए ले लिए। अब मजदूरों के पास केवल एक हजार रुपए शेष बचे। इतने कम रुपयों में 34 मजदूरों का राशन आना मुश्किल था।

मजदूरों ने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है। जो एडवांस दिया है, वह वापस ले लिया, अब वे राशन किससे खरीदेंगे और क्या खाएंगे? मजदूरों ने सोहनलाल धाकड़ से कहा कि या तो उन्हें रुपए लौटाए जाएं या फिर उन्हें वापस जाने दिया जाए। इस पर सोहनलाल धाकड़ ने मजदूरों को रुपए भी नहीं दिए और बंधक बना लिया। पिछले 5 दिन से यह मजदूर ईंट भट्‌टे पर बंधक बनकर काम कर रहे थे।

सामान बांधती महिला मजदूर।

सामान बांधती महिला मजदूर।

मानव अधिकार आयोग को भेजी शिकायत
मजदूरों के पास मानव अधिकार आयोग के सदस्यों का भी नंबर था। उन्होंने फोन करके अपनी व्यथा उन्हें बताई। मजदूरों की व्यथा सुनकर मानव अधिकार आयोग ने तुरंत एसपी मुरैना को पत्र भेजकर मजदूरों को मुक्त कराने के आदेश दिए। एसपी मुरैना ने तुरंत पहाड़गढ़ थाना प्रभारी धर्मेंद्र गौर को भेजा। पत्र मिलने के बाद पहाड़गढ़ थाना पुलिस हरकत में आई और उसने मौके पर पहुंचकर सभी 34 मजदूरों को मुक्त कराया और उन्हें ट्रक में बैठालकर वापस उनके गांव बदायूं उत्तर प्रदेश भिजवाया।

पहाड़गढ़ थाना पुलिस पर सवालिया निशान
इस मामले में पहाड़गढ़ थाना पुलिस की कार्रवाई संदेह के घेरे में आ रही है। भोपाल में बैठे मानव अधिकार आयोग को मुरैना के पहाड़गढ़ के एक छोटे से गांव में बंधक बनाए जाने की सूचना मिल गई, लेकिन चंद किलोमीटर दूरी पर स्थित पहाड़गढ़ थाना पुलिस को इसकी जानकारी क्यों नहीं मिली।

घटनास्थल पर मौजूद पुलिस

घटनास्थल पर मौजूद पुलिस

कहतै हैं जिम्मेदार?
हमें वॉट्सऐप पर मानव अधिकार आयोग द्वारा मजदूरों को छुड़ाने का पत्र मिला था। जिस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए मजदूरों को छुड़ाया गया है। हमारे थाने से ईंट भट्‌टे की दूरी 15 से 20 किलोमीटर है। सभी मजदूरों को उनके गांव ट्रक में बैठालकर वापस भेज दिया गया है।
धर्मेन्द्र गौर, थाना प्रभारी, पहाड़गढ़

ट्रक में बैठकर रवाना होते मजदूर।

ट्रक में बैठकर रवाना होते मजदूर।

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