देवउठनी एकादशी: शालिग्राम-तुलसी विवाह पर भगवान को अर्पित किया बेर-भांजी, आंवला

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खंडवा43 मिनट पहले
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117 दिन के शयनकाल के बाद भगवान विष्णु शुक्रवार को योगनिद्रा से जागे। देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में सुबह मंत्रोच्चार और शंख ध्वनि के बीच भगवान को जगाया गया। भगवान को विशेष भोग अर्पित कर भक्तों ने महाआरती की। सुबह पूजन-पाठ और अभिषेक के बाद शाम को मंदिरों और घरों में तुलसी विवाह हुए। गन्ने का मंडप बनाकर भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराया गया।
भगवान को बेर, भांजी, आंवला अर्पित कर भक्तों ने उठ जाने की कामना की। देवालयों से लेकर घरों तक देव दीपावली धार्मिक रीति-रीवाज के साथ धूमधाम से मनाई गई। भक्तों ने भगवान के विवाह पर घरों के सामने आकर्षक रांगोली बनाई। वहीं देर रात तक विवाह के उत्सव पर पटाखों की गूंज से आकाश गुंजायमान रहा।
गन्ने से बने मंडप में तुलसी-शालिग्राम का कराया विवाह
शहर में देवउठनी एकादशी पर धार्मिक आयोजन हुए। मंदिरों और घरों पर गन्ने का मंडप बनाकर तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराया। राजेंद्र नगर में भी कॉलोनी के लोगों ने गन्ने का मंडप बनाकर पूजन किया। दुर्गेश लाड़, संतोष जगताप, बीजी वर्मा, सूरज लाड़, महेश जगताप, अमर सिंह सोलंकी, हरिशंकर पिपलोद, ममता लाड़, सुरभि लाड़, नीना राठौर, लीला जगताप, अरुणा अरझरे, ऋतु लखोरे आदि मौजूद थे।
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