घुरसीबहरा में नागा बैगा-नागा बैगिन की प्रतिमा का अनावरण: बैगाओं की संस्कृति-सभ्यता, मिथक और भाषा के संरक्षण की उठी मांग

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बालाघाट40 मिनट पहले
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बालाघाट जिले के घने जंगलों में निवास करने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति बैगाओं के संगठन ने गढ़ी क्षेत्र के घुरसीबहरा गांव में नागा बैगा-नागा बैगिन की प्रतिमा अनावरण किया। इस कार्यक्रम में बालाघाट जिले के विभिन्न गांवों के बैगाओं के साथ मंडला, डिंडौरी और छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से पहुंचे।
बैगा समाज के लोग बहुतायात में शामिल हुए। जहां सबसे पहले नागा बैगा और नागा बैगिन का ओझा के माध्यम से पारंपरिक पूजा पद्धति के बाद लोकार्पण हुआ। इसके बाद गांव में बैगा संस्कृति और मान्यता से जुड़ी पारंपरिक रैली निकालकर नृत्य किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से बैहर क्षेत्र के विधायक संजय उइके, एसडीएम तन्मय वशिष्ठ शर्मा, बैगा समाज के संरक्षक पहल सिंह बनिया शामिल हुए। जहां उनके दवारा बैगा समाज संगठन की ओर से बैगा रिति रिवाज, संस्कृति, सभ्यता, मान्यताओं के साथ बैगाओं के आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और ज्वलंत समस्याओं पर अपने विचार रखे गए।
विधायक संजय उइके ने कहा कि बैगा समाज उन जनजातियों में शामिल हैं। जिन्हें भारत सरकार की सूची में विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा मिला हुआ हैं। बैगा समाज के लिए बहुत सी योजनाएं और सुविधाएं शासन ने दी। फिर भी मुझे कहने में संकोच नहीं कि हमारी सरकार का यह प्रयास सही मायने सार्थक नहीं रहा हैं।
एसडीएम तन्मय शर्मा ने बताया कि हमारे यहां पर बैगा महिलाओं को पोषण आहार के तौर पर सरकार की ओर से एक हजार रुपए की अनुदान राशि दी जा रही हैं। इसमें यदि कोई छूंट रहे है, तो उन्हें भी इसका लाभ दिया जाएगा। इसके अलावा जो गांव वनग्राम में शामिल हैं। उन्हे सरकार की ओर से राजस्व ग्राम में परिवर्तन करने की कार्रवाई चल रही हैं। परसवाड़ा और बैहर क्षेत्र में शामिल ऐसे गांवों में जमीन से जुड़ी समस्याओं का समाधान होने की संभावना हैं।
कार्यक्रम का संचालन बैगा समाज संगठन के अध्यक्ष साधुराम झुमड़िया ने किया। जबकि समाज के अन्य पदाधिकारियों में शामिल गेंदलाल रठुड़िया, गुमानसिंह गुरूड़िया, ऐतबारसिंह बजदरिया, राजेश मुडकिया, ढुलेश बैगा, तुलसीराम जरवरिया, फुलबाई बनिया, झामसिंह गुडलिया ने सहयोग प्रदान किया।




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