बयान देने छतरपुर कोर्ट पहुंचीं उमा भारती: शराब बंदी को लेकर उमा ने कहा- नीति के तहत बंद हो दुकानें

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छतरपुर (मध्य प्रदेश)एक घंटा पहले

1998 में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पर हुए हमले के आखिरी आरोपी की गिरफ्तारी होने पर बयान देने छतरपुर कोर्ट पहुंची उमा भारती ने शराब बंदी की बात दोहराई है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि प्रदेश में ऐसी नीति बनें जिससे शराब की दुकानें बंद हो जाएंगे। उन्होंने मीडिया के सवाल पर कहा कि वे नहीं चाहती कि उनके आने पर दुकानें बंद हो जाए और जाने के बाद दोबारा खुल जाएं। वे चाहती है कि दुकानें नीति के तहत बंद हो और खुल न सके।

20 साल पहले की घटना का अंतिम आरोपी पकड़ाया

उमा भारती पर 1998 में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए जानलेवा हमले के मामले में संदेह के आधार पर 11 आरोपी बरी किए जा चुके हैं। वहीं आखिरी आरोपी भी गिरफ्तार होने के बाद सोमवार को कोर्ट में उमा भारती के बयान हुए। गौरतलब है फरवरी 1998 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उमा भारती खजुराहो संसदीय क्षेत्र से भाजपा की प्रत्याशी थीं। 8 फरवरी की शाम चंद्रनगर में उमा पर हमला हुआ था। 10वीं बटालियन एसएएफ डी कंपनी कैंप छतरपुर के एएसआई हरिओम प्रसाद लटौरिया घटना के दौरान उमा भारती के सुरक्षाकर्मी थे। हरिओम ने राजनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि दिन के करीब साढ़े 3 बजे तत्कालीन लोकसभा प्रत्याशी उमा भारती जैसे ही आम रोड पर पहुंची, आरोपियों ने उनके वाहन के सामने जीप अड़ा दी, और पथराव कर गोली चलाई।

पेशी पर बयान देकर लौटीं

केंद्रीय मंत्री उमा भारती पर 1998 में लोकसभा चुनाव के दौरान हुए जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट ने 20 साल बाद मंगलवार को फैसला सुनाया था। जिसमें तत्कालीन तृतीय अपर सेशन जज जितेंद्र कुमार शर्मा ने कोर्ट ने शाम सवा पांच बजे फैसला सुनाना शुरू किया और साढ़े पांच बजे मामले के कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी सहित 11 आरोपियों को संदेह के आधार पर बरी कर दिया था। जिसमें एक अन्य आरोपी के खिलाफ सुनवाई जारी रही।

यह है पूरा मामला

गौरतलब है फरवरी 1998 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उमा भारती खजुराहो संसदीय क्षेत्र से भाजपा की प्रत्याशी थीं। जहां 8 फरवरी की शाम चंद्रनगर में उमा पर हमला हुआ था। जिसमें 10वीं बटालियन एसएएफ डी कंपनी कैंप छतरपुर के एएसआई हरिओम प्रसाद लटौरिया घटना के दौरान उमा भारती के सुरक्षाकर्मी थे। हरिओम ने राजनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि दिन के करीब साढ़े 3 बजे तत्कालीन लोकसभा प्रत्याशी उमा भारती जैसे ही आम रोड पर पहुंची, आरोपियों ने उनके वाहन के सामने जीप अड़ा दी और पथराव कर गोली चलाई थीं।

​​​​​​​ये थे आरोपी

वारदात के बाद उमा भारती जैसे ही चंद्रनगर चौकी के सामने पहुंचीं, उसी समय कांग्रेस के मनोज त्रिवेदी, अर्जुन सिंह, गोविंद सिंह, भगवानदास नामदेव, सलीम खान, हफीज उर्फ जमाल, रघुवीर प्रसाद, शहादत खान, संजीव राज, लखनलाल दुबे, शंकर नामदेव, फैयाज खान ने उमा भारती के गार्ड हरिओम लटौरिया पर पथराव करके गोलियां चलाईं। जांच के दौरान मामले के दो आरोपी अशोक कुमार और इदरीश की मौत हो गई है।

वकील बोले

उमा भारती के वकील नारायण काले का कहना था कि 1998 में जब वह मैहर जा रही थी तब चंद नगर में उन पर फायरिंग और पत्थरबाजी कर हमला किया गया था, जिसका मुकदमा चल रहा था वह पहले भी कोर्ट मे बयान दे चुकीं थीं और इसमें शेष आरोपियों को दोषमुक्त भी किया जा चुका है, वहीं मामले का एक आरोपी फरार था। जिसकी गिरफ्तारी हुई थी और तकनीकी दृष्टिकोण से उसमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की गवाही आवश्यक थी, इसके चलते उमा भारती ने न्यायालय में उपस्थित होकर गवाही देने की रिक्वेस्ट की, कोर्ट ने उनकी रिक्वेस्ट स्वीकार करते हुए उनकी गवाही लेकर उन्हें गवाही देने से मुक्त कर दिया है।

गुजरात घटना पर किया दुःख व्यक्त

गवाही देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने गुजरात के घटना को लेकर गहरा दुख व्यक्त किया और मृत आत्माओं की को श्रद्धांजलि देते हुए परिजनों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की।

शराबबंदी पर बयान, भय बिन प्रीत न होई गोसाईं

उमा भारती ने शराबबंदी को लेकर किए गए सवाल में कहा कि साल से छह महीने मे मै ऐसी हालत जरूर कर दूंगी की दहशत मे आ ही जाएंगे अधिकारी हो या शासन प्रशासन, उन्होंने यह भी कहा कि भय बिन प्रीत न होई गोसाईं। वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री के नशा मुक्ति अभियान की तारीफ भी की और कहा मुख्यमंत्री हर मंच पर यह कह रहे हैं नशे के खिलाफ लोगों को शपथ दिला रहे हैं, कहा कि ऐसा नहीं है कि कोई को-ऑपरेशन नहीं है।

गंगा मेरी आराध्य, शराब मेरी शत्रु, मोदी मेरे नेता हैं

उमा भारती ने कहा गंगा मेरी आराध्य है, शराब मेरी शत्रु, मोदी मेरे नेता है और भाजपा मेरी पार्टी। जातिवाद को लेकर कहा आज राष्ट्रवाद की लहर है लेकिन जाति भी एक सच्चाई है और जब तक ये सच्चाई रहेगी तब तक आरक्षण भी रहेगा, अभी भारतीय समाज इस सच्चाई से मुक्त नही हो पाया, लेकिन ये टकराव का कारण नही बने, बल्कि सामाजिक समनवय का कारण बने, जो बात मैने खी थी की किसी भी वर्ग को ये नही लगना चाहिए। क्षेत्रीय संतुलन और जातीय संतुलन का ध्यान संगठन को भी और सरकार को भी रखना चाहिए उसमे किसी जाति विशेष की पैरवी इंगित नही है, सबको साथ लेकर चलो ताकि कोई भी अपने आपको वंचित नही समझे।

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