पिता की दरिंदगी का शिकार मासूम की कहानी: मां ने पति का दिया साथ; कोर्ट ने सांकेतिक बयान पर सुनाई सजा

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भोपाल27 मिनट पहलेलेखक: नीलेंद्र पटेल

ये कहानी है 3 साल की उस बच्ची की, जिसके साथ पिता ने रेप किया। मां ने ही पति के खिलाफ थाने में शिकायत की थी। लेकिन, जब मामला कोर्ट पहुंचा, तो वह बेटी को छोड़कर पति के साथ खड़ी हो गई। केस में सुनवाई के दौरान अलग-अलग मोड़ आए। बच्ची के पिता ने खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए तमाम झूठी कहानियां गढ़ीं। बच्ची की मौसी और उसका मामा भी आरोपी के पक्ष में हो गए।

3 साल की मासूम अभी ठीक से बोल भी नहीं पाती। ऐसे में कोर्ट ने बच्ची के सांकेतिक बयानों के आधार पर पिता को दोषी ठहराया। आजीवन कारावास (आखिरी सांस तक जेल) की सजा सुनाई। कोर्ट ने डीएनए, एफएसएल, मेडिकल रिपोर्ट और पुलिस के सबूतों को भी आधार माना।

सबसे पहले जानते हैं घटना क्या है…

1 जनवरी 2022 को खजूरी इलाके में रहने वाली 26 साल की महिला अपनी 3 साल की बच्ची को लेकर खजूरी सड़क थाना पहुंची। उसने रिपोर्ट लिखाई कि उसे 20 दिन पहले बेटी ने बताया था कि उसे दर्द हो रहा है। जब देखा तो उसके कपड़ों में खून लगा था।

महिला ने बताया, 31 दिसंबर 2021 को वह घर में सो रही थी, तभी बेटी को पति अपने साथ दुकान पर ले गया। रात 8 बजे बच्ची ने बताया कि उसे दर्द हो रहा है। बेटी के घुटनों में भी सूजन थी। देखा तो सीमेन लगा था। इसे कपड़े से साफ कर दिया। पति ने बेटी के साथ गलत काम किया। पति से जब उसने इस बारे में पूछा, तो वह डराने-धमकाने लगा। इसके बाद परिवार वालों को घटना के बारे में बताया।

महिला की शिकायत पर पुलिस ने मामले में धारा 376(2) (आई), 376 (2) (एन), 376, क, ख, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 कायम कर जांच शुरू की। मामला गंभीर होने पर आरोपी को गिरफ्तार किया। बच्ची का मेडिकल कराया। मार्च 2022 से कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई, जो 27 अक्टूबर तक चली। विशेष न्यायाधीश पदमा जाटव ने इस मामले में फैसला सुनाया।

आपराधिक उत्तरदायित्व के लिए इन तीन सवालों में हुई जिरह
सवाल: क्या घटना के दिन 31 दिसंबर 2021 को बच्ची की उम्र तीन साल की थी? क्या यह लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा-2 डी के तहत बालिका की श्रेणी में आता है?
जवाब: भोपाल के जिस थाने (खजूरी सड़क थाना) में FIR हुई, उसकी थाना प्रभारी संध्या मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि बच्ची की मां ने पुलिस को अपनी बेटी का जन्म प्रमाण पत्र दिया था। इसमें उसका जन्म 25/9/2018 अंकित है। कोर्ट ने जन्म प्रमाण पत्र में उल्लेखित तिथि को विश्वसनीय माना। इस आधार पर घटना के दिन बच्ची की उम्र 3 साल, 3 महीने, 6 दिन थी। आरोपी ने भी इसके खंडन में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में बच्ची लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा-2-डी के तहत बालिका की श्रेणी में आती है।

सवाल: क्या पीड़िता के पिता ने 31 दिसंबर 2021 को दोपहर 1 बजे से रात 8 बजे के मध्य अपनी दुकान ग्राम बैरागढ़ कलां भोपाल में बच्ची के साथ रेप किया?
जवाब: अभियोजन पक्ष की तरफ से रखे साक्ष्य को प्रमाणित मानते हुए कोर्ट ने कहा आरोपी ने कई बार बच्ची के साथ रेप किया है। यह भी प्रमाणित हो चुका कि आरोपी ने 31 दिसंबर 2021 को दोपहर 1 बजे से रात 8 बजे के मध्य बच्ची को अपनी दुकान पर ले जाकर रेप किया है।

सवाल: क्या बच्ची के पिता ने 31 दिसंबर को एवं उसके 20 दिन पहले अपनी बच्ची के साथ रेप किया था?
जवाब:
अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों को प्रमाणित मानते हुए कोर्ट ने माना कि 31 दिसंबर से 20 दिन पहले भी आरोपी ने बच्ची पर लैंगिक हमला किया था।

अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि बच्ची की मां पक्षद्रोही हो गई है। बच्ची की उम्र 3 साल होने की वजह से मुख्य परीक्षण में कोई कथन नहीं किया गया है, इसलिए बच्ची से सूचक प्रकृति के प्रश्न पूछे गए। तब उसने यह जवाब दिए।

बच्ची के सांकेतिक बयान के बाद अभियोजन पक्ष ने State Of MP v. rames And anodhre in (2014) 4 Scc 786 में Jurisprudence (विधिशास्त्र) State Of UP.v krishna master, Air 2010 Sc 3071 का हवाला दिया। जिसमें व्यक्त किया गया कि एक बच्चा अपने साथ हुई असामान्य घटना को कभी नहीं भूलता है। पूरी जिंदगी याद रखता है। उससे जब भी उक्त घटना के विषय में पूछा जाए, वह उसके बारे में सटीक रूप से बता सकता है। यदि बाल साक्षी द्वारा अपने कथन में बढ़ा-चढ़ाकर कथन न किया गया हो तथा उसके कथन न्यायालय को विश्वसनीय प्रतीत होते हों तब उसके कथन पर बिना संतुष्टि के विश्वास किया जा सकता है।

मौसी बोली-बहन ने नहीं बताया, मामा बोला-घुटने में दर्द था
जिरह के दौरान केस की अहम साक्षी रही बच्ची की मां, मौसी, मामा पक्ष विरोधी हो गए। मौसी-मामा ने पुलिस की कहानी की पुष्टि नहीं की। मौसी ने मुख्य परीक्षण में घटना के संबंध में कोई कथन नहीं किया। मौसी ने बताया कि घटना के समय उसकी बहन (पीड़िता की मां) की डिलेवरी हुई थी। इसलिए वह अपनी बहन की डिलेवरी के बाद घर से चली गई थी। बहन ने उसे नहीं बताया कि जीजा ने बेटी के साथ बलात्कार किया है। मामा ने कहा कि बहन ने उसे फोन कर बताया था कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट व घुटने में दर्द हो रहा था। वह अपनी बहन के बुलाने पर उसके घर आकर भांजी का इलाज कराने के लिए उसे अस्पताल लेकर गया था।

स्वप्न दोष का बहाना: ‘टब में बच्ची के साथ कपड़े धोने से डीएनए मैच हुआ’
आरोपी ने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि 31 दिसंबर को उसे स्वप्न दोष होने के कारण उसका सीमेन डिस्चार्ज हुआ। तीन-चार दिन पहले भी उसके साथ ऐसा हुआ। उसने अपने कपड़े और बेटी के कपड़े एक साथ टब में धोने के लिए रख दिए थे। इस वजह से बच्ची के कपड़े में उसके सीमेन के अंश चले गए होंगे। इसलिए डीएनए रिपोर्ट को सच नहीं माना जाए। इसके साथ ही उसने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि उसकी पत्नी की 8 दिसंबर 2021 को दूसरी डिलेवरी हुई थी।

उसकी पत्नी घर का काम नहीं कर पाती थी। जिसके कारण वह घरेलू काम करता था। उसकी पत्नी की सर्जरी भी हुई थी। जिससे वह बहुत कमजोर और चिड़चिड़ी हो गई थी। वह कुछ भी बोलती रहती थी। कुछ दिन पहले बच्ची को खेलते-खेलते चोट लग गई थी। जिस पर उसकी बहन ने बोरोप्लस लगाया था, उसी बोरोप्लस को देखकर पत्नी को गलतफहमी हो गई थी। जिसके चलते पत्नी ने उसके विरुद्ध शिकायत कर दी थी। ( पुलिस को बेटी की मां ने बताया था कि क्रीम उसने लगाई है। कोर्ट में ये बात बहन ने कही।)

डर की वजह से मां भी बेटी को न्याय दिलाने से पीछे हटी
थाने में पति के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराने वाली बच्ची की मां ने भी कोर्ट में अपने बयान बदल लिए। उसने प्रमाणित करने का प्रयास किया कि घटना के समय उसे सिजेरियन से बेटा हुआ था। लगभग तीन महीने पहले घटना वाले दिन बेटी रोते हुए आई और बताया कि वह गिर गई। बुआ ने उसे बोरोप्लस लगाया है। बेटी ने बताया था कि उसे पैर में लग गई है, तो वह उसे लेकर अस्पताल गई। डाॅक्टर के कहने पर उसने पति के विरुद्ध बेटी के साथ रेप की एफआईआर लिखा दी थी। डाॅक्टर ने कहा था कि घुटने में चोट कैसे आई है। इस संबंध में थाने में रिपोर्ट करके आओ। वह बेटी के घुटने में चोट लगने के संबंध में रिपोर्ट करने गई थी। उसने पति के विरुद्ध नहीं की थी। रिपोर्ट पुलिस ने पढ़कर नहीं सुनाई थी, केवल हस्ताक्षर करा लिए थे।

मामले में खजूरी थाना टीआई संध्या मिश्रा ने बताया कि वारदात के बाद तुरंत केस दर्ज किया और बच्ची को लेकर मेडिकल कराने पहुंची। बच्ची रो रही थी। उसका कष्ट देखकर मन बहुत व्यथित हुआ। मैं सब काम छोड़कर साक्ष्य इकट्‌ठा करने में जुटी गई। कोर्ट में उसकी मां बयानों से पलट गई। टीम ने जो साक्ष्य जुटाए, उसे कोर्ट ने सही माना।

24 पेशी में 13 लोगों के बयान हुए
मामले की पहली पेशी 2 मार्च 2022 को हुई। इसमें 13 लोगों के बयान करवाए गए। इसमें कुल 24 पेशियां हुईं। इसमें बच्ची की मां, मौसी, मामा, पुलिस अधिकारी, डॉक्टर की टीम शामिल थी। डाॅक्टर पल्लवी सिंह, डॉ. कृष्णा बाथम ने बच्ची के उन बयानों को बताया जो उसे मेडिकल के दौरान बच्ची ने बताया था। इसके अलावा उनके मेडिकल परीक्षण को भी कोर्ट ने अहम सबूत माना। टीआई संध्या मिश्रा ने घटना के बाद वह महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए, जिससे आरोपी को सजा हो सकी। वह भी इस स्थित में जब केस के मुख्य साक्षी बच्ची की मां अपने बयानों से बदल गई।

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