कहानी अस्पतालों में रखे फ्रीजर की: एस्टीमेट के बाद भी नहीं सुधर रहे, जानिए क्या हाल होता है परिजनों का…

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इंदौर19 घंटे पहले

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जिला अस्पताल में शवों के लिये रखे गए फ्रीजर करीब चार सालो से बंद पड़े हैं। कई बार डॉक्टरों ने इसे सुधरवाने का प्रयास किया। लेकिन किसी ना किसी खामी के चलते इसे रिपेयर करने वाले वापस लौट जाते हैं। भोपाल से दो बार इंजीनियरों की टीम भी यहां पहुंची, लेकिन लापरवाही की हद देखिए कि इंजीनियर आए तो कभी यहां के कमरों का ताला नहीं खुला तो कभी डॉक्टर नहीं मिले। एक माह में दो बार यहां दो अलग अलग शवों के सड़ने को लेकर भी हंगामा भी हो चुका है।

जिला अस्पताल में करीब 4 शवों को रखने के लिये 2008-09 में 12 लाख के दो फ्रीजर खरीदे गए। जिसमें 4 शवों को रखने की व्यवस्था की गई। 2019 से यह फ्रीजर बंद पड़े हैं। इसका खामियाजा परिजनों को भुगतना पड़ता है। जब भी किसी हादसे या घटना के बाद शवों को वहां लेकर आया जाता है तो बंद कमरे में खुले में शवो को रखा जाता है। वहीं एक-दो दिन बीत जाने पर शवों के सड़ने की नौबत आ जाती है।

भोपाल से आए थे इंजीनियर वापस लौटे
जिला अस्पताल में वैसे तो कई बार फ्रीजर को सुधारने के लिये इंजीनियर पहुंचे थे। लेकिन कभी डॉक्टर के नहीं मिलने या ताला लगा होने के चलते वापस लौटना पड़ा। कुछ दिन पहले भी भोपाल से दो इंजीनियर यहां आए थे। जो फ्रीजर को देखकर वापस चले गए। उन्होंने एस्टीमेट भी दे दिया, लेकिन प्रशासनिक अफसरों की तरफ से उसे पास नहीं किया गया।

कहां कितनी व्यवस्था
एमवाय अस्पताल में शवों को रखने के लिये दो रूम बनाए गए हैं। जिसमें एक रूम में करीब 36 से ज्यादा शवों को रखने के लिये फ्रीजर की व्यवस्था है। वहीं दूसरे रूम में लगभग 12 से अधिक शवों को रखा जाता है। वहीं चोइथराम अस्पताल में 8, अरबिंदो में 4, और ग्रेटर कैलाश में 4 से अधिक शवों को रखने के लिये फ्रीजर हैं। अधिकतर मामलो में परिजनों को शवो को लेकर एमवाय या अरबिदों में ही शवों को ले जाकर रखना पड़ता है।

पूर्व विधायक ने दिया था आश्वासन, फिर शासन को किया था भुगतान
2008-09 के पहले देपालपुर के तत्कालीन विधायक मनोज पटेल ने फ्रीजर दान देने की बात कही, लेकिन बाद में विधायक के मुकर जाने पर जिला अस्पताल प्रशासन ने अपने बजट से 12 लाख का भुगतान कर इसे खरीदा। 2019 तक तो ये फ्रीजर ठीक रहे। लेकिन इसके बाद से इनकी सुध लेने वाले कोई नहीं हैं।

इन परिवारों का हो चुका है विवाद

रीवा के स्टूडेंट नितेश मिश्रा की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। वह छात्र राजेंद्र नगर में आईपीएस कॉलेज कॉलेज में पढ़ाई करता था। करीब 18 घंटे बाद उसके परिजन इंदौर पहुंचे थे। जहां शव के सड़ जाने को लेकर उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाए थे। इस दौरान नितेश के भोपाल के रिश्तेदार महावीर तिवारी जमकर नाराज हुए थे। वहीं पीथमपुर में भी अमित शर्मा की हादसे में मौत हो गई। उसके परिवार भी उत्तरप्रदेश से इंदौर आए थे। तीन दिन बाद उन्हें शव दिया गया था। जहां शव से बुरी तरह से बदबू आने लगी थी। परिजनों ने इस दौरान हंगामा करते हुए अस्पताल प्रशासन और पुलिस पर आरोप लगाए थे।

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