झाबुआ में दीपावली पर अनोखी परंपरा: पहाड़ी से पाड़ा लुढ़का कर होती है मौसम की भविष्यवाणी, ऐसे लगाते है पता कैसी होगी बारिश

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झाबुआ5 घंटे पहले

झाबुआ जिले की चुई गांव में दीपावली के मौके पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। देश दुनिया भले ही बारिश और मौसम का हाल जाने के लिए मौसम विज्ञान पर निर्भर हो, लेकिन यहां पर दिवाली के दिन जो परंपरा निभाई जाती है उसी से आने वाले साल की भविष्यवाणी की जाती है। कि आने वाला साल कैसा होगा, बारिश कैसी होगी।

दीपावली के दिन चूई गांव में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं, झाबुआ जिले के अलावा आलीराजपुर और गुजरात के कुछ जिलों से भी लोग यहां पर इस परंपरा को देखने और निभाने के लिए पहुंचते हैं।

झाबुआ से करीब 35 किलोमीटर दूर चूई गांव है जहां पर है वागडूंगरा पहाड़ी,जहां पर वागेला कुंवर देव का स्थान है।

यहां पर आदिवासी संस्कृति और परंपरा के अनुसार पूजन किया जाता है,एक पाड़ा (भैंसा) को लाया जाता है,रात भर यहां पर कीर्तन भजन होता है आदिवासी समाज के तड़वी पुजारा बड़वा जमा होते हैं, आदिवासी परंपरा के अनुसार पूजन करते हैं। और फिर अगले दिन यानी कि दीपावली के दिन इस पाड़े की बलि दी जाती है। उसके धड़ को पहाड़ी से लुढ़का दिया जाता है। पाड़े का धड़ जितनी दूर जाता है। उसके हिसाब से भविष्यवाणी की जाती है कि आने वाला साल कैसा होगा पानी कैसा गिरेगा।

पाड़ा अगर रुक रुक जाता है तो माना जाता है कि खंड वर्षा होगी,पाड़ा बिना रुके पहाड़ी से नीचे तक पहुंचता है तो इसे अच्छी वर्षा का संकेत माना जाता है। पाड़ा रास्ते में रुक जाए तो इसे अल्प वृष्टि का संकेत माना जाता है। इस बार पाड़ा पहाड़ी से लुढ़क कर नीचे तक पहुंचा है और लोग इसे अच्छी बारिश का संकेत मान रहे हैं।

खास बात यह भी है कि इस पहाड़ी पर महिलाएं नहीं जा सकती क्योंकि यहां जो देवता का स्थान है उन्हें कुंवारा देवता माना जाता है। इसलिए यहां पर महिला आए नहीं जाती हैं। इस पहाड़ी पर चढ़ने के लिए आपको अपने जूते चप्पल पहाड़ी के नीचे ही उतारने पड़ते और नंगे पैर ही चढ़ाई करनी होती है।चूई गांव की ये परंपरा कई पीढ़ियों दर पीढ़ी चली आ रही है।

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