आतंकी घटनाओं से त्रस्त जनता ने हुर्रियत कान्फ्रेंस के मुख्यालय का होर्डिंग गिराया
श्रीनगर ,18अक्टूबर। घाटी में अलगावादी व आतंकवादी घटनों से वहां के बाशिंदे त्रस्त हो चुके हैं। आए दिन हो रही हिंसा, हत्या से कश्मीरियों का सब्र टूट रहा है। अलगाववादी गतिविधियों और पानी की तरह बहे स्थानीय लोगों के खून के लिए जिम्मेदार हुर्रियत कान्फ्रेंस का किला लगभग तीन दशक बाद ढह गया। कश्मीर में चारों तरफ टारगेट किलिंग के खिलाफ हो रहे कैंडल मार्च और शांति रैलियों के बीच सोमवार को स्थानीय लोगों ने श्रीनगर में हुर्रियत कान्फ्रेंस के मुख्यालय का होर्डिंग गिरा दिया। यही नहीं, लोगों ने मुख्यालय के गेट पर सफेद पेंट से दो बार इंडिया-इंडिया भी लिख दिया।
यह कश्मीर में हुर्रियत की समाप्ति का कम, आम कश्मीरियों की आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ खुली जंग का एलान ज्यादा है। हुर्रियत कार्यालय का बोर्ड हटाने वालों ने कहा कि अब यहां अलगाववाद नहीं चलेगा। बल्कि यहां आतंकियों द्वारा बेसहारा किए गए बच्चे रहेंगे, पढ़ेंगे और अलगाववादी एजेंडे से आजाद एक नया कश्मीर बनाएंगे। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में गत शनिवार को आतंकियों ने एक कश्मीरी हिंदू पूर्ण कृष्ण भट्ट की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी।
कश्मीर में इस वर्ष टारगेट किलिंग की अब तक दो दर्जन से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं। पूर्ण कृष्ण भट्ट की हत्या के बाद से पूरे कश्मीर में लोग आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ लामबंद होते नजर आ रहे हैं। हर शहर और कस्बे में स्थानीय सामाजिक संगठन, गैर सरकारी संगठन, मोहल्ला समितियां, मस्जिद कमेटियां, पंच-सरपंच और व्यापारिक संगठन प्रदर्शन व धरने के साथ कैंडल मार्च निकाल रहे हैं। कश्मीर में आए बदलाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार दोपहर को कई लोग हुर्रियत कान्फ्रेंस के राजबाग स्थित मुख्यालय के बाहर जमा हो गए। कश्मीर में जारी हत्याओं के सिलसिले पर सवाल उठाते हुए इन लोगों ने हुर्रियत मुख्यालय के मुख्यद्वार के साथ दीवार पर अपना बैनर ”आखिर कब तक” टांग दिया और फिर नारेबाजी शुरू हो गई।
लोगों ने कहा कि हुर्रियत का यह दफ्तर और इसके भीतर बैठने वाले ही कश्मीरियों के असली गुनाहगार हैं। अगर कश्मीर में कोई नौजवान आतंकी बना है, अगर कश्मीर में कोई निर्दोष आतंकियों के हाथों मारा गया है, तो उसके लिए यही जिम्मेदार हैं। अब यहां हुर्रियत का नाम भी नहीं चाहिए। इतना कहना था कि वहां कुछ लोगों ने हुर्रियत का पुतला जलाया और कुछ आजाद हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हुए हुर्रियत मुख्यालय के मुख्य गेट पर चढ़ गए। उन्होंने पहले गेट पर इंडिया-इंडिया लिखा और उसके बाद हुर्रियत के होर्डिंग पर सफेद रंग पोतने का प्रयास किया। इसके साथ ही लोगों में से आवाज आई कि हमें यह चाहिए ही नहीं और अगले पल होर्डिंग नीचे आ गिरा।
प्रदर्शनकारियों में शामिल एक युवक ने कहा कि यह दफ्तर अब खुलेगा तो अलगाववाद और आजादी के एजेंडे के लिए नहीं बल्कि कश्मीरियों की खुशहाली के लिए खुलेगा। हम यहां उन बच्चों के लिए एक छात्रावास और स्कूल शुरू करेंगे, जो आतंकियों के कारण बेसहारा हुए हैं। वह यहां रहेंगे और एक नया कश्मीर तैयार करेंगे।
1993 में खुला था हुर्रियत का मुख्यालय
श्रीनगर के राजबाग में वर्ष 1993 में हुर्रियत कान्फ्रेंस का मुख्यालय खुला था। यहां कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी से लेकर मीरवाइज सहित कई अलगाववादी कश्मीर में बंद, हड़ताव का फरमान जारी करते रहे हैं। इसी मुख्यालय को कश्मीर में आतंकी हिंसा और अलगाववादी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र माना जाता रहा है। अनुच्छेद-370 हटने के बाद से करीब तीन साल से यह बंद पड़ा था।