बड़े शहरों में नई रणनीति: कवर्ड कैंपस में रहने वाले समाजसेवियों को जोड़ेगा आरएसएस, गूगल फॉर्म के जरिये मंगाई एंट्री

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भोपाल20 मिनट पहले
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शाखा लगाने की बजाय संघ कवर्ड कैंपस में रहने वाले ऐसे लोगों को अपने से जोड़ने का प्रयास कर रहा है, जिनकी सामाजिक सेवा से जुड़े कामों में दिलचस्पी है
मोहल्लों और कालोनियों की बजाय बड़े शहरों में अब कवर्ड कैंपस का चलन बढ़ने के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी अपनी काम करने की शैली बदलना शुरू कर दी है। शाखा लगाने की बजाय संघ कवर्ड कैंपस में रहने वाले ऐसे लोगों को अपने से जोड़ने का प्रयास कर रहा है, जिनकी सामाजिक सेवा से जुड़े कामों में दिलचस्पी है। इन लोगों को संघ की कार्यशैली और विचारधारा की जानकारी देने के लिए रविवार को दाना पानी रेस्टोरेंट के समीप प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया गया है।
शहर में 300 से ज्यादा कवर्ड कैंपस हैं। इनमें से कम से कम 100 में संघ के सक्रिय स्वयंसेवक रहते हैं और वे वहां अपने स्तर पर गतिविधियां चला रहे हैं। लेकिन, सभी कवर्ड कैंपस तक पहुंचने के लिए संघ को वहां के रहवासियों को अपने से जोड़ना होगा। हर कवर्ड कैंपस में पूजा स्थल और पार्क हैं, जहां त्योहार और अन्य अवसरों पर रहवासी जुटते हैं। यदि वे संघ से जुड़ गए तो इन जगहों पर संघ को अपने कार्यक्रम आयोजित करना आसान हो जाएगा। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में भोजन से लेकर ऑक्सीजन तक की व्यवस्था में लगे ऐसे तमाम लोग संघ के संपर्क में हैं जो सामाजिक सेवा के लिए समय और धन दोनों देने के इच्छुक हैं। संघ इन लोगों को अपने नेटवर्क से जोड़ेेगा।
गूगल फॉर्म के जरिये मंगाई एंट्री
दाना पानी रेस्टोरेंट के समीप स्थित समाज सेवा न्यास में आयोजित दो घंटे के इस प्रशिक्षण वर्ग के लिए गूगल फॉर्म के जरिए एंट्री बुलवाई गईं हैं। गूगल फाॅर्म में संघ से जुड़ने का उद्देश्य भी पूछा गया है। रविवार सुबह 10 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक आयोजित इस शिविर में संघ की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा, महत्वपूर्ण मुद्दों पर संघ के विचार, देश ही नहीं विदेशों में चलाए जा रहे सेवाकार्य आदि की जानकारी दी जाएगी।
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