विश्वविद्यालय के पुर्नमूल्यांकन पर विवाद: एलएलबी के पुर्नमूल्यांकन में थोक में बढ़े अंक उठे सवाल

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उज्जैन30 मिनट पहले
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा घोषित एलएलबी प्रथम, तृतीय और पांचवे सेमेस्टर के पुर्नमूल्यांकन परिणाम के बाद कई सवाल खड़े हो रहे है। यहां तक की पुर्नमूल्यांकन में बढ़े अंक विश्वविद्यालय के शिक्षकों के ही गले नही उतर रहे है। तीनों सेमेस्टर के लिए करीब पांच सौ आवेदन आए थे, जिनमें 80 प्रतिशत परीक्षार्थियों के पुर्नमूल्यांकन के पश्चात अंक बढ़े है।
विक्रम विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे है। इस बार एलएलबी प्रथम, तृतीय और पांचवे सेमेस्टर की मुख्य परीक्षा के बाद हुए पुर्नमूल्यांकन में अधिक अंक बढऩे की बात सामने आई है। तीनों सेमेस्टर परीक्षा में करीब 500 आवेदन पुर्नमूल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे थे। आवेदन करने वाले करीब 80 प्रतिशत छात्रों के अंक बढ़ चुके थे। किसी छात्र के एक प्रश्र पत्र में 30 तो दो प्रश्रपत्र में 50 से अधिक अंक बढ़े है।
मूल्यांकन ठीक हुआ तो पुर्नमूल्यांकन में कैसे बढ़े अंक
पुर्नमूल्यांकन के पश्चात इतने अंक बढऩे पर एक बात सामने आ रही है। जिसमें कहा जा रहा है कि मुख्य परीक्षा के बाद हुआ मूल्यांकन कार्य ठीक नही होने से ही पुर्नमूल्यांकन में छात्रों के इतने अधिक अंक बढ़े है। इससे पहले भी पुर्नमूल्यांकन में 10 से अधिक अंक बढऩे पर कुलपति पूर्व के मूल्यांकन कर्ताओं से सवाल-जवाब मांग लेते थे। दूसरी बात यह भी सामने आई है कि मूल्यांकन ठीक हुआ है तो फिर उपकृत करने का खेल रहा है।
नियमों में कार्य की जिम्मेदारी कुलपति की
विश्वविद्यालय के नियमों में पुर्नमूल्यांकन कार्य की जिम्मेदारी कुलपति की होती है। कुलपति अपने अधिनस्थ गोपनीय विभाग से पुर्नमूल्यांकन कार्य कराता है। कार्य के दौरान मूल्यांकन सही होने पर ज्यादा अंक बढ़ते है तो थर्ड वेल्युअर के पास उत्तर पुस्तिका जांचने के लिए पहुंचाई जाती है। वहीं पहले वेल्युअर से जवाब भी मांगा जाता है।
कुलपति ने कहा जांच कराएंगे
मामले में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने कहा कि मेरे संज्ञान में आया है कि एलएलबी पुर्नमूल्यांकन में अधिक अंक बढ़े है। स्वंय इस संबंध जानकारी लेकर यदि कुछ गलत हुआ है तो मैं कार्रवाई करूंगा।
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