अब पद के दुरुपयोग का मामला: काेटवानी ने नाैकराें के नाम से 48 लाख में नपा की दुकानें खरीदीं, अध्यक्ष बनने के बाद खुद किया कब्जा

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मंदसौर16 मिनट पहलेलेखक: सप्रिय गौतम

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बैंक की आड़ में लोगों से धोखाधड़ी के आरोप में जेल जा चुके पूर्व नपाध्यक्ष राम कोटवानी द्वारा नपा से भी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यह उन्होंने नपाध्यक्ष रहते हुए की। इसमें पहले तो अपने नौकरों के नाम से नपा की दो दुकानें खरीदीं लेकिन करीब 8 साल तक इसका भुगतान नहीं किया। इस पर पूर्व सीएमओ सविता प्रधान ने एफआईआर के निर्देश दिए लेकिन राजनीतिक रसूख के चलते प्रकरण दर्ज नहीं हो सका। नपाध्यक्ष बनने के बाद कोटवानी ने कर्मचारियों पर दबाव बनाकर बगैर गणना के मूल राशि जमा कर दी और एनओसी ले ली। खुलासा होने के बाद ब्याज व पेनाल्टी की गणना के लिए फाइल ऑडिट में भेजी। इधर वर्तमान सीएमओ भी फाइल देखकर केस दर्ज कराने की बात कह रहे हैं।

नपा कार्यालय के अनुसार 10 जून 2015 को नपा ने बस स्टैंड स्थित दुकानों की नीलामी की। इसमें कोटवानी ने अपने नौकर बाजखेड़ी निवासी इब्राहिम पिता लाल मोहम्मद व तैयब पिता राजू के नाम पर 12 नंबर दुकान 22 लाख 99 हजार तथा 13 नंबर दुकान 25 लाख 28 हजार रुपए में खरीदी। उस समय उन्होंने निर्धारित राशि जमा कर दी। इसके बाद बाकी राशि जमा नहीं की। इस दौरान नपा ने करीब 5 बार नोटिस दिए जिसका जवाब भी नहीं दिया। 15 नवंबर 2017 को तत्कालीन सीएमओ सविता प्रधान ने अंतिम नोटिस जारी कर एफआईआर कराने के निर्देश दिए।

राजनीतिक रसूख के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जब नौकरों ने कोटवानी से इस विषय में चर्चा की तो उन्होंने रुपए जमा करा देने का कहा। 2019 में फिर कोटवानी के खिलाफ कार्रवाई हुई लेकिन यह भी पूरी नहीं हो सकी। फरवरी 2020 में कोटवानी खुद नपाध्यक्ष बन गए। यहां उन्होंने अध्यक्ष रहते हुए कर्मचारियों पर दबाव बनाकर बगैर ब्याज व पेनाल्टी की गणना किए बकाया राशि जमा कर दी। इतना ही नहीं कर्मचारियों से एनओसी भी ले ली। इसके बाद वे उप किरायेदार के रूप में दुकान पर काबिज हो गए।

यहां एक दुकान पर उनके बेटे मोहित ने गुरुकृपा इंटरप्राइजेस नामक दुकान खोली तथा दूसरी दुकान पर कोटवानी ने जनसेवा केंद्र नामक दुकान खोल ली। हाल ही में बैंक में एफडी के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद सिटी कोतवाली पुलिस ने भी मौके पर पंचनामा बनाया। यहां दोनों दुकानें बंद मिलीं और कोटवानी व उनके बेटे का कब्जा मिला।

कोटवानी के नौकर बाजखेड़ी निवासी इब्राहिम व तैयब ने बताया उन्हाेंने दुकान खरीदने के लिए काेटवानी काे केवल दस्तावेज दिए थे। इन्हाेंने काेई रुपए जमा नहीं किए। ये सब काेटवानी ने ही किए थे। हमारे पास जब-जब भी नोटिस आए, हम कोटवानी के पास पहुंचे। हर बार कोटवानी ने यह कहकर टाल दिया कि रुपए जमा कर दिए हैं। दो साल से तो कोई नोटिस आया ही नहीं।

लोगों के साथ धोखाधड़ी में जमानत याचिका खारिज
लोगों के साथ धोखाधड़ी में गिरफ्तार पूर्व नपाध्यक्ष कोटवानी की जमानत याचिका मंगलवार को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोटवानी को पुलिस ने 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 2 बार रिमांड भी ली। इसमें उन्होंने कोई खुलासा नहीं किया तभी से कोटवानी जेल में है।

जांच के बाद करेंगे एफआईआर
“फिलहाल ऐसा मामला संज्ञान में नहीं आया है। यदि नपा ऐसा कोई आवेदन देती है तो हम उस पर जांच करेंगे। इसके बाद यदि धोखाधड़ी या पद का दुरुपयोग जैसा कोई मामला आता है तो प्रकरण दर्ज किया जाएगा।”
-अमित सोनी, टीआई, सिटी कोतवाली, मंदसौर

फाइल देख दर्ज कराएंगे केस
“फाइल फिलहाल आॅडिट में है, इसके बाद पता चलेगा कि उन्होंने कितने रुपए का घपला किया है। यदि ऐसा हुआ है तो मैं भी एफआईआर के लिए लिखूंगा।”
-पी.के. सुमन, नपा अधिकारी, मंदसौर

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