जिला अस्पताल का निरीक्षण: दिल्ली से आई टीम ने अस्पताल की अव्यवस्थाओं का वीडियो बनाया, कमियों को छिपाने में लगे रहे कर्मचारी

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शाजापुर27 मिनट पहलेलेखक: उदित सोनकिया
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दिल्ली से आई टीम के अधिकारियों ने गंदगी, बंद उपकरण व अन्य अव्यवस्थाओं के फोटो व वीडियो बनाए।
जिला अस्पताल का निरीक्षण करने सुबह करीब 10 बजे दिल्ली से एक टीम आई। टीम ने अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। टीम के दो बड़े अधिकारियों ने पूरे अस्पताल का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने गंदगी, टूटे पड़े बिजली के उपकरण, पानी की बर्बादी, भोजन आदि की कमियों को देखते ही अपने मोबाइल से फोटो व वीडियो बनाए। मीडिया के पहुंचते ही टीम व अस्पताल प्रबंधन के लोग इधर-उधर होने लगे और सवालों से बचते नजर आए। टीम करीब 6 घंटे यहां रुकी रही।
सिविल सर्जन डॉ. बीएस मैना ने बताया दिल्ली से डॉ. मेहताब सिंह व डॉ. शकुंतला आई हुई हैं। उन्होंने सोमवार को अस्पताल के अंदर बाहर सभी जगह का निरीक्षण कर विभागीय चर्चा की है। डॉ. सचिन नायक ने बताया अस्पताल की क्वालिटी इंप्रूवमेंट के लिए टीम आई है, जो मंगलवार को भी रहेगी। ठेकेदार द्वारा अस्पताल में वाहन खड़ा करने पर पार्किंग शुल्क लिया जाता है। नेशनल टीम के आते ही पार्किंग शुल्क लेने वाले अस्पताल प्रांगण में दिनभर दिखाई नहीं दिए।
टूटे फर्नीचर व स्ट्रेचर को शिफ्ट किया
टीम के अधिकारी जैसे ही अस्पताल में निरीक्षण करने पहुंचे, स्टाफ में हडकंप मच गया। सफाईकर्मी सभी फ्लोर पर झाडू-पोंछा व वॉशरूम की सफाई में जुट गए। अन्य कर्मचारियों ने टूटे पड़े फर्नीचर व स्ट्रेचर को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। भर्ती वार्डों में भीड़ हटाई। जूते-चप्पल स्टैंड पर रखने लगे। मरीजों के परिजनों के सामान को एक जगह कोने में रख दिया गया। अस्पताल प्रबंधन फोन व मैसेज कर अव्यवस्थाओं को छिपाने के लिए लीपापोती करवाता रहा, ताकि जांच दल को कमियां दिखाई न दें। निरीक्षण के दौरान ऐसा लग रहा था मानों अस्पताल प्रबंधन दिल्ली से आई टीम की आंखों में धूल झोंक रहा हो।
पहली बार पिंक ड्रेस में दिखा नर्सिंग स्टाफ
मॉडर्न मेटरनिटी वार्ड में टीम के आने की सूचना मिलते ही नर्सिंग स्टाफ पिंक रंग की ड्रेस में दिखाई दिया, जबकि अस्पताल में इसके पहले कभी नर्सों को इस तरह के ड्रेस कोड में नहीं देखा गया। अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर बने सहायता केंद्र पर पहले कभी कोई कर्मचारी नहीं दिखाई दिया। सोमवार को टीम के निरीक्षण के दौरान इस सहायता केंद्र पर पूरे दिन कर्मचारी ड्यूटी करता रहा। इतना ही नहीं, एक्सीडेंट व गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल के मुख्य गेट के पास गंदे व टूटे स्ट्रेचर पड़े रहते थे, जिनको मरीजों के परिजन खुद चलाते हुए मरीज को ले जाते थे। टीम के आते ही स्ट्रेचर को साफ-सुथरा कर दिया गया और इनको अस्पताल कर्मचारी चलाता हुआ नजर आया।
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