शहडोल में ईद मिलादुन्नबी कार्यक्रम: मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निकाला जुलूस, जगह-जगह हुआ स्वागत: पुरूष, महिलाओं सहित बच्चे हुए शामिल

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शहडोल22 मिनट पहले
रविवार को अकीदत-मोहब्बत और उत्साह के साथ ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया गया। जुलूस-ए-मोहम्मदी में अकीदमंदों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। इसमें हजारों की संख्या में युवा, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए। जुलूस में अकीदतमंद रसूल की आमद मरहबा, सरकार की आमद मरहबा, रसूल-ए-खुदा की शान अल्लाह-अल्लाह आदि के नारे लगाते हुए हर्षोल्लास के साथ निकले।
बता दें कि स्थानीय मस्जिद मदरसों से जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। यह जुलूस सोहागपुर, पुरानी बस्ती, इतवारी मोहल्ला, दरभंगा से निकलकर गांधी चौक से तक पहुंचा। जगह-जगह जुलूस का स्वागत किया गया। कई स्थानों पर लंगर का वितरण भी किया गया। खास तौर पर बच्चों के लिए शरबत, खीर का भी इंतजाम लोगों ने किया था।
विभिन्न क्षेत्रों से निकले जुलूस गांधी चौक से जुलूस वापसी होकर विश्व शांति की दुआएं मांगी। रास्ते में कई उलेमा-ए-इकराम ने ईद मिलादुन्नबी के महत्व पर प्रकाश डाला। कहा कि इस्लाम पूरे विश्व को शांति का पैगाम देता है। इस्लाम पूरे विश्व को नफरत दूर करने और अमन कायम करने का पैगाम देता है। इस्लाम किसी को तकलीफ नहीं देने का संदेश देता है। इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैही वसल्लम ने दुनिया की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बुराईयों को दूर किया। महिलाओं को सम्मान दिलाया।
उन्होंने कहा कि मुसलमान दहशतगर्द नहीं हो सकता है। हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैही वसल्लम ने इस्लाम मजहब के माध्यम से विश्व को शांति, भाईचारगी और वतन से मुहब्बत का पैगाम दिया है। इस्लाम तलवार से नहीं एखलाक से फैला है। अल्लाह व उसके रसूल पर बताए रास्ते पर चलकर ही दुनिया में अमन की फिजां कायम की जा सकती है।




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