यहां होता है अनोखी परंपरा का निर्वहन: महिलाओं ने सिंदूर लगाकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी, दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया

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देवास17 मिनट पहले
विगत 42 वर्षों से लेबर कॉलोनी क्षेत्र में बंगाली समाज द्वारा परंपरा का निर्वाह करते हुए माता जगदंबे की आराधना की जाती है। बंगाली समाज द्वारा 5 दिनों तक नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है जिसमें समाज के लोग नवरात्र के छटे दिन माता दुर्गा प्रतिमा को स्थापित करते हैं उसके बाद बासी दशहरे को प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। लेकिन इस बार बासी दशहरे पर गुरुवार होने की वजह से माता प्रतिमा का विसर्जन आज किया गया।
समाज का ऐसा मानना है कि माता लक्ष्मी का रूप होती है जिसे समाज की परंपरा के अनुसार गुरुवार, शनिवार व मंगलवार को विदाई नहीं दी जाती है। दरअसल, बंगाली समाज द्वारा शुक्रवार को माताजी की मूर्ति का आतिशबाजी व ढोल-धमाके के साथ विसर्जन किया गया। बालगढ़ रोड स्थित बंगाली कॉलोनी में सुबह से ही उत्साह का वातावरण नजर आया। यहां महिलाओं ने सिंदूर खेला और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर पर्व की बधाई दी। बंगाली कॉलोनी में 42 वर्ष पहले 100 परिवार निवास करने आए थे, आज परिवारों की संख्या करीब ढाई सौ है।
समाज सदस्यों ने बताया कि वैसे तो बासी दशहरे पर ही मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, लेकिन जब भी इस तिथि पर गुरुवार, शनिवार या मंगलवार आता है तो इसके अगले दिन मूर्ति विसर्जन की परंपरा निभाई जाती है। समाज ने नवरात्र की छठ को 10 हाथों वाली माताजी की स्थापना की थी। नवरात्र में समाजजनों द्वारा महाअष्टमी पर भी माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आज समाजजनों द्वारा आतिशबाजी व ढोल-धमाके के साथ विसर्जन जुलूस निकालकर माता प्रतिमा का विसर्जन किया। जिसमें बंगाली समाज के कई लोग शामिल हुए।
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