दशहरा पर्व: ‘रावण 10 विकारों का प्रतीक, जिसे अपने अंदर से जलाना जरूरी’

[ad_1]

छतरपुर3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

रावण को हम हर वर्ष जलाते हैं लेकिन फिर भी वह दिन प्रतिदिन बड़ा होता जा रहा है। जलता है फिर जीवित हो जाता है, आखिर यह कौन सा रावण है? जो जलाने के बाद भी खत्म नहीं होता। यह कोई दस शीश वाला रावण नहीं, बल्कि हर मानव के अंदर व्याप्त 10 विकारों का प्रतीक काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या द्वेष, घृणा, नफरत, बैर जो दिन प्रतिदिन हमारे अंदर बढ़ते जा रहे हैं। अब जरूरत है अपने अंदर के रावण को जलाने की।

जिस दिन यह रावण जल कर समाप्त हो गया, उसी दिन सच्ची विजयादशमी हो जाएगी और रामराज्य आ जाएगा। यह किशोर सागर तालाब स्थित ब्रह्माकुमारी विवि की सेवा केंद्र प्रभारी बीके शैलजा द्वारा व्यक्त किए गए। इस दौरान पूर्व नपाध्यक्ष अर्चना सिंह, डॉ.सुनील चौरसिया, डॉ. रचना चौरसिया, अखिलेश मातेले, राजेंद्र नीखरा, जयदीप ब्रजपुरिया सहित सरोज छारी मौजूद रहीं।

खबरें और भी हैं…
[ad_2]
Source link

Related Articles

Back to top button