कौन है लिसीप्रिया? विदेशों से भारी फ़ंडिंग मिलती है, और अब वो हसदेव बचाओ आंदोलन से जुड़ गयी है; छत्तीसगढ़ आने की बात भी कर रहीं है…
11 वर्ष की लिसीप्रिया कँगुजम अंतर्राष्ट्रीय बाल पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में कुछ समय से काफी प्रचलित हैं। सोशल मीडिया से लेकर डिजिटल, प्रिंट मीडिया में भी यह अपने पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को लेकर चर्चा का विषय रहती हैं। संसद भवन से लेकर सड़कों तक इनके चर्चे हैं तथा काफी बड़ी हस्तियों के साथ इनके नाम को जोड़ा गया है।
4 अक्टूबर को लिसीप्रिया ने ट्वीट करके छत्तीसगढ़ में अपने आगमन और कोयला खनन के विरोध में एक पदयात्रा करने की बात कही। उन्होंने बताया की 14 अक्टूबर को शाम चार बजे बिलासपुर से हसदेव तक “ग्रेट अक्टूबर मार्च” निकाला जायेगा और हज़ारों की संख्या में आम लोग इसमें शामिल होंगे। लिसीप्रिया अभी से ही इस प्रस्तावित यात्रा को पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐतिहासिक बता रही हैं। लेकिन पर्यावरण संरक्षण की आड़ में छत्तीसगढ़ में कुछ अलग ही खेल चल रहा है और उसी कड़ी में लिसीप्रिया से पहले मेधा पाटकर इत्यादि भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं। अपने स्वार्थों से निर्देशित इन सारे तथाकथित पर्यावरणविदों की सच्चाई इनके सोशल मीडिया पर की जाने वाली बयानबाज़ी से काफी भिन्न है।
लिसीप्रिया एवं उनके पिता का सच –
लिसीप्रिया के पिता एक जालसाज है जिनपर एक लाख रुपये का इनाम भी घोषित था।
लिसीप्रिया के पिता कंगूजम कनर्जित को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया। उन्हें डॉ. केके सिह के नाम से भी जाना जाता है, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और मणिपुर पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में गिरफ्तार किया गया।
लिसीप्रिया के पिता राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर अवैध उगाही के मामले में गिरफ्तार किये गए और अभी जेल में हैं। 11 वर्ष की अपनी बेटी लसीप्रिया के लोकप्रिय चेहरे की आड़ लेकर उसके पिता यह अवैध उगाही करते थे। भूकंप पीड़ितों के नाम से कई सेमीनार आयोजित करवाए और लाखों की फंडिंग कमाई जिसके खर्चे का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
लिसीप्रिया को उसके पिता ने शरू से ही एक ऐसा चेहरा बनाया जिसके द्वारा दुनिया को वह ये बता सके की दोनों पिता और बेटी पर्यावरण संरक्षण के लिये कार्य करते हैं जिससे उनपर आसानी से लोग विश्वास कर उनके आयोजनों में आएं और उनके इस दिखावटी पर्यावरण संरक्षण मुहीम में पैसे डोनेट करें।
कंगूजम कनर्जित पर नेपाल के एक छात्र ने वर्ष 2020 में केस दर्ज कराया था। उस छात्र का आरोप था कि केके सिंह ने उसे अपने संगठन अंतरराष्ट्रीय युवा समिति को पैसे देने के लिए धोखा दिय था। आरोप लगाया गया है कि आरोपी ने कई फर्जी दस्तावेजों, फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया और खुद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की बड़ी हस्ती के रूप में पेश किया।
इसके बाद से लिसीप्रिया की लोकप्रियता कम हुई और लोगों को उसके मनसूबों पर शक हुआ क्या लिसीप्रिया विदेशी फंड के लिए एक कठपुतली की तरह काम करती है, बाहरी देश पर्यावरण संरक्षण के नाम पर भारत देश के ऊपर कई आरोप लगाते है और देश में ऐसे रिमोट कंट्रोल वाले पर्यावरण ऐक्टिविस्ट खड़ा करते है जिससे भारत देश के विकास की रफ़्तार को धीमा किया जाए।
पहले ही हसदेव बचाओ आंदोलन पर आरोप है की तथाकथित ऐक्टिविस्ट लोगों को ग़लत आँकड़े बता कर गुमराह कर रहे है साथ ही आंदोलन की फ़ंडिंग पर भी कई आरोप है की विदेशी शक्तियाँ इस आंदोलन को चला रही है और लिसीप्रिया की हसदेव आंदोलन में एंट्री कुछ उसी ओर इशारा कर रही है।
लिसीप्रिया दुनिया भर में हवाई जहाज़ से उड़ रही है और शानदार होटलों में रहती है जो प्रदूषण और बिजली की बर्बादी के लिए जाने जाते हैं वहीं लाखों लोगों को बिजली और रोजगार के अवसरों से वंचित करके भारत के आर्थिक विकास के हितों के खिलाफ काम करना कितना सही है ? उनका ध्यान केवल नारे लगाने और समस्याओं पर शोर पैदा करने पर है न की कोई ठोस समाधान पेश करने पर, ताकि उनका परिवार विदेशी संस्थानों और उद्योगों से आंदोलन के नाम पर पैसा वसूल कर सके। जलवायु परिवर्तन का मुद्दा उनके लिए केवल दिखावा है।