Chhattisgarh

दशहरा में वनमंडलाधिकारी कार्यालय में लगा सबसे बड़ा देशी शराब बाजार

जगदलपुर, 06 अक्टूबर। बस्तर दशहरा में वनमंडलाधिकारी कार्यालय परिसर में तीन दिवसीय लगने वाले सबसे बड़े शराब के बाजार में महुए के शराब की खुले आम बिक्री होती है। जहां बड़ी संख्या में शराब के शौकीन पहुंच रहे हैं। इस शराब के बाजार को स्थानीय बोली में मंद पसरा कहते हैं। इस तरह का शराब का इतना बड़ा बाजार देश में किसी उत्सव में शायद ही कहीं देखने के लिए मिलता है।मंद पसरा में छिंदावाड़ा, कोड़ेनार, बास्तानार, किलेपाल, डिलमिली, पखनार, बीसपुर सहित अन्य दर्जनों गांवों के 200 से ज्यादा ग्रामीण महुआ से बनी शराब बेचने पहुंचते हैं, और तीन दिन लगने वाले शराब के बाजार में यहां लगभग पांच हजार लीटर से अधिक शराब की खपत का अनुमान है। इस दौरान शराब के इस बाजाार को पुलिस-प्रशासन के द्वारा पूरी छूट होती है।

वनमंडलाधिकारी कार्यालय परिसर में गुलजार ,शराब के बाजार में विभिन्न गांवों से आए 200 से ज्यादा ग्रामीणों ने अच्छी कमाई की, वहीं महुए की शराब पसंद करने वालों ने छक कर इसे पीया। इस मंद पसरा में दर्जनों चखना बेचने वालों को तीन दिन और रात के कारोबार में अच्छी कमाई हो जाती है। बस्तर में आदिवासियों को महुए की शराब बनाकर पीने की छूट है, लेकिन बेचने की नहीं ।इस बात से पुलिस वाले भी भली भांति वाकिफ है लेकिन बस्तर दशहरा के दौरान वे भी सबसे बड़े शराब के इस बाजार से दूरी बनाए रखे हुए थे।

बस्तर दशहरा के दौरान लगने वाले सबसे बड़े उन्मुक्त शराब के बाजार का इंतजार, महुए की शराब पसंद करने वालों के साथ दर्जनों चखना ठेला वालों को भी रहता है। शराब के साथ चखना में चना से लेकर मुर्गा-मछली तक यहां उपलब्ध रहता है। लोग वनमंडलाधिकारी कार्यालय परिसर में ही बैठ कर मद्यपान करते है, इसलिए यहां काफी भीड़ रहती है।ग्रामीण सन्नूराम मरकाम ने बताया कि महुए की शराब में विभिन्न नशीली वस्तुओं की मिलावट भी की जाती है, इस कारण शराब बदनाम है। लोगों को भरोसा है कि दूरस्थ गांवों से पहुंचे ग्रामीणों के शराब में मिलावट नहीं है, इसलिए मंद पसरा को लोग पसंद करने लगे है।कोड़ेनार के आयतु, सोनाय, बास्तानार के भीमे, मूतनपाल की आयती ने बताया कि उसने 60 से 80 रुपये की दर से शराब बेचा और आशा के अनुरूप कमाई हुई है।

Related Articles

Back to top button