25 हजार से ज्यादा की भीड़ जुटी: बारिश से गीला हुआ रावण का आधा पुतला ही जला, लकड़ियों का पूरा ढांचा भी जस का तस रहा

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बुरहानपुरएक घंटा पहले
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दशहरा मैदान में मंगलवार शाम रावण दहन देखने के लिए 25 हजार से ज्यादा की भीड़ जुटी। भगवान श्रीराम ने 35 फीट ऊंचे बुराई के प्रतीक रावण पर तीर चलाया और रावण का पुतला जलने लगा। लेकिन चंद मिनट ही रावण का पुतला जला। मंगलवार दोपहर हुई तेज बारिश के कारण पुतला पूरी तहर गीला हो गया था। हवा चलने से कागज और कपड़े से बना सामने का हिस्सा जला, लेकिन लकड़ियों से बना ढांचा, रावण का मुख्य सिर और बाया हाथ नहीं जला।
रेणुका माता मंदिर परिसर में दशहरा मैदान शाम 6 बजे रावण दहन देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ी। यहां भजन, कीर्तन, भगवान श्रीराम की झांकी के आने में थोड़ा विलंब हुआ, इसके चलते रावण दहन शाम 7 बजे हो पाया। कार्यक्रम में सांसद ज्ञानेश्वर पाटील, विधायक ठाकुर सुरेंद्रसिंह, महापौर माधुरी पटेल, नवलसिंह शक्कर कारखाना अध्यक्ष किशोरीदेवीसिंह ठाकुर शामिल हुए। दो साल के बाद दशहरा मैदान में इतनी ज्यादा संख्या में लोग एकत्र हुए। लेकिन बारिश के कारण मैदान में कीचड़-जल जमाव के कारण उन्हें चलने में परेशान हुई। शाम 7 बजे रावण के पुतले का दहन हुआ। आग लगते ही कपड़ा और कागज धु-धु कर जलने लगे, लेकिन कुछ मिनट में ही आग बुझ गई। रावण का मुख्य सिर जमीन पर गिर गया।
झांकी के साथ आए राम, लक्ष्मण और हनुमान
रावण दहन से पहले घोड़ा बग्गी में सवार होकर श्रीराम, माता सीता लक्ष्मण, हनुमान की झांकी मंच तक आई। अतिथियों ने उनका स्वागत किया। रावण के पुतले का निर्माण लालबाग के विनोद पुनासे ने किया। रावण के हाथ पीओपी के थे। इसमें बड़ी मात्रा में लकड़ी का उपयोग हुआ और भीतर भुसा-पटाखे डाले गए। हालांकि बारिश होने से लकड़ी और पटाखे गीले हो गए थे।
सेना लेकर पहुंचे भगवान श्रीराम, रावण-मेघनाथ से हुआ युद्ध
चिंचाला में रात 8 बजे 25 फीट ऊंचा रावण का पुतला दहन हुआ। दशहरा उत्सव समिति अध्यक्ष अमर यादव ने बताया वार्ड के युवकों ने राम, लक्ष्मण के स्वरूप में रावण दहन किया। शाम 6 बजे सागर टॉवर से भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता और हनुमानजी के साथ शोभायात्रा निकाली गई। रावण दहन स्थल पर भगवान श्रीराम और रावण-मेघनाथ की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ। भगवान राम की सेना की जीत के बाद रावण का पुतला जलाया गया। दहन के बाद आतिशबाजी हुई।
रेणुका माता मंदिर का 10 दिवसीय मेला खत्म
शारदीय नवरात्रि से रेणुका माता मंदिर में दस दिवसीय मेले की शुुरुआत हुई। बुधवार को दशहरे पर दोपहर बाद से मंदिर में लोगों की भीड़ जुटने लगी। शाम 5 बजे बाद यहां दर्शन के लिए कतार लग गई। दर्शन के बाद लोग सीधे दशहरा मैदान में जमा होने लगे। यहां रावण दहन होने के बाद लोगों ने एक-दूसरे को बधाई देने हुए शमी के पौधे के पत्ते दिए।
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