गरबा कर नम आंखों से मां दुर्गा को विदाई: माता रानी के जयकारों की गूंजी शहर की सड़कें, सिर पर ज्वारे लेकर निकली मातृ शक्ति

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हरदा38 मिनट पहले
शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन बुधवार को भक्तों ने माता रानी को नम आंखों से विदाई दी। सुबह से ही दुर्गा प्रतिमाओं को गाजे बाजे के साथ विसर्जन के लिए ले जाया गया। दो वर्ष बाद इस बार बड़े उत्साह के साथ मां दुर्गा की विसर्जन रैली दुर्गा उत्सव समितियों ने निकाली।
मां दुर्गा की जयकारे और ढोल ढमाकों की गूंज के साथ श्रद्धा और भक्ति के माहौल में प्रतिमाओं का विसर्जन नर्मदा तट पर बने विसर्जन कुंड में हुआ। विसर्जन से पहले श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से माता की आरती उतारी। महिलाओं ने माता का श्रृंगार किया। उसके बाद पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। साथ ही उन्हें अगले वर्ष फिर से आने का निमंत्रण भी दिया।
सुसज्जित वाहन से प्रतिमा का नगर भ्रमण
शहर के कई पूजा पंडालों के सदस्यों ने सुसज्जित वाहन से प्रतिमा का नगर भ्रमण कराया। इस दौरान श्रद्धालु झूमते नजर आए। माता के विसर्जन से पहले महिलाओं ने माता रानी को चढ़ाए सिंदूर को अपने माथे से लगाया और अमर सुहाग की कामना की। परस्पर एक दूसरे की मांग से सिंदूर लगाकर सदियों से चली आ रही परंपरा निभाई। विसर्जन के लिए निकाले जा रहे जुलूस के दौरा भक्त डीजे पर बज रहे भक्ति गीतों की धुन पर थिरकते नजर आए, वहीं महिलाओं ने गरबा नृत्य किया।
अजनाल नदी किनारे कुंड पर आई इक्का दुक्का प्रतिमाएं
नवरात्रि के दौरान जिला मुख्यालय पर करीब 50 से अधिक स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की गई थी। शहर के अजनाल नदी के तट पर बनाए गए विर्सजन कुंड पर दुर्गा उत्सव समितियों ने विसर्जन करने से दूरी बनाई। बुधवार शाम साढ़े 4 बजे तक एक भी प्रतिमा विसर्जन कुंड पर नहीं आई थी। शहर के अधिकांश समितियों ने जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर हंडिया जाकर नर्मदा नदी के तट या फिर नर्मदा नदी के अन्य घाटों पर प्रतिमाओं का विसर्जन किया। हंडिया में प्रशासन ने क्रेन के जरिये दुर्गा प्रतिमाओं को कुंड में विसर्जित किया।







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