MP के शिक्षकों के लिए बड़ी खबर: ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होंगे; नेताओं और मंत्री के यहां आवेदन नहीं चलेंगे

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भोपाल12 मिनट पहले

मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू होते ही शिक्षकों ने नेताओं और मंत्रियों के यहां लाइन लगाना शुरू कर दिया है। ऐसे में स्कूल शिक्षा को अलग से नया आदेश निकालना पड़ा है। इसमें कहा गया है कि शिक्षकों को स्वैच्छिक ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन ही मान्य हैं। नेताओं और मंत्रियों के लिए ऑफलाइन आवेदन मान्य नहीं है। ऐसे में कोई भी शिक्षक नेताओं और मंत्री के यहां या फिर अन्य माध्यम से आवेदन न करें। ट्रांसफर के लिए सिर्फ ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

यह कहा गया आदेश में

शिक्षकों को स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए पोर्टल के माध्यम से ऑनलाईन आवेदन किए जाने का प्रावधान किया गया है। स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए निर्धारित प्रक्रिया में यह स्पष्ट किया गया है कि संबंधित लोक सेवक को अपनी यूनिक आईडी एवं पासवर्ड के माध्यम से एज्यूकेशन पोर्टल पर लागिन कर आवेदन करना होगा। पात्र आवेदकों को निर्धारित प्राथमिकता / वरीयता के आधार पर उनके द्वारा चाही गई संस्थाओं में वरीयता क्रम में उपलब्धता अनुसार रिक्त पद पर बगैर मानवीय हस्तक्षेप के स्थानांतरण किया जा सकेगा।

स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए पोर्टल पर ऑनलाईन आवेदन करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। बड़ी संख्या में शिक्षकों द्वारा ऑनलाईन आवेदन किया जाना प्रारंभ भी कर दिया गया है, किन्तु यह देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में शिक्षकों द्वारा अभी भी जनप्रतिनिधियों एवं विभिन्न माध्यमों से स्वैच्छिक स्थानांतरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किए जा रहे है। वरिष्ठ कार्यालय में स्थानांतरण के लिए उपस्थित होकर भी आवेदन दिए जा रहे है, जो प्रथम दृष्टिया नीति के अनुकुल न होने के नस्तीबद्ध किए जा रहे है।

अतः आपको निर्देशित किया जाता है कि प्राचार्यो के माध्यम से समस्त शिक्षकों को स्थानांतरण नीति में निर्धारित प्रक्रिया अनुसार ही स्वैच्छिक आवेदन ऑनलाईन प्रक्रिया के माध्यम से किए जाने के लिए निर्देशित करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि स्थानांतरण हेतु वरिष्ठ कार्यालय में उपस्थित न हो।

नई ट्रांसफर नीति इस प्रकार है

शहरी क्षेत्रों में 10 साल तक पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाएगा। ऐसे टीचर्स स्वैच्छिक ट्रांसफर प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। अध्यापक संवर्ग से आए शिक्षकों को भी ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में 5 से 10 साल सेवा देनी होगी, जबकि तीन साल में सेवानिवृत्त होने वाले गंभीर बीमार या विकलांग और एक साल से कम की सेवा व 40% या उससे अधिक नि:शक्तता होने पर तबादला नहीं किया जाएगा।

ट्रांसफर नीति की मुख्य बातें

दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की प्राथमिकता के आधार पर पूर्ति की जाएगी। नए शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में तीन साल सेवा देनी होगी और पूरे सेवाकाल में दस वर्ष ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में रहना होगा। शहरी क्षेत्रों में दस साल तक पदस्थ शिक्षकों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा जाएगा।

प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर स्थानांतरण किए जाएंगे। मंत्री या विधायकों की निजी स्थापना में पदस्थ शिक्षकों को वापस बुलाया जाएगा। इस नीति में समय-समय पर जो संशोधन आवश्यक होंगे, विभाग उन्हें अधिसूचना के माध्यम से लागू करेगा।

शहरों और गांवों में इस तरह रहेगी प्रक्रिया

10 साल या इससे अधिक एक ही संस्था में पदस्थ (खासतौर पर शहरी क्षेत्र) टीचरों को शिक्षक विहीन या कम टीचरों वाले गांव के स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा। ऐसे शिक्षकों को स्वैच्छिक ट्रांसफर के लिए आवेदन करने की छूट होगी। इस मापदंड में आने वाले कुल टीचरों में से न्यूनतम 10% को पहले ही साल ट्रांसफर किया जाएगा। उन्हें कम से कम 10 साल वहां रहना होगा। नियुक्ति के बाद से नगरीय क्षेत्रों में लगातार काम कर रहे टीचरों को अब गांवों में जाना होगा। दूरस्थ व गांव के आदिवासी इलाकों में जाने वाले टीचरों को इंसेटिव मिलेगा। उनकी पदस्थापना इस तरह होगी…

  • 2001 तक नियुक्त टीचर व संविदा कर्मी : 5 साल
  • 2008 तक नियुक्त संविदा शिक्षक : 7 साल
  • 2013 तक नियुक्त संविदा शिक्षक : 10 साल
  • 2018 तक नियुक्त संविदा शिक्षक : 10 साल

इनको छूट दी गई

  • जिनके रिटायरमेंट में एक साल या इससे कम समय है, उनका प्रशासनिक आधार पर ट्रांसफर नहीं होगा। स्वैच्छिक ट्रांसफर के बाद तीन शैक्षणिक सत्र तक उनके आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।
  • ऐसे शिक्षक जिनके रिटायरमेंट में 3 साल बचे हैं या गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या विकलांग हैं, उन्हें ट्रांसफर प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा।
  • रिटायरमेंट में एक साल से कम समय है, 40% या उससे अधिक नि:शक्तता है, गंभीर बीमारी है तो सरप्लस मानकर ट्रांसफर नहीं होगा।
  • स्वैच्छिक ट्रांसफर में स्थाई परिस्थिति के अलावा राष्ट्रीय पुरस्कार या राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को वरीयता मिलेगी।
  • किसी भी कैडर यानी 200 की संख्या तक के कैडर में 20% और इससे अधिक का कैडर है तो 15% ट्रांसफर होंगे।

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